क्या आप जानते हैं गणेश कवच के पाठ से विघ्नों का नाश और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है? जानें इसकी पाठ विधि और चमत्कारी फायदे।
गणेश कवच, जिसे हरिद्रा गणेश कवच भी कहा जाता है। भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन की बाधाओं से मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है। यह कवच व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और विघ्नों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसे विशेष अवसरों पर खास महत्व दिया जाता है। अगर आप गणेश कवच के लाभ के बारे में या फिर इसकी पूजा-पाठ विधि के बारे में विस्तार पूर्वक जानना चाहते हैं तो पढ़िए हमारे इस आर्टिकल को और जानें सब कुछ।
सनातन धर्म में यह माना गया है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से होती है। गणेश कवच एक दिव्य और शक्तिशाली मंत्र है, जिसे भगवान श्री गणेश की पूजा में प्रयोग किया जाता है। गणेश कवच को सिद्ध करने से जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और सफलता प्राप्त होती है। इसके जाप से व्यक्ति को न केवल मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि वह जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है। गणेश कवच का नियमित पाठ करने से बुरी नजर, तंत्र-मंत्र की बाधाएं और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
यह कवच घर, व्यापार या ऑफिस में धन-धान्य और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इसके अलावा, इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और वह जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करता है। गणेश कवच को एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच के रूप में माना जाता है, जो सभी विघ्नों और कठिनाइयों को दूर कर जीवन को खुशहाल बनाता है।
संसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापति:।
ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदर: स्वयम्॥
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोग: प्रकीर्तित:।
सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने॥
ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे पातुमस्तकम्।
द्वात्रिंशदक्षरो मन्त्रो ललाटं मे सदावतु॥
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं गमिति च संततं पातु लोचनम्।
तालुकं पातु विध्नेशःसंततं धरणीतले॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीमिति च संततं पातु नासिकाम्।
ॐ गौं गं शूर्पकर्णाय स्वाहा पात्वधरं मम॥
दन्तानि तालुकां जिह्वां पातु मे षोडशाक्षर:॥
ॐ लं श्रीं लम्बोदरायेति स्वाहा गण्डं सदावतु।
ॐ क्लीं ह्रीं विघन्नाशाय स्वाहा कर्ण सदावतु॥
ॐ श्रीं गं गजाननायेति स्वाहा स्कन्धं सदावतु।
ॐ ह्रीं विनायकायेति स्वाहा पृष्ठं सदावतु॥
ॐ क्लीं ह्रीमिति कङ्कालं पातु वक्ष:स्थलं च गम्।
करौ पादौ सदा पातु सर्वाङ्गं विघन्निघन्कृत्॥
प्राच्यां लम्बोदर: पातु आगन्य्यां विघन्नायक:।
दक्षिणे पातु विध्नेशो नैर्ऋत्यां तु गजानन:॥
पश्चिमे पार्वतीपुत्रो वायव्यां शंकरात्मज:।
कृष्णस्यांशश्चोत्तरे च परिपूर्णतमस्य च॥
ऐशान्यामेकदन्तश्च हेरम्ब: पातु चोर्ध्वत:।
अधो गणाधिप: पातु सर्वपूज्यश्च सर्वत:॥
स्वप्ने जागरणे चैव पातु मां योगिनां गुरु:॥
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।
संसारमोहनं नाम कवचं परमाद्भुतम्॥
श्रीकृष्णेन पुरा दत्तं गोलोके रासमण्डले
वृन्दावने विनीताय मह्यं दिनकरात्मज:॥
मया दत्तं च तुभ्यं च यस्मै कस्मै न दास्यसि।
परं वरं सर्वपूज्यं सर्वसङ्कटतारणम्॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं धारयेत्तु य:।
कण्ठे वा दक्षिणेबाहौ सोऽपि विष्णुर्नसंशय:॥
अश्वमेधसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।
ग्रहेन्द्रकवचस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्॥
इदं कवचमज्ञात्वा यो भजेच्छंकरात्मजम्।
शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्र: सिद्धिदायक:॥
ओम सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।
गणेश कवच पाठ की विधि बहुत सरल है। गणेश जी की पूजा का विशेष दिन बुधवार होता है, जो उन्हें समर्पित है। इस दिन गणेश जी की पूजा-उपासना से व्यक्ति को दुखों और संकटों से मुक्ति मिलती है और घर में शांति एवं आनंद का वातावरण बनता है। सबसे पहले, किसी स्वच्छ स्थान पर बैठकर भगवान गणेश का ध्यान करें और उनका आह्वान करें। इसके बाद, एक स्वच्छ आसन पर बैठकर गणेश कवच का पाठ प्रारंभ करें। पाठ करते समय श्रद्धा और विश्वास का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि संभव हो, तो इस दौरान लड्डू या मोदक का भोग अर्पित करें, जो भगवान गणेश को प्रिय है। गणेश कवच का नियमित पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में आने वाली सभी परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही, विशेष ध्यान रखें कि पाठ करते समय मानसिक शांति बनी रहे, जिससे मन और आत्मा को सही मार्गदर्शन मिल सके।
यह विशेष रूप से विघ्नहर्ता के रूप में भगवान गणेश की कृपा को प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है। इस कवच का जाप और ध्यान, पापों को समाप्त करता है और व्यक्ति को हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। गणेश कवच का 21 दिनों तक 7 बार जाप करने से विभिन्न सिद्धियां, जैसे मारण, उच्चाटन, आकर्षण और मोहन आदि प्राप्त होती हैं। जो व्यक्ति जेल में इस कवच का 21 दिनों तक रोज 21 बार पाठ करता है, वह जेल से मुक्ति प्राप्त करता है। इसके अलावा, यदि कोई साधक राजा के सामने इस कवच का तीन बार पाठ करता है, तो वह राजा और सभा दोनों के वश में हो जाते हैं। यह कवच कश्यप जी ने मुद्गल जी को बताया था और मुद्गल जी ने महर्षि माण्डव्य को इसका महत्व बताया।
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