महादेव की नगरी काशी में श्री बृहस्पति मंदिर का विशेष स्थान है। काशी खंड के अनुसार, बृहस्पति (गुरु) से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि ऋषि अंगिरस ने इसी स्थान पर भगवान शिव की उपासना की थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें बृहस्पति अर्थात देवगुरु की उपाधि दी और नवग्रह मंडल में महत्वपूर्ण स्थान भी दिया, तभी से देवगुरु बृहस्पति काशी के इस मंदिर में विराजमान हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-गुरु की युति से बनने वाले योग को गुरु चांडाल योग कहते हैं। इसे बहुत ही अशुभ योग माना गया है क्योंकि इस अशुभ योग के बनने से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, करियर, वैवाहिक जीवन में तनाव आदि।
इस दोष के कारण, व्यक्ति को विचारों में अस्पष्टता व निर्णय लेने में समस्या आने लगती है। जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में क्या करना है, इस बारे में व्यक्ति भ्रमित महसूस करने लगते हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए राहु-गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा और हवन अत्यधिक लाभकारी हैं। ज्योतिष के अनुसार यह पूजा गुरुवार को करनी चाहिए क्योंकि यह गुरु यानि बृहस्पति का दिन है। इसलिए, काशी के श्री बृहस्पति मंदिर में गुरुवार को यह पूजा आयोजित की जाएगी। श्री मंदिर द्वारा इस पूजा में भाग लें और बृहस्पति देव का आशीष पाएं।