🙏महाकुंभ त्रिवेणी संगम में जया एकादशी पर पाएं भगवान शिव एवं श्री हरि का संयुक्त आशीष
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज (सभी तीर्थ स्थलों का राजा) कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। वहीं माघ मास के शुक्ल पक्ष की पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। इसे भीष्म एकादशी या भूमि एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ के पवित्र अवसर पर पड़ने वाली इस त्रिवेणी संगम में जया एकादशी का अद्भुत महत्त्व है। इस दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत फलदायी होता है। इसलिए इस शुभ समय पर श्री हरि को समर्पित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र पाठ एवं भगवान शिव के लिए मनकामेश्वर महादेव रूद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है।
🚩क्यों सभी स्त्रोतों में सर्वोत्तम है सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र पाठ🌸
श्री भृगु ऋषि द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र प्रायः पाठ के बारे में बताया जाता है कि यह भगवान विष्णु की प्रतिमा या यंत्र के सामने बैठकर किया जा सकता है। मान्यता है कि अगर यह पाठ महाकुंभ के दौरान जया एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए किया जाए तो इससे सभी तरह की बाधाएं भी दूर होती है। वहीं, मनकामेश्वर महादेव रूद्राभिषेक करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती है। "मनकामेश्वर" का अर्थ है "इच्छाओं को पूर्ण करने वाले भगवान"। शास्त्रों की मानें तो प्रयागराज में भगवान शिव एवं विष्णु जी की पूजा करने का महत्व और भी अधिक है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि "प्रयाग" नाम स्वयं भगवान विष्णु और त्रिलोकपति शंकर ने दिया था। इसलिए महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर जया एकादशी के शुभ अवसर होने वाले सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र पाठ एवं मनकामेश्वर महादेव रूद्राभिषेक को अत्यंत फलदायी माना जा रहा है। ऐसे में श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और बाधाओं पर नियंत्रण पाने और सभी इच्छाओं की पूर्ति का आशीष प्राप्त करें।