क्या आप जानते हैं हनुमान कवच के पाठ से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भय व संकट से मुक्ति मिलती है? जानें इसकी विधि और चमत्कारी लाभ।
हनुमान कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने हेतु पाठ किया जाता है। यह कवच नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है, भय दूर करता है और आत्मबल बढ़ाता है। इसका नियमित पाठ जीवन में साहस, स्वास्थ्य और सफलता प्रदान करता है। भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी है।
जब भी किसी संकट, भय या नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा की बात आती है, तो सबसे पहले स्मरण हनुमान जी का स्मरण किया जाता है। उन्हें संकटमोचक, वीर, बुद्धिमान और परम भक्त माना गया है। उनकी उपासना से न केवल भय और बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि आत्मबल, साहस और संयम की भी प्राप्ति होती है। ऐसा ही एक दिव्य स्तोत्र है ‘हनुमान कवच’। यह शक्तिशाली कवच न केवल शरीर को, बल्कि मन और आत्मा को भी सुरक्षा प्रदान करता है। इस कवच के पाठ से साधक को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन से हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है।
पंचमुख विराट हनुमान देवता। ह्रीं बीजम्।
श्रीं शक्ति:। क्रौ कीलकम्। क्रूं कवचम्।
क्रै अस्त्राय फ़ट्। इति दिग्बंध्:।
श्री गरूड उवाच्
अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि।श्रुणु सर्वांगसुंदर।
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम्।।
पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्।
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम्।।
पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।
दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम्।।
अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।
अत्युग्रतेजोवपुष्पंभीषणम भयनाशनम्।।
पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।
सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।
उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दिप्तं नभोपमम्।
पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।।
ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यमं महासुरम्।।
जघानशरणं तस्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।
ध्यात्वा पंचमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।
खड्गं त्रिशुलं खट्वांगं पाशमंकुशपर्वतम्।
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं।।
भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रा दशभिर्मुनिपुंगवम्।
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।
प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरण्भुषितम्।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानु लेपनम सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद्विश्वतोमुखम्।।
पंचास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं शशांकशिखरं कपिराजवर्यम्।
पीताम्बरादिमुकुटै रूप शोभितांगं पिंगाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।
मर्कतेशं महोत्राहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रुं संहर मां रक्ष श्री मन्नपदमुध्दर।।
ओम हरिमर्कट मर्केत मंत्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले।
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुंच्यति मुंच्यति वामलता।।
ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा ओम नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाया।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरूडाननाय सकलविषहराय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा।
हनुमान कवच, जैसे एक दिव्य सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। जो व्यक्ति इसका पाठ करता है, वह बुरी नजर, काला जादू, टोना-टोटका और नकारात्मक शक्तियों आदि से सुरक्षित रहता है।
हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या का प्रतीक माना जाता है। इस कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आत्मबल, साहस और एकाग्रता मिलती है। साथ ही डर, तनाव और चिंता दूर होती है।
हनुमान कवच शक्तिशाली माना जाता है कि इसका पाठ करके जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। इस कवच के पाठ से शत्रु का कोई षड्यंत्र सफल नहीं हो पाता।
जहां हनुमान जी की कृपा होती है, वहां बाधाएं स्वयं समाप्त हो जाती हैं। हनुमान कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति को कार्यों में सफलता और आर्थिक उन्नति मिलती है।
कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से रोगों का नाश होता है। ऐसे में हनुमान कवच का पाठ रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और साधक को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है।
इस कवच का प्रभाव केवल पाठक तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार के सदस्य संकटों से सुरक्षित रहते हैं।
हनुमान जी के नाम का जाप और कवच का पाठ भक्त के भीतर श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भाव को जागृत करता है। यह साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।
आज के समय में जब हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक तनाव, भय या समस्याओं से जूझ रहा है, ऐसे में हनुमान कवच एक अचूक और सरल उपाय है। इसकी शक्ति का अनुभव करने और हनुमान जी की कृपा पाने के लिए आप भी इस कवच का पाठ ज़रूर करें। हमारे कामना है कि बजरंगबली आपके सभी दुखों का निवारण करें, और सदा अपनी कृपा बनाए रखें।
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