गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा और विश्वास से पढ़ें बृहस्पति चालीसा। इसके पाठ से मिलती है बुद्धि, भाग्य और जीवन में शुभता।
बृहस्पति चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो देवगुरु बृहस्पति (गुरु ग्रह) को समर्पित है। इसमें 40 चौपाइयों और एक दोहे के माध्यम से बृहस्पति देव की महिमा, ज्ञान, शक्ति और उपकारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। हिन्दू धर्म में गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को समर्पित माना जाता है, और इस दिन चालीसा का पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
बृहस्पति चालीसा देवगुरु बृहस्पति (गुरु ग्रह) को समर्पित एक भक्तिपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें 40 चौपाइयाँ और एक दोहा शामिल हैं। इस स्तुति में बृहस्पति देव की महिमा और उनके ज्ञान स्वरूप का सुंदर वर्णन है। नियमित पाठ से बुद्धि में निखार आता है और जीवन में शुभता बढ़ती है।
आइए जानते हैं, बृहस्पति चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ मिलते हैं और यह जीवन में क्यों इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
गुरु दोष निवारण- बृहस्पति चालीसा के नियमित पाठ से कुंडली में मौजूद गुरु दोष शमन होते हैं।
बुद्धि एवं विवेक वृद्धि- पाठ से देवगुरु की कृपा से बुद्धि तेज होती है और विवेक बढ़ता है।
आर्थिक समृद्धि- इससे धन-लाभ में वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
करियर में सफलता- गुरु ग्रह की शक्ति से नौकरी व व्यापार दोनों में सफलता मिलती है।
मांगलिक कार्यों में शुभता- मांगलिक अनुष्ठानों जैसे विवाह या गृह प्रवेश में गुरु की विशेष कृपा रहती है।
मनोकामना पूर्ति- श्रद्धापूर्वक पाठ करने पर इच्छित फल और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
संकट मोचन- पाठ से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और संकटों से मुक्ति मिलती है।
आत्मिक शांति- ध्यान-मनन के साथ जाप करने से आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
स्वास्थ्य लाभ- गुरु की कृपा से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
आध्यात्मिक उन्नति- निरंतर पाठ आत्मशुद्धि कर उच्चतर आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान ।
श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन ॥
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान ।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान ॥
जय नारायण जय निखिलेशवर ।
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर ॥
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता ।
भारत भू के प्रेम प्रेनता ॥
जब जब हुई धरम की हानि ।
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी ॥
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे ।
सिद्धाश्रम से आप पधारे ॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा ।
ओय करन धरम की रक्षा ॥
अबकी बार आपकी बारी ।
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी ॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा ।
मुल्तानचंद पिता कर नामा ॥
शेषशायी सपने में आये ।
माता को दर्शन दिखलाये ॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक ।
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख ॥
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की ।
पूजा करते आराधक की ॥
जन्म वृतन्त सुनाये नवीना ।
मंत्र नारायण नाम करि दीना ॥
नाम नारायण भव भय हारी ।
सिद्ध योगी मानव तन धारी ॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित ।
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित ॥
एक बार संग सखा भवन में ।
करि स्नान लगे चिन्तन में ॥
चिन्तन करत समाधि लागी ।
सुध-बुध हीन भये अनुरागी ॥
पूर्ण करि संसार की रीती ।
शंकर जैसे बने गृहस्थी ॥
अदभुत संगम प्रभु माया का ।
अवलोकन है विधि छाया का ॥
युग-युग से भव बंधन रीती ।
जंहा नारायण वाही भगवती ॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी ।
तब हिमगिरी गमन की ठानी ॥
अठारह वर्ष हिमालय घूमे ।
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें ॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन ।
करम भूमि आये नारायण ॥
