हिंदु पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक वर्ष में कुल बारह मासिक शिवरात्रि होती हैं। हालांकि, श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास देवों के देव महादेव को समर्पित है। श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि के दौरान भक्त भगवान शिव की विधि-विधान और भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान शिव की पूजा कई प्रकार से की जा सकती है, जिनमें उनका अभिषेक करना बहुत ही शुभ और अत्यंत फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि अभिषेक के द्वारा शिव को प्रसन्न करने से असंभव को भी संभव करने की शक्ति प्राप्त होती है। शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, निशीथ काल में ही भगवान शिव शिवलिंग के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। आचार्यों की मानें तो इस साल श्रावण शिवरात्रि पर निशीथ काल रात्रि 12:06 बजे से शुरू होकर 12:49 बजे तक रहेगा। ऐसा माना जाता है कि निशीथ काल में अभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं। इस अभिषेक पूजा का महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह महाकाल की नगरी उज्जैन में किया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि यहां के कण-कण में भगवान शिव का वास है। इसलिए महाकाल की नगरी उज्जैन में श्रावण शिवरात्रि पर निशीथ काल अभिषेक पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव से अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद प्राप्त करें।