नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी शक्तियों एवं भय से सुरक्षा के लिए अर्धरात्रि विशेष माँ काली तंत्र युक्त यज्ञ
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अर्धरात्रि विशेष

माँ काली तंत्र युक्त यज्ञ

नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी शक्तियों एवं भय से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल
pooja date
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नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी शक्तियों एवं भय से सुरक्षा के लिए अर्धरात्रि विशेष माँ काली तंत्र युक्त यज्ञ

देवी काली अपने भक्तों के जीवन में प्रकाश एवं आशा की किरण लाती हैं, साथ ही नकारात्मकता एवं अंधकार को दूर करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि की रचना से पहले देवी काली अंधकार के रूप में हर तरफ विद्यमान थीं। सृष्टि को प्रारंभ करने के लिए देवी ने एक ज्योति प्रकट की जिसके बाद सब प्रकाशमय हो गया। इस कारण अर्धरात्रि के समय अत्यंत लाभकारी मानी गई है। दिनांक 18 मई 2024, पर अर्धरात्रि विशेष मां काली तंत्र युक्त यज्ञ से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी शक्तियों एवं भय से सुरक्षा का आशीष प्राप्त होता है। इस विशेष यज्ञ में श्री मंदिर द्वारा भाग लेकर मां काली की असीम कृपा प्राप्त करें।

श्री तारापीठ मंदिर,पश्चिम बंगाल

श्री तारापीठ मंदिर,पश्चिम बंगाल
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां तारा की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब समुद्र मंथन के समय विष निकला था, उस दौरान भगवान शिव ने यह विष ग्रहण कर लिया था, जिसके कारण शिवजी के शरीर में अत्याधिक जलन और पीड़ा होने लगी थी। भगवान शिव को पीड़ा से मुक्त करने के लिए मां काली ने दूसरा स्वरूप धारण किया और शिव जी को स्तनपान कराया, जिसके बाद उनके शरीर की जलन शांत हुई थी। इसलिए कहते हैं कि तारा देवी मां काली का ही दूसरा स्वरूप है।

पुराणों के अनुसार पश्चिम बंगाल में स्थित श्री तारापीठ मंदिर तंत्र साधना का जागृत स्थल माना जाता है। 10 महाविद्या में दूसरा स्थान रखने वाली मां तारा यहां अपने सौम्य रूप में विराजित हैं। मान्यता है कि सुदर्शन चक्र से भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर के टुकड़े किए थें। उस दौरान माता सती के अंगों में से आंख की पुतली यहां गिरी थी। बांग्ला में आंख की पुतली को तारा कहते हैं और इसलिए इस जगह का नाम तारापीठ पड़ा। यहां पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी तरह की आपदाएं दूर हो जाती हैं।

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