🛕मंदिर के कपाट खुलने के बाद पहली पूजा🌸
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है। शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय पाने के लिए इनकी पूजा की जाती है। मां बगलामुखी संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतीक हैं। वे मुख्य रूप से असम के गुवाहाटी में कामाख्या तीर्थ क्षेत्र में पूजी जाती हैं। हर साल जून में, कामाख्या तीर्थ क्षेत्र में अंबुबाची मेला मनाया जाता है, माना जाता है कि मां कामाख्या इस समय रजस्वला होती हैं। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और दर्शन भी वर्जित होते हैं। तीन दिनों के बाद यह मंदिर फिर से खुलता है जिसके बाद पहली पूजा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें माता विश्राम के बाद अपनी नई ऊर्जा के साथ भक्तों को जीवन में नवीनीकरण का आशीष देती हैं।
अंबुबाची मेले के समापन के बाद न केवल मां कामाख्या, बल्कि मां बगलामुखी की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर कामाख्या तीर्थ क्षेत्र में मां बगलामुखी की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है। मान्यता है कि यहां मां बगलामुखी की पूजा करने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नहीं लौटता और वो सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसके अलावा, मां बगलामुखी भक्तों को कोर्ट कचहरी एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का आशीष भी देती हैं। मां बगलामुखी की पूजा कर हजार गुना अधिक फल प्राप्त करने के लिए इस शुभ दिन मां बगलामुखी के इस प्रसिद्ध मंदिर में पूजा करवाएं, श्री मंदिर के माध्यम से अम्बुबाची मेला: मंदिर पुनरारंभ विशेष मां बगलामुखी तंत्र युक्त महायज्ञ में भाग लें और देवी बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करें।