स्कंदमाता देवी कवच
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स्कंदमाता देवी कवच

क्या आप जानते हैं स्कंदमाता देवी कवच के पाठ से जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है? जानिए इसकी पाठ विधि और विशेष लाभ।

स्कंदमाता देवी कवच के बारे में

स्कंदमाता देवी कवच का नियमित पाठ संतान प्राप्ति और मानसिक शांति में वृद्धि करता है। इसके अतिरिक्त यह शत्रु बाधाओं से रक्षा भी करता है। इस कवच से साधक अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण कर सकते हैं, लेकिन इसका पाठ पूर्ण विधि द्वारा करना चाहिए। अगर आप इस चमत्कारिक कवच के कई अन्य लाभ और इसी पूरी पूजन विधि के बारे में सही से जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पढ़िए और जानिए सब कुछ।

स्कंदमाता देवी कवच क्या है?

स्कंदमाता देवी कवच देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पांचवें रूप, स्कंदमाता के लिए एक विशेष स्तोत्र है। स्कंदमाता देवी को भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की मां के रूप में पूजा जाता है और उनका आशीर्वाद शक्ति, सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है। इस कवच का पाठ करने से भक्तों को देवी की कृपा और उनकी अनंत शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। स्कंदमाता देवी कवच में देवी के रूपों और उनके शक्तिशाली गुणों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक और शारीरिक बल, आत्मविश्वास और समृद्धि प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। स्कंदमाता की उपासना से जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति मिलती है और भक्त को हर प्रकार के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्राप्त होती है। इस कवच का नियमित पाठ व्यक्ति को आंतरिक शांति, सुख और संतुलन प्रदान करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को हर प्रकार की आध्यात्मिक और भौतिक सफलता प्राप्त होती है। स्कंदमाता देवी कवच का पाठ करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो भक्त की हर इच्छा को पूरा करती है।

स्कंदमाता देवी कवच श्लोक

ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।

हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥

श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।

सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥

वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।

उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥

इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।

सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

देवी स्कंदमाता स्तोत्र

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥

महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥

नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्॥

तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।

सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥

सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥

स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥

पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥

स्कंदमाता देवी कवच का पाठ करने के लाभ

  • स्कंदमाता देवी कवच का पाठ करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है।

  • यह कवच साधक को उत्तम और सुसंस्कृत संतान का वरदान प्राप्त करने में मदद करता है।

  • देवी स्कंदमाता प्रेम और ममता की देवी हैं, और उनका आशीर्वाद जीवन में प्रेम और समझ का संचार करता है।

  • यह कवच संकटों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने में प्रभावी है।

  • स्कंदमाता देