🚩माघ पूर्णिमा पर 25 ब्राह्मणों द्वारा महाविद्या महानुष्ठान क्यों करवाना चाहिए? 👇
हिंदू धर्म में माघ शुक्ल पूर्णिमा, जिसे माघ पूर्णिमा भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करना अत्यधिक फलदायक होता है। यह दिन शक्ति, सुरक्षा, और इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भक्त और देवी की ऊर्जा के बीच संबंध और भी मजबूत हो जाता है। वहीं दस महाविद्याएँ, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूप हैं, सभी आध्यात्मिक सिद्धियों को प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। इनमें से आठवीं महाविद्या माँ बगलामुखी की पूजा शत्रुओं का नाश करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर माँ बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं से होने वाले बड़े खतरे टल जाते हैं, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है, और कानूनी व व्यावसायिक मामलों में सफलता सुनिश्चित होती है।
इसी प्रकार, देवी प्रत्यंगिरा, जो आदि शक्ति का एक शक्तिशाली रूप हैं, उनकी पूजा विनाशकारी शक्तियों को दूर करने, नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभाव को समाप्त करने और भक्तों को बुरे प्रभावों से बचाने के लिए की जाती है। उनकी कृपा से शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इसलिए, इस पवित्र अवसर पर विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। इन अनुष्ठानों में बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ सबसे महत्वपूर्ण है, जिसमें इन दिव्य शक्तियों को आमंत्रित करने के लिए पवित्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन इस कवच पाठ का आयोजन करने से शत्रुओं से सुरक्षा, शक्ति और साहस प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त इस अनुष्ठान की शक्ति बगलामुखी मूल मंत्र के जाप और हवन से और भी अधिक हो जाती है, इसीलिए माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में 25 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा यह विशेष महानुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। आप भी इस विशेष आयोजन में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और मां बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ, 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन में सम्मिलित होकर देवी का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करें।