कोटा में घूमने की जगह ढूंढ रहे हैं? जानिए उन खास स्थलों के बारे में, जो कोटा को बनाते हैं राजस्थानी संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा संगम।
राजस्थान की कोचिंग नगरी के नाम से मशहूर कोटा, सिर्फ पढ़ाई के लिए ही नहीं, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों और भव्य मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। अगर आप कोटा में हैं या फिर कोटा जाकर घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो इन मंदिरों के दर्शन आपको जरूर करने चाहिए, चलिए जानते हैं कोटा के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे मे।
कोटा का नाम आते ही जहन में सबसे पहले जेईई-नीट की कोचिंग, पढ़ाई का दबाव और चंबल की घाटियां याद आती हैं। लेकिन इस शहर की एक और पहचान है और वो है उसका आध्यात्मिक रंग। कोटा सिर्फ किताबों और कोचिंग की कहानी नहीं है, बल्कि ये एक ऐसी धरती है जहाँ भक्ति, प्रकृति और शांति की दुनिया साथ चलती है। यहाँ के प्राचीन मंदिर, चंबल किनारे की शांति, पहाड़ियों की गोद में बसे देवस्थल यह सब मिलकर इसे एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं। अगर आप कोटा जाने का प्लान बना रहे हैं तो इस शहर की इस शांत, गहरी और दिव्य आत्मा से जरूर मुलाकात करिए। आज हम आपको कोटा के 5 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे।
यह मंदिर किशोर सागर झील के बिल्कुल बीचों-बीच स्थित है।
चारों तरफ फैला नीला पानी और उसके बीच खड़ा सफेद संगमरमर का यह मंदिर किसी सपनों की दुनिया जैसा प्रतीत होता है।
मंदिर की पूरी बनावट पारंपरिक राजस्थानी शैली में की गई है।
पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है।
सूर्य की किरणें जब इस संगमरमर पर पड़ती हैं, तो यह चमकता हुआ किसी राजसी महल जैसा प्रतीत होता है।
राजस्थान के कोटा शहर में स्थित जग मंदिर अपनी ऐतिहासिक विरासत और अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसे कोटा के राजा जगत सिंह ने बनवाया था, और उन्हीं के नाम पर इसे जग मंदिर कहा जाता है। यह भव्य संरचना किशोर सागर झील के बीच स्थित एक छोटे से द्वीप पर बनी हुई है, जो इसे और भी खास बना देती है। कोटा का जग मंदिर न सिर्फ इतिहास की एक झलक देता है, बल्कि प्रकृति और शांति की गोद में बैठकर खूबसूरती का आनंद लेने की जगह भी है।"
माना जाता है कि यह मंदिर बहुत ही पुराना है।
यहाँ स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू अर्थात अपने आप प्रकट हुए शिवलिंग कहा जाता है।
मान्यता है कि यहाँ जल चढ़ाने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।
अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस मंदिर की लोकेशन बहुत ही सुंदर है।
राजस्थान के कोटा शहर के पास स्थित कर्णेश्वर महादेव मंदिर ना केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इसकी खूबसूरती और शांति भी लोगों को आकर्षित करती है। यहाँ हर साल हजारों भक्त और सैलानी पहुँचते हैं और सावन के महीने और महाशिवरात्रि के समय तो यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। यहाँ की सबसे खास बात यह है कि यहां सिर्फ धार्मिक श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेमी और परिवार के लोग भी घूमने आते हैं पहाड़ी, झरने और हरियाली के कारण यह जगह एक अच्छा पिकनिक स्पॉट भी बन गई है।
मान्यता है कि इस मंदिर में विराजित गणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू है
इसे किसी इंसान ने नहीं बनाया बल्कि यह प्राकृतिक रूप से यहाँ प्रकट हुई।
इसी कारण लोग इस प्रतिमा को बहुत चमत्कारी और शक्तिशाली मानते हैं।
गणेश चतुर्थी के मौके पर यहाँ भव्य मेले और विशेष पूजा का आयोजन होता है।
हर मंगलवार और बुधवार को मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है।
राजस्थान के कोटा शहर में स्थित खड़े गणेश जी मंदिर अपनी अनोखी विशेषताओं की वजह से न सिर्फ राजस्थान में, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। आमतौर पर भगवान गणेश की मूर्तियाँ बैठी हुई अवस्था में देखने को मिलती हैं, लेकिन यहाँ भगवान गणेश खड़े हुए स्वरूप में विराजमान हैं। कोटा को एजुकेशन सिटी कहा जाता है, जहाँ देशभर से लाखों छात्र पढ़ाई करने आते हैं।ये छात्र यहाँ विशेष रूप से परीक्षा में सफलता और अच्छे करियर की कामना के लिए खड़े गणेश जी के दर्शन करने ज़रूर आते हैं।
मंदिर की संरचना राजस्थानी स्थापत्य कला की एक खूबसूरत मिसाल है।
खूबसूरत गुम्बद, नक्काशीदार स्तंभ और शिल्पकारी से सजी छतें इसे अनूठा बनाती हैं।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान चंद्रप्रभु की सुंदर और मनमोहक प्रतिमा विराजमान है।
मंदिर परिसर में रुकने के लिए धर्मशाला और शुद्ध सात्विक भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध है।
राजस्थान के कोटा जिले के कुन्हाड़ी क्षेत्र में स्थित चंद्रनाथ जैन मंदिर जैन समाज की आस्था और भक्ति का एक विशेष केंद्र है। यह भव्य मंदिर जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु को समर्पित है। अपनी अद्भुत वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर न सिर्फ एक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसकी शांति, स्वच्छता और कला देखकर हर आगंतुक मंत्रमुग्ध हो जाता है। यहाँ का वातावरण आत्मिक शांति देने वाला और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है।
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित स्वयंभू शिवलिंग है।
मान्यता है कि यह शिवलिंग धरती से अपने आप प्रकट हुआ था।
मंदिर की बनावट राजस्थानी कला और प्राचीन शिल्प शैली का सुंदर उदाहरण है।
पत्थरों पर की गई नक्काशी और कलाकारी इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं।
मंदिर का प्रवेश द्वार, मंडप और दीवारों की सजावट काफी आकर्षक है।
चम्बल नदी के किनारे बसा यह मंदिर, हरियाली और शांति से भरपूर है।
राजस्थान के कोटा शहर में स्थित कंसुआ महादेव मंदिर एक प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह स्थान सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि इसकी खूबसूरत वास्तुकला और प्राकृतिक माहौल भी इसे खास बनाते हैं। लोग यहाँ पूजा के साथ-साथ पिकनिक और ध्यान-योग के लिए भी आते हैं।
निष्कर्ष - दरअसल कोटा को बस एक कोचिंग संस्थानों से पटा हुआ शहर माना जाता है लेकिन हमने आपको कोटा एक अलग ही रूप दिखाया है जो आध्यात्म से भरपूर है तो अब जब भी आप कोटा जाएं तो इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें और दर्शन के बाद हमसे अपना अनुभव जरूर शेयर करें।
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