108 तुलसी माता के नाम
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108 तुलसी माता के नाम

क्या आप जानते हैं तुलसी माता के 108 नाम? इन्हें जपने से मिलती है दैवीय कृपा और जीवन में सकारात्मकता। जानिए पूरी सूची और मंत्र।

108 तुलसी माता के नाम के बारे में

108 तुलसी माता के नामों का जाप करने से जीवन में शुद्धता, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, और उनके नामों के स्मरण से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इन नामों का जाप व्यक्ति को रोग, दरिद्रता और मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करता है।

108 तुलसी नाम

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का स्वरूप मानकर इसकी पूजा करने का विधान है। पुराणों के अनुसार हर घर में तुलसी का पौधा होना अनिवार्य माना गया है। तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए इन्हें हरिप्रिया भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सदैव माता लक्ष्मी निवास करती हैं, और सुख समृद्धि ही बनी रहती है।

तुलसी पूजा और घर में तुलसी का महत्व

घर में तुलसी का महत्व

सनातन धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि घर में तुलसी होने से सुख सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है, और घर की नकारात्मकता समाप्त होती है। हिंदू धर्म के कई अनुष्ठानों में तुलसी पत्र का प्रयोग अनिवार्य माना गया है। भगवान विष्णु, श्री कृष्ण और भगवान श्री राम की पूजा तुलसी दल के बिना अधूरी मानी जाती है। यहां तक कि बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु भक्तों द्वारा अर्पित किया गया भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

आपको बता दें की मृत्यु के समय भी मरणासन्न व्यक्ति के मुख में तुलसी दल और गंगाजल डाला जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इससे मृत आत्मा को शांति मिलती है, और भगवान विष्णु के श्री चरणों में स्थान मिलता है।

तुलसी पूजा विधि

घर में लगी तुलसी की प्रतिदिन पूजा करना विशेष महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप सबसे पहले नित्य कर्म व स्नान से निवृत हो जाएं, फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके तुलसी को जल अर्पित करें। इसके बाद तुलसी को फूल सिंदूर फल व नैवेद्य चढ़ाएं। सारी सामग्री अर्पित करने के बाद तुलसी के वृक्ष के पास गाय के घी का दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी स्त्रोत का पाठ करें और अंत में आरती करें।

घर में तुलसी होने पर आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि सूरज ढलने के बाद कभी भी तुलसी के पत्ते ना तोड़ें। आप दिन के समय तुलसी के पत्ते तोड़ सकते हैं। तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले माता तुलसी को प्रणाम करें और ध्यान रहे कि पत्ते नाखून से ना तोड़ें। माता तुलसी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करते समय चावल का आसन बनाएं, और उसी पर दीपक रखें। एक बात का और ध्यान रखें कि स्त्रियां कभी अपने बाल खुले रखकर तुलसी की पूजा ना करें।

108 तुलसी नामों का जाप कैसे करें

तुलसी मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहने और ईष्टदेव की पूजा करें। इसके बाद मां तुलसी को प्रणाम करें, और उन्हें शुद्ध जल अर्पित करें।

फिर मां तुलसी के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। इसके बाद मां तुलसी को श्रृंगार का समान चढ़ाएं और सिन्दूर-हल्दी अर्पित करें। फिर मां तुलसी की आराधना करते हुए 7 परिक्रमा करें। इसके बाद तुलसी मंत्र का जाप शुरू करें।

तुलसी मंत्र का जाप करने से पहले कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें। जैसे कि जाप शुरू करने से पहले ईष्टदेव की पूजा जरूर करें। तुलसी मंत्र का जाप करते समय मंत्रों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। इसके अलावा तुलसी मंत्र का जाप करते समय तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। जाप करते समय आपके मन शुद्ध और एकाग्र होना चाहिए। इसके साथ ही एक और बात का ध्यान रहे कि तुलसी मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन न करें।

