🙏 हनुमान जयंती के इस पावन अवसर पर, भगवान शिव 🕉️ और बजरंगबली 🔱 की दिव्य शक्ति का आह्वान करें।✨
हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह दिन केवल बजरंगबली की उपासना के लिए ही नहीं, बल्कि भगवान शिव की आराधना के लिए भी विशेष महत्व रखता है, क्योंकि हनुमान जी को भगवान शिव का अंश अर्थात रुद्रांश माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जब भगवान विष्णु ने राम रूप में अवतार लिया, तो उनकी सेवा और सहायता के लिए भगवान शिव ने हनुमान रूप में अवतार लिया। यही कारण है कि हनुमान जी की निडरता, अपार शक्ति और परम भक्ति, ये सभी गुण उनके भीतर समाए शिव तत्व का प्रमाण माने जाते हैं। हनुमान जी और शिव जी का यह आध्यात्मिक संबंध केवल अवतार और अवतारी का नहीं, बल्कि गुरु और शिष्य की पवित्र भावना का भी प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि जब इन दोनों की एक साथ श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है, तो भक्तों को आत्मिक शांति, सुरक्षा और दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में इन दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए हनुमान पूजा तथा शिव रुद्राभिषेक के संयुक्त अनुष्ठान का विधान बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह अनुष्ठान तब विशेष रूप से फलदायी होता है जब इसे भगवान शिव को समर्पित किसी पवित्र ज्योतिर्लिंग में किया जाए। इसी मान्यता के अनुसार, यह विशेष पूजा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में आयोजित की जा रही है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थान अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा, दिव्यता और शिवतत्व की सघन उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है। यही हनुमान जयंती के इस शुभ अवसर पर यहां की गई पूजा को अत्यंत फलदायक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान पूजा और शिव रुद्राभिषेक से भीतर की सुप्त शक्ति जाग्रत होती है, भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। जैसे हनुमान जी ने समुद्र पार कर धर्म की रक्षा की थी और शिव जी ने हलाहल विष पान कर सृष्टि की रक्षा की, वैसे ही यह पूजा भी जीवन में व्याप्त नकारात्मकता, कठिनाइयों से लड़ने का साहस, संतुलन और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।
हनुमान जन्मोत्सव के इस दुर्लभ और शुभ संयोग को न गवाएँ। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और भगवान हनुमान तथा भगवान शिव की संयुक्त कृपा प्राप्त करें।