Gurudev Aarti | गुरुदेव आरती | Gurudev Ji Ki Aarti, Lyrics in Hindi

गुरुदेव जी की आरती

गुरुदेव की आरती गुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का एक उत्तम मार्ग है, जिससे जीवन में ज्ञान, मार्गदर्शन और सफलता प्राप्त होती है।


गुरुदेव आरती | Gurudev Ji Ki Aarti

सनातन धर्म के अनुसार जो व्यक्ति गुरूदेव की आरती करता है, उसे कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त होता है। और साथ ही व्यक्ति को अनंत में प्रवेश मिलता है। अपने गुरू की नित्य आरती पढ़ने व सुननें से व्यक्ति को परमपद की प्राप्ति होती है। तो आइए पढ़ते हैं गुरूदेव की आरती।

गुरुदेव जी की आरती | Gurudev Aarti

जय गुरुदेव दयानिधि, दीनन हितकारी, स्वामी भक्तन हितकारी, जय जय मोह विनाशक, भव बंधन हारी, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, गुरु मूरति धारी, वेद पुराण बखानत, गुरु महिमा भारी, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

जप तप तीरथ संयम, दान बिबिध दीजै, गुरु बिन ज्ञान न होवे, कोटि जतन कीजै, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

माया मोह नदी जल, जीव बहे सारे, नाम जहाज बिठा कर, गुरु पल में तारे, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

काम क्रोध मद मत्सर, चोर बड़े भारे, ज्ञान खड्ग दे कर में, गुरु सब संहारे, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

नाना पंथ जगत में, निज निज गुण गावे, सबका सार बताकर, गुरु मारग लावे, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

पाँच चोर के कारण, नाम को बाण दियो, प्रेम भक्ति से सादा, भव जल पार कियो, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

गुरु चरणामृत निर्मल, सब पातक हारी, बचन सुनत तम नाशे, सब संशय हारी, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

तन मन धन सब अर्पण, गुरु चरणन कीजै, ब्रह्मानंद परम पद, मोक्ष गति लीजै, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

श्री सतगुरुदेव की आरती, जो कोई नर गावै, भव सागर से तरकर, परम गति पावै, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

जय गुरुदेव दयानिधि, दीनन हितकारी, स्वामी भक्तन हितकारी, जय जय मोह विनाशक, भव बंधन हारी, ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

!जय गुरूदेव!

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