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी ।
जय गुरुदेव साधना पूंजी ॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा ।
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ॥
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा ।
भारत का भौतिक उजियारा ॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता ।
सीधी साधक विश्व विजेता ॥
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता ।
भुत-भविष्य के आप विधाता ॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर ।
षोडश कला युक्त परमेश्वर ॥
रतन पारखी विघन हरंता ।
सन्यासी अनन्यतम संता ॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया ।
पारद का शिवलिंग बनाया ॥
वेद पुराण शास्त्र सब गाते ।
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते ॥
पूजा कर नित ध्यान लगावे ।
वो नर सिद्धाश्रम में जावे ॥
चारो वेद कंठ में धारे ।
पूजनीय जन-जन के प्यारे ॥
चिन्तन करत मंत्र जब गायें ।
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें ॥
मंत्र नमो नारायण सांचा ।
ध्यानत भागत भुत-पिशाचा ॥
प्रातः कल करहि निखिलायन ।
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन ॥
निर्मल मन से जो भी ध्यावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे ॥
पथ करही नित जो चालीसा ।
शांति प्रदान करहि योगिसा ॥
अष्टोत्तर शत पाठ करत जो ।
सर्व सिद्धिया पावत जन सो ॥
श्री गुरु चरण की धारा ।
सिद्धाश्रम साधक परिवारा ॥
जय-जय-जय आनंद के स्वामी ।
बारम्बार नमामी नमामी ॥
शुभ मुहूर्त: गुरुवार के प्रातःकाल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पाठ करना उत्तम होता है।
साफ सफाई पाठ के स्थान को पूरी तरह साफ-सुथरा रखें और पीले रंग के शुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा-अर्चना करें।
मूर्ति/चित्र स्थापना: एक शांत स्थान पर पीले वस्त्र पर बृहस्पति देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा सामग्री: दीप, धूप, पुष्प, फल-फूल व जल अरथात नैवेद्य अर्पित करें।
प्रथम दोहा: पाठ की शुरुआत सर्वप्रथम दोहा के भावपूर्ण जाप से करें।
चौपाइयों का पाठ: उसके पश्चात् क्रमशः 40 चौपाइयां स्पष्ट उच्चारण से पढ़ें।
उच्चारण शुद्धता: प्रत्येक शब्द को सही व भाव-निष्ठा के साथ जपें।
जपमाला उपयोग: 108 मनकों वाली जपमाला से पाठ की गिनती व गति नियंत्रित रखें।
ध्यान-मनन: पाठ के दौरान बृहस्पति देव के गुण, रूप व कृपा पर ध्यान केंद्रित रखें।
समापन: अंत में प्रसाद अर्पित कर भगवान को धन्यवाद ज्ञापित करें।
गुरुदोष शमन: बृहस्पति चालीसा का नियमित पाठ करने से कुंडली में मौजूद गुरु ग्रह के दोष शांत होते हैं।
बुद्धि एवं विवेक वृद्धि: गुरु देव की कृपा से मन एकाग्र होता है, जिससे विवेक और निर्णय शक्ति मजबूत होती है।
आर्थिक समृद्धि: पाठ से आर्थिक अवरोध दूर होकर धन-लाभ और व्यावसायिक सफलता के अवसर बढ़ते हैं।
करियर में उन्नति : गुरु ग्रह की अनुकूलता से नौकरी, पदोन्नति और व्यवसाय में तरक्की होती है।
विवाह एवं मांगलिक कार्यों में शुभता: घर-गृहस्थी के मांगलिक कर्म जैसे विवाह या गृह-प्रवेश में विशेष शुभ लाभ होते हैं।
संकट मोचन: कठिनाइयाँ और असफलताएँ कम होकर जीवन सुगम और संरक्षित बनता है।
आत्मिक शांति: ध्यान-मनन के साथ पाठ करने से आंतरिक तनाव कम होता है और मन को स्थिरता मिलती है।
स्वास्थ्य लाभ: गुरु देव की कृपा से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और मजबूती आती है।
आध्यात्मिक उन्नति: निरंतर पाठ आत्मशुद्धि कर उच्चतर आध्यात्मिक अनुभव एवं आत्मज्ञान का मार्ग प्रशस्त करता है।
सामाजिक प्रतिष्ठा: गुरु देव का स्मरण एवं भक्तिभाव समाज में सम्मान और आदर में वृद्धि लाता है।
Did you like this article?
मां पार्वती के गौरी स्वरूप की कृपा पाने के लिए पढ़ें संपूर्ण गौरी चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलता है सौभाग्य, वैवाहिक सुख और मन की शांति।
श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप की कृपा पाने के लिए पढ़ें संपूर्ण गोपाल चालीसा। सरल हिंदी में पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलता है प्रेम, शांति और आध्यात्मिक सुख।
मां गायत्री की कृपा पाने के लिए पढ़ें संपूर्ण गायत्री चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। रोज़ाना पाठ से दूर करें जीवन की बाधाएं।