शुक्रवार आरती | Friday Aarti

शुक्रवार आरती

शुक्रवार की विशेष आरती 'आरती महालक्ष्मी जी की' का पाठ करें और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें।


शुक्रवार आरती | Friday Aarti

शुक्रवार के दिन को माता संतोषी एवं माता लक्ष्मी का दिन कहा जाता है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी और संतोषी मां का पूजन करने वो प्रसन्न होती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

इसके अलावा पूजा और अर्चना के साथ ही जो भी संतोषी मां एवं लक्ष्मी माता की आरती करते हैं, मां उनके सभी दुखों को दूर कर उसके जीवन में शांति और वैभव की स्थापना करती हैं। आइए हम सभी मिलकर उनकी आरती कर पुण्यलाभ लें।

।।श्री शुक्रवार आरती- माता संतोषी।।

यहां वहां जहां तहां, मत पूछो कहां-कहां है संतोषी मां
अपनी संतोषी मां, अपनी संतोषी मां..

जल में भी थल में भी,
चल में अचल में भी,
अतल वितल में भी मां।
अपनी संतोषी मां, अपनी संतोषी मां..

बड़ी अनोखी चमत्कारिणी, ये अपनी माई।
राई को पर्वत कर सकती, पर्वत को राई।।
द्धार खुला दरबार खुला है, आओ बहन भाई।
इस के दर पर कभी दया की कमी नहीं आई।।
पल में निहाल करे,
दुःख का निकाल करे,
तुरंत कमाल करे मां।
अपनी संतोषी मां, अपनी संतोषी मां..

इस अम्बा में जगदम्बा में, गज़ब की है शक्ति।
चिंता में डूबे हुय लोगो, कर लो इस की भक्ति।।
अपना जीवन सौंप दो इस को, पा लो रे मुक्ति।
सुख सम्पति की दाता ये मां, क्या नहीं कर सकती।।
बिगड़ी बनाने वाली,
दुखड़े मिटाने वाली,
कष्ट हटाने वाली मां।
अपनी संतोषी मां, अपनी संतोषी मां…

गौरी सुत गणपति की बेटी, ये है बड़ी भोली।
देख – देख कर इस का मुखड़ा, हर इक दिशा डोली।।
आओ रे भक्तो ये माता है, सब की हमजोली।
जो मांगोगे तुम्हें मिलेगा, भर लो रे झोली।।
उज्जवल-उज्जवल, निर्मल-निर्मल सुन्दर-सुन्दर मां।
अपनी संतोषी मां, अपनी संतोषी मां..

माता संतोषी के अलावा आप मां लक्ष्मी जी की आरती भी कर उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

।।श्री शुक्रवार आरती- माता लक्ष्मी।।

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

पाएं सभी आरती का संग्रह सिर्फ श्री मंदिर साहित्य पर।

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