108 तुलसी के नाम

S.No

तुलसी मंत्र

1

ॐ श्री तुलस्यै नमः।

2

ॐ नन्दिन्यै नमः।

3

ॐ देव्यै नमः।

4

ॐ शिखिन्यै नमः।

5

ॐ धारिण्यै नमः।

6

ॐ धात्र्यै नमः।

7

ॐ सावित्र्यै नमः।

8

ॐ सत्यसन्धायै नमः।

9

ॐ कालहारिण्यै नमः।

10

ॐ गौर्यै नमः।

11

ॐ देवगीतायै नमः।

12

ॐ द्रवीयस्यै नमः।

13

ॐ पद्मिन्यै नमः।

14

ॐ सीतायै नमः।

15

ॐ रुक्मिण्यै नमः।

16

ॐ प्रियभूषणायै नमः।

17

ॐ श्रेयस्यै नमः।

18

ॐ श्रीमत्यै नमः।

19

ॐ मान्यायै नमः।

20

ॐ गौर्यै नमः।

21

ॐ गौतमार्चितायै नमः।

22

ॐ त्रेतायै नमः।

23

ॐ त्रिपथगायै नमः।

24

ॐ त्रिपादायै नमः।

25

ॐ त्रैमूर्त्यै नमः।

26

ॐ जगत्रयायै नमः।

27

ॐ त्रासिन्यै नमः।

28

ॐ गात्रायै नमः।

29

ॐ गात्रियायै नमः।

30

ॐ गर्भवारिण्यै नमः।

31

ॐ शोभनायै नमः।

32

ॐ समायै नमः।

33

ॐ द्विरदायै नमः।

34

ॐ आराद्यै नमः।

35

ॐ यज्ञविद्यायै नमः।

36

ॐ महाविद्यायै नमः।

37

ॐ गुह्यविद्यायै नमः।

38

ॐ कामाक्ष्यै नमः।

39

ॐ कुलायै नमः।

40

ॐ श्रीयै नमः।

41

ॐ भूम्यै नमः।

42

ॐ भवित्र्यै नमः।

43

ॐ सावित्र्यै नमः।

44

ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः।

45

ॐ शंखिन्यै नमः।

46

ॐ चक्रिण्यै नमः।

47

ॐ चारिण्यै नमः।

48

ॐ चपलेक्षणायै नमः।

49

ॐ पीताम्बरायै नमः।

50

ॐ प्रोत सोमायै नमः।

51

ॐ सौरसायै नमः।

52

ॐ अक्षिण्यै नमः।

53

ॐ अम्बायै नमः।

54

ॐ सरस्वत्यै नमः।

55

ॐ सम्श्रयायै नमः।

56

ॐ सर्व देवत्यै नमः।

57

ॐ विश्वाश्रयायै नमः।

58

ॐ सुगन्धिन्यै नमः।

59

ॐ सुवासनायै नमः।

60

ॐ वरदायै नमः।

61

ॐ सुश्रोण्यै नमः।

62

ॐ चन्द्रभागायै नमः।

63

ॐ यमुनाप्रियायै नमः।

64

ॐ कावेर्यै नमः।

65

ॐ मणिकर्णिकायै नमः।

66

ॐ अर्चिन्यै नमः।

67

ॐ स्थायिन्यै नमः।

68

ॐ दानप्रदायै नमः।

69

ॐ धनवत्यै नमः।

70

ॐ सोच्यमानसायै नमः।

71

ॐ शुचिन्यै नमः।

72

ॐ श्रेयस्यै नमः।

73

ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः।

74

ॐ विभूत्यै नमः।

75

ॐ आकृत्यै नमः।

76

ॐ आविर्भूत्यै नमः।

77

ॐ प्रभाविन्यै नमः।

78

ॐ गन्धिन्यै नमः।

79

ॐ स्वर्गिन्यै नमः।

80

ॐ गदायै नमः।

81

ॐ वेद्यायै नमः।

82

ॐ प्रभायै नमः।

83

ॐ सारस्यै नमः।

84

ॐ सरसिवासायै नमः।

85

ॐ सरस्वत्यै नमः।

86

ॐ शरावत्यै नमः।

87

ॐ रसिन्यै नमः।

88

ॐ काळिन्यै नमः।

89

ॐ श्रेयोवत्यै नमः।

90

ॐ यामायै नमः।

91

ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः।

92

ॐ श्यामसुन्दरायै नमः।

93

ॐ रत्नरूपिण्यै नमः।

94

ॐ शमनिधिन्यै नमः।

95

ॐ शतानन्दायै नमः।

96

ॐ शतद्युतये नमः।

97

ॐ शितिकण्ठायै नमः।

98

ॐ प्रयायै नमः।

99

ॐ धात्र्यै नमः।

100

ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः।

101

ॐ कृष्णायै नमः।

102

ॐ भक्तवत्सलायै नमः।

103

ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः।

104

ॐ हरायै नमः।

105

ॐ अमृतरूपिण्यै नमः।

106

ॐ भूम्यै नमः।

107

ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः।

108

ॐ श्री तुलस्यै नमः।
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Published by Sri Mandir·December 9, 2024

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