वृंदावन की होली 2025 में कब है? जानें रंगों और भक्ति से भरी बांके बिहारी मंदिर होली की तिथि, महत्व और इसे देखने का सही समय!
वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है, जहां भक्त रंगों के साथ प्रेम और भक्ति से सराबोर होते हैं। यहां होली का उत्सव कई दिनों तक चलता है, जिसमें फूलों की होली, लड्डू होली, और रंगों की होली प्रमुख हैं। बांके बिहारी मंदिर में विशेष होली दर्शन होते हैं, जहां श्रद्धालु भगवान कृष्ण और राधा की होली का आनंद लेते हैं। इस दौरान वृंदावन के गली-मोहल्लों में कीर्तन, भजन और गुलाल उड़ते हैं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
वृंदावन की होली खास होती है क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी है। यहाँ यह त्योहार पूरे हफ्ते अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इसमें सबसे मशहूर बांके बिहारी मंदिर की होली, गुलाल होली, फूलों की होली और रंगभरनी एकादशी होती है। वृंदावन में 10 मार्च रंगभरनी होली शुरू होगी और 22 मार्च तक चलेगी।
इस मंदिर में होली बहुत खास तरीके से मनाई जाती है। यहाँ गुलाल और रंगों से होली खेली जाती है। भक्तों के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण को भी रंग लगाया जाता है, जिससे माहौल भक्तिमय और आनंदमय हो जाता है।
इस दिन रंगों की जगह फूलों की वर्षा की जाती है। मंदिर में भक्तों पर अलग-अलग रंगों के फूल बरसाए जाते हैं, जो देखने में बहुत सुंदर और मनमोहक लगता है। यह होली बहुत शांत और दिव्य अनुभव देती है।
इस दिन से वृंदावन में होली का त्योहार शुरू माना जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा होती है और भक्त रंगों से खेलना शुरू कर देते हैं।
यहाँ भक्त और गोपियाँ अलग-अलग रंगों से होली खेलते हैं। यह त्योहार राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं को दर्शाता है और भक्तगण पूरी श्रद्धा और प्रेम से इसमें शामिल होते हैं।
वृंदावन में होली का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने पहली बार यहाँ गोपियों और सखाओं के साथ होली खेली थी, इसलिए यह जगह होली के लिए खास मानी जाती है।
बचपन में श्रीकृष्ण ने माँ यशोदा से पूछा था कि राधा और गोपियाँ गोरी क्यों हैं और वे खुद साँवले क्यों हैं। तब माँ ने कहा कि वे चाहें तो राधा को अपने मनपसंद रंग में रंग सकते हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोपियों पर रंग डाला, और तभी से होली खेलने की परंपरा शुरू हुई।
वृंदावन को राधा-कृष्ण के प्रेम का स्थान माना जाता है। यहाँ होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का त्योहार भी है।
यहाँ भक्त खुद को श्रीकृष्ण के रंग में रंगा हुआ महसूस करते हैं, जिससे यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से खास बन जाता है।
वृंदावन में फूलों की होली, गुलाल होली, लट्ठमार होली और रंगभरनी एकादशी मनाई जाती है, जो इसे और भी अनोखा बनाती है।
बृजमंडल में रंगों की होली के बाद भी 8 दिन तक रंगोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान मंदिरों और गलियों में कीर्तन, भजन और रंगों की मस्ती चलती रहती है। भक्त राधा-कृष्ण की भक्ति में डूबे रहते हैं, और पूरे बृज में खुशी और उत्साह का माहौल बना रहता है।
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