वैष्णव जन तो तेने कहिये भजन | Vaishnav Jan To Tene Kahiye Bhajan
"वैष्णव जन तो तेने कहिये" एक प्रसिद्ध भजन है, जिसे संत नरसी मेहता ने रचा था। यह भजन एक सच्चे वैष्णव या धर्मपरायण व्यक्ति के गुणों का वर्णन करता है।
तुम्हारे लिए इसका मतलब यह है कि अगर तुम सच्चे वैष्णव बनना चाहते हो, तो तुम्हें करुणा, सहिष्णुता और दूसरों की सेवा जैसे गुणों को अपनाना होगा। इसमें कहा गया है कि एक सच्चा वैष्णव वह होता है जो दूसरों के दुख को अपना समझता है, अहंकार से दूर रहता है, और हमेशा सच्चाई और दयालुता के मार्ग पर चलता है।
यह भजन तुम्हें यह सिखाता है कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। अगर तुम इन गुणों को अपने जीवन में उतारते हो, तो तुम सही मायने में एक सच्चे वैष्णव बन सकते हो।
वैष्णव जन तो तेने कहिये लिरिक्स | Vaishnav Jan To Tene Kahiye Lyrics
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
पर दुःखे उपकार करे तो ये,
मन अभिमान न आणे रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
सकल लोकमां सहुने वंदे,
निंदा न करे केनी रे ।
वाच काछ मन निश्चळ राखे,
धन धन जननी तेनी रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,
परस्त्री जेने मात रे ।
जिह्वा थकी असत्य न बोले,
परधन नव झाले हाथ रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
मोह माया व्यापे नहि जेने,
दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।
रामनाम शुं ताली रे लागी,
सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
वणलोभी ने कपटरहित छे,
काम क्रोध निवार्या रे ।
भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,
कुल एकोतेर तार्या रे ॥
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।
पर दुःखे उपकार करे तो ये,
मन अभिमान न आणे रे ॥