क्या आप जानते हैं कि गोपाल कवच का पाठ करने से भक्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है? जानें इसकी विधि, लाभ और प्रभावशाली श्लोक।
गोपाल कवच एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण के गोपाल रूप की स्तुति और आराधना के लिए रचा गया है। यह कवच विष्णु पुराण या नारद पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेखित है और भक्तों द्वारा श्रीकृष्ण की कृपा, रक्षा, और भक्ति के लिए पाठ किया जाता है।
गोपाल कवच भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक दिव्य स्तोत्र है, जिसे पढ़ने से भक्त की सभी प्रकार की विपत्तियों से रक्षा होती है। यह कवच विशेष रूप से उनके लिए लाभकारी है जो श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं और अपनी रक्षा के लिए उनके शरणागत होते हैं। गोपाल कवच का उल्लेख धर्म ग्रंथों में किया गया है और इसे नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।
अथ वक्ष्यामि कवचं गोपालस्य जगद्गुरोः ।
यस्य स्मरणमात्रेण जीवनमुक्तो भवेन्नरः ॥ १ ॥
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय ।
नारदोऽस्य ऋषिर्देवि छंदोऽनुष्टुबुदाह्रतम् ॥ २ ॥
देवता बालकृष्णश्र्च चतुर्वर्गप्रदायकः ।
शिरो मे बालकृष्णश्र्च पातु नित्यं मम श्रुती ॥ ३ ॥
नारायणः पातु कंठं गोपीवन्द्यः कपोलकम् ।
नासिके मधुहा पातु चक्षुषी नंदनंदनः ॥ ४ ॥
जनार्दनः पातु दंतानधरं माधवस्तथा ।
ऊर्ध्वोष्ठं पातु वाराहश्र्चिबुकं केशिसूदनः ॥ ५ ॥
ह्रदयं गोपिकानाथो नाभिं सेतुप्रदः सदा ।
हस्तौ गोवर्धनधरः पादौ पीतांबरोऽवतु ॥ ६ ॥
करांगुलीः श्रीधरो मे पादांगुल्यः कृपामयः ।
लिंगं पातु गदापाणिर्बालक्रीडामनोरमः ॥ ७ ॥
जग्गन्नाथः पातु पूर्वं श्रीरामोऽवतु पश्र्चिमम् ।
उत्तरं कैटभारिश्र्च दक्षिणं हनुमत्प्रभुः ॥ ८ ॥
आग्नेयां पातु गोविंदो नैर्ऋत्यां पातु केशवः ।
वायव्यां पातु दैत्यारिरैशान्यां गोपनंदनः ॥ ९ ॥
ऊर्ध्वं पातु प्रलंबारिरधः कैटभमर्दनः ।
शयानं पातु पूतात्मा गतौ पातु श्रियःपतिः ॥ १० ॥
शेषः पातु निरालम्बे जाग्रद्भावे ह्यपांपतिः ।
भोजने केशिहा पातु कृष्णः सर्वांगसंधिषु ॥ ११ ॥
गणनासु निशानाथो दिवानाथो दिनक्षये ।
इति ते कथितं दिव्यं कवचं परमाद्भुतम् ॥ १२ ॥
यः पठेन्नित्यमेवेदं कवचं प्रयतो नरः ।
तस्याशु विपदो देवि नश्यंति रिपुसंधतः ॥ १३ ।
अंते गोपालचरणं प्राप्नोति परमेश्र्वरि ।
त्रिसंध्यमेकसंध्यं वा यः पठेच्छृणुयादपि ॥ १४ ॥
तं सर्वदा रमानाथः परिपाति चतुर्भुजः ।
अज्ञात्वा कवचं देवि गोपालं पूजयेद्यदि ॥ १५ ॥
सर्व तस्य वृथा देवि जपहोमार्चनादिकम् ।
सशस्रघातं संप्राप्य मृत्युमेति न संशयः ॥ १६ ॥
॥ इति नारदपंचरात्रे ज्ञानामृतसारे चतुर्थरात्रे श्रीगोपालकवचं संपूर्णम् ॥
गोपाल कवच का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सुरक्षा मिलती है। यह कवच नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और दुष्ट आत्माओं से रक्षा करता है।
इसका नित्य पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। व्यक्ति जीवन के संघर्षों से निडर होकर सामना करता है।
गोपाल कवच का नियमित पाठ करने से रोगों से बचाव होता है और अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
जो व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए गोपाल कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह जीवन में धन, सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
गोपाल कवच के प्रभाव से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे पारिवारिक कलह समाप्त होती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम व मधुरता बनी रहती है।
जो व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और भक्ति मार्ग में प्रगति होती है।
गोपाल कवच का पाठ करने के लिए शुद्धता और श्रद्धा अत्यंत आवश्यक होती है। नीचे दी गई विधि को अपनाकर इसका पाठ करें:
स्नान और शुद्धता
पूजा स्थल की तैयारी
संकल्प लें
गोपाल कवच का पाठ करें
पाठ के बाद आरती और प्रसाद वितरण
गोपाल कवच न केवल व्यक्ति की सुरक्षा करता है बल्कि जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति भी प्रदान करता है। यदि इसे विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ पढ़ा जाए, तो यह अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने का सरल और प्रभावी माध्यम है।
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