ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare | Anuradha paudwal Om Jai Jagdish Hare Lyrics

ॐ जय जगदीश हरे आरती

अनुराधा पौडवाल द्वारा गाए गए 'ॐ जय जगदीश हरे' भजन को सुनें। इस आरती के सुंदर बोल पढ़ें और भक्तिमय प्रार्थना में डूब जाएं।


ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare

"ॐ जय जगदीश हरे" आरती एक ऐसा ज़रिया है जिसके माध्यम से आप भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और आस्था व्यक्त करते हैं। इस आरती में भगवान विष्णु के अनेकों गुणों का वर्णन किया गया है, जो उन्हें समस्त जगत के पालनहार के रूप में स्थापित करते हैं। जब आप इसे गाते हैं, तो आपके मन में श्रद्धा और प्रेम पैदा होता है और आपके आसपास का वातावरण भी पवित्र हो जाता है। यह आरती आपके जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाने का काम करती है, साथ ही आपके जीवन में आने वाली कठिनाइयों को भी दूर करने में सहायक होती है।

ॐ जय जगदीश हरे लिरिक्स | Om Jai Jagdish Hare Lyrics

ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,

दुःख बिनसे मन का,

स्वामी दुःख बिनसे मन का ।

सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,

कष्ट मिटे तन का ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,

शरण गहूं किसकी,

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।

तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,

आस करूं मैं जिसकी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी,

स्वामी तुम अन्तर्यामी ।

पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,

तुम सब के स्वामी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,

तुम पालनकर्ता,

स्वामी तुम पालनकर्ता ।

मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भर्ता॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,

सबके प्राणपति,

स्वामी सबके प्राणपति ।

किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

ठाकुर तुम मेरे,

स्वामी रक्षक तुम मेरे ।

अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,

द्वार पड़ा तेरे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,

पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥

आरती करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • आरती करते समय मन को शुद्ध रखें और भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव रखें। भावनाओं के साथ गाएं ताकि आपकी आराधना अधिक प्रभावशाली हो।
  • आरती करते समय सीधे खड़े रहें या बैठें। अपनी आंखें बंद करके भगवान के दर्शन पर ध्यान केंद्रित करें।
  • आरती के लिए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। दीपक को धीरे-धीरे घुमाते हुए आरती करें।
  • आरती के दौरान किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें, जैसे कि दीपक की ज्वाला या भगवान की मूर्ति।
  • आरती के शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें।
  • आरती को नियमित रूप से करें। इससे आपकी आस्था मजबूत होगी और आप भगवान से अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे।
  • आरती करते समय स्वच्छ कपड़े पहनें और शरीर को साफ रखें।
  • आरती के दौरान शांत और शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें।
  • अगर संभव हो तो समूह में आरती करें। इससे आपकी आस्था और अधिक मजबूत होगी और आप दूसरों के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे।
  • आरती करते समय मन को शांत रखें। कोई भी चिंता या तनाव को भूलकर भजन में पूरी तरह से डूब जाएं।

आरती करने के फायदे

  • आरती करते समय हम भगवान के चरणों में समर्पित हो जाते हैं। इससे मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  • आरती करते समय हम एकाग्रचित होते हैं और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।
  • आरती में दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • आरती करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति सकारात्मक भावनाओं से भर जाता है।
  • आरती करने से ईश्वर से जुड़ाव का अनुभव होता है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • आरती में परिवार के सभी सदस्य एक साथ होते हैं, जिससे पारिवारिक बंधन मजबूत होता है।
  • आरती करना हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है और इससे हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं।

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