Diwali Aarti | दीपावली विशेष मंत्र एवं आरती

दीपावली विशेष मंत्र एवं आरती

दीपावली पर जानें खास मंत्र और आरती! इस दिवाली अपने घर में लाएं खुशियों और समृद्धि का उजाला!


दीपावली विशेष मंत्र एवं आरती संग्रह | Diwali Aarti

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बहुत सारे मंत्र-आरतियों का जाप किया जाता है। इन मंत्रों और आरतियों के विधिवत जाप से जातकों के जीवन से धन की कमी दूर हो जाती है। हम आपको मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके कुछ प्रभावी मंत्र और आरती इस लेख में लेकर आए हैं।

श्री गणेश जी का मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

मंत्र का अर्थ:

हे टेढ़ी सूंढ और विशालकाय शरीर वाले करोड़ों सूर्य की तरह तेजस्वी भगवान श्री गणेश आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें, ताकि मेरे किसी भी काम में कोई बाधा ना आये और सफलता पूर्वक मेरे सारे कार्य संपन्न हो सके। आपकी कृपा दृष्टि मुझपर सदा बनी रहे।

मंत्र का लाभ:

हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी के इस मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र के जाप से कार्य में सफलता मिलता है। ये मंत्र भगवान गणेश के उपासकों के लिए विशेष फलफदायी होता है।

श्री लक्ष्मी माता का मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

मंत्र का अर्थ:

यह महालक्ष्मी का मूल मंत्र है। श्री का अर्थ ही है लक्ष्मी। कमल के फूल में निवास करनेवाली, उसी कमल को अपना निवास माननेवाली माँ लक्ष्मी आप मुझ पर प्रसन्न हो। श्रीस्वरूप महालक्ष्मी आपको मेरा प्रणाम है।

मंत्र का लाभ:

माता लक्ष्मी के इस मंत्र के जाप से कर्ज या धन संबंधी परेशानियां दूर होती है।

श्री सरस्वती माता का मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ||

मंत्र का अर्थ:

मां सरस्वती को मेरा प्रणाम है।

मंत्र का लाभ:

इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि और वाणी की शक्ति बढ़ती है।

आरती संग्रह

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी । कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

श्री लक्ष्मी माता की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता। सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता। सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता। खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

श्री सरस्वती माता की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

चन्द्रबदनी पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी । सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला । शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया । पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो । मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो । ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॥ जय सरस्वती माता…॥

मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे । हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥ जय जय सरस्वती माता…॥

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

श्री विष्णु आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे || ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी स्वामी शरण गहूं मैं किसकी तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी || ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी स्वामी तुम अंतर्यामी पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी || ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता स्वामी तुम पालनकर्ता मैं मूरख खल कामी , कृपा करो भर्ता || ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति || ॐ जय जगदीश हरे

दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे || ॐ जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा || ॐ जय जगदीश हरे

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे || ॐ जय जगदीश हरे

अगर आपको मां लक्ष्मी की कृपा अपने जीवन में चाहिए तो हर रोज पूजा अर्चना के बाद इनका जप करना चाहिए। इनके जाप से जीवन में धन की कमी पूरी होती है।

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