सनातन धर्म में माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं, क्योंकि यह तिथि महाकुंभ जैसे भव्य और दिव्य आयोजन के साथ मेल खाती है, इसलिए यह तिथि भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शुभ तिथियों में एक मानी जाती है। इसके अलावा इस दौरान विवाह उत्सव काल भी रहता है, इसलिए यह तिथि वैवाहिक जीवन में सामंजस्य, समृद्धि और सुखद भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी विशेष मानी जाती है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि, एकादशी के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव (गुरु ग्रह) की पूजा करने से आर्दश जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन में खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा महाकुंभ षटतिला एकादशी पर विवाह उत्सव काल के दौरान काशी के श्री बृहस्पति मंदिर में विशेष 16,000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जप और सुदर्शन हवन का आयोजन करा रहा है।
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को विवाह का कारक माना जाता है। अगर कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में है, तो आप अपने वैवाहिक जीवन में सुखी रहेंगे, मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा व आपके पार्टनर के साथ कोई विवाद नहीं होगा। लेकिन वहीं, अगर बृहस्पति अशुभ स्थिति में है तो कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है जैसे: विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, पार्टनर के बीच विवाद होना। कुंडली में बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति को कम करने के लिए बृहस्पति देव व भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। बृहस्पति मूल मंत्र देव गुरु बृहस्पति को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। मान्यता है कि एकादशी पर इस मंत्र का जाप करने से बृहस्पति के नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा को बुक करें और देव बृहस्पति द्वारा आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्ते का आनंद पाने का आशीर्वाद प्राप्त करें।