ज्योतिषशास्त्र में बुध एवं मंगल को शत्रु ग्रह माना जाता है, इसलिए जब ये ग्रह किसी की कुंडली में एक साथ आ जाते हैं तो कई तरह की परेशानियां आने लगती है। बुध ग्रह बुद्धि, संचार, तर्क, मानसिक क्षमताओं और वाणी को नियंत्रित करता है। जबकि कुंडली में कमजोर या पीड़ित बुध आत्मविश्वास की कमी का कारण बनता है। इसके अलावा, बुध को त्वचा का कारक माना जाता है, इसलिए इसके कमजोर होने पर त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं मंगल रक्त से संबंधित है, इसलिए जब यह अशुभ स्थिति में होता है तो रक्त विकार पैदा कर सकता है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
माना जाता है कि आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध है, इसलिए इस नक्षत्र के दौरान बुध की पूजा करने से बुध के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, मंगल ग्रह मंगलवार को नियंत्रित करता है, इसलिए इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए मंगल की पूजा करना अत्यंत लाभकारी है। अत: आश्लेषा नक्षत्र एवं मंगलवार के शुभ संयोग में उज्जैन के श्री मंगलनाथ महादेव मंदिर में 17,000 बुध मूल मंत्र, 7,000 मंगल मूल मंत्र जाप एवं बुध मंगल शांति हवन का आयोजन किया जाएगा। इस विशेष पूजा में भाग लें और त्वचा रोगों से निजात पाएं एवं आत्मविश्वास प्राप्त करें।