👉महाकुंभ शाही स्नान पर पाएं पापी ग्रह के अशुभ प्रभावों से मुक्ति 🙏
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस बार महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिसमें पांचवा शाही स्नान पूर्णिमा के शुभ अवसर पर होगा, जो कि 12 फरवरी को होने वाला है। इस पावन अवसर पर राहु-केतु दोष निवारण महायज्ञ एवं शनि-मंगल शांति पूजा का विशेष आयोजन किया जा रहा है, जो जीवन में संघर्षों और दुर्भाग्य को समाप्त करने में सहायक है। राहु व केतु की उत्पत्ति समुद्र मंथन की दिव्य कथा से जुड़ी है, जब राक्षस स्वरभानु ने अमृतपान के लिए देवताओं से छल किया, तभी भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन अमृत के प्रभाव से उसका सिर राहु और धड़ केतु बनकर अमर हो गए। कहा जाता है कि राहु भौतिकवाद से जुड़े भ्रम, जुनून और बुरे कर्मों का प्रतीक है, जबकि केतु आध्यात्मिक मुक्ति और पूर्व जन्म के कर्मों को दर्शाता है। ऐसे में इस विशेष अनुष्ठान के माध्यम से राहु-केतु के दुष्प्रभावों को शांत किया जा सकता है।
वहीं, शनि और मंगल जैसे ग्रह की बात करें तो ज्योतिष विद्या में बताया गया है कि ये जीवन में कठिनाइयों, विलंब और संघर्षों का कारण बन सकते हैं। इसलिए शाही स्नान वाले शुभ दिन पर राहु-केतु दोष निवारण महायज्ञ के माध्यम से इन ग्रहों के अशुभ स्थिति को संतुलित किया जा सकता है। मान्यता है कि शनि, सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता, हमारे कर्मों के अनुसार न्याय करते हैं, लेकिन जब उनकी स्थिति प्रतिकूल होती है तो यह दुर्भाग्य और कष्टों का कारण बन सकती है। जबकि मंगल, ब्रह्मांडीय ऊर्जा का सेनापति, शक्ति और उत्साह का प्रतीक है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव से विवाद, दुर्घटनाएं बढ़ सकते हैं। इसलिए इस शुभ समय पर राहु-केतु दोष निवारण महायज्ञ एवं शनि-मंगल शांति पूजा से इन ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं, कर्म संतुलित होता है और जीवन में सौभाग्य, स्थिरता और शांति आती है। इसलिए शाही स्नान के शुभ दिन पर महाकुंभ नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर राहु-केतु दोष निवारण महायज्ञ एवं शनि-मंगल शांति पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में अवश्य भाग लें।