इस अक्षय तृतीया पर, अपने आप को सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त करें और ऋण मुक्ति और समृद्धि के लिए शिव-लक्ष्मी-वेंकटेश्वर पूजा में भाग लेकर दिव्य समृद्धि को आमंत्रित करें। 🙏🌺
🛕 पवित्र तिरुपति तीर्थ क्षेत्र, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ में आयोजित, यह पूर्ण कर्म और वित्तीय मुक्ति पाने का एक दुर्लभ अवसर न गवाएं🌿
अक्षय तृतीया, जिसे अखा तीज भी कहा जाता है, सनातन धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक है। "अक्षय" शब्द का अर्थ होता है “कभी न समाप्त हो”। यह दर्शाता है कि इस दिन जो भी कार्य शुरू किया जाता है या जो भी पूजा की जाती है, वह अत्यंत फलदायी होती है और उसका प्रभाव स्थायी व दीर्घकालिक समय तक बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया था। जोकि एक ऐसा दिव्य पात्र जिससे कभी भोजन समाप्त नहीं होता। इसलिए यह दिन दरिद्रता मिटाने और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस पवित्र अवसर की पूर्ण शक्ति को प्राप्त करने के लिए, श्री मंदिर की ओर से एक विशेष त्रिदेव अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है:
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर: यहाँ भगवान "ऋण विमोचन लिंगेश्वर" की पूजा की जाती है, जो शिव का ऐसा रूप है जो आर्थिक, पारिवारिक और पितृ ऋणों को नष्ट करने के लिए जाना जाता है। उनका नाम ही है — “ऋण से मुक्ति दिलाने वाले।” मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन इनकी पूजा करने से केवल आर्थिक ऋण ही नहीं, बल्कि भावनात्मक बोझ और पूर्वजन्म के कर्मबंधन भी समाप्त हो जाते हैं।
शक्तिपीठ महालक्ष्मी मंदिर में: यहाँ "दरिद्र-दहन लक्ष्मी पूजा" की जाती है, जिसमें मां लक्ष्मी के उस रूप का आह्वान किया जाता है जो दरिद्रता और दुर्भाग्य को जला देती हैं। मां लक्ष्मी न केवल धन देती हैं, बल्कि करुणा और आध्यात्मिक संतुलन के साथ उसे बनाए भी रखती हैं — जिससे भक्त को धर्मयुक्त समृद्धि और भावनात्मक शांति प्राप्त होती है।
तिरुपति तीर्थ क्षेत्र में: यहाँ भगवान वेंकटेश्वर को विशेष अर्पण किया जाता है, जिन्हें “दिव्य ऋणकर्ता” भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान ने कुबेर से एक स्वर्गिक ऋण लिया था और वचन दिया कि वे कलियुग के अंत तक भक्तों की भेंट के माध्यम से उसे चुकाएँगे। ऐसा माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर ही वित्तीय ऋण के दर्द को समझते हैं और इससे मुक्ति का वरदान देते हैं। उनकी सेवा में अर्पित हर एक सिक्का, पापों को धोता है और स्थायी संपत्ति को आकर्षित करता है।
श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस शिव-लक्ष्मी-विष्णु संयुक्त पूजा में भाग लेकर ऋण मुक्ति, धन की रक्षा और दीर्घकालिक समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें। तिरुपति, ओंकारेश्वर और शक्तिपीठ की दिव्य ऊर्जा इस अक्षय तृतीया पर आपके वित्तीय भाग्य को सकारात्मक रूप से बदल सकती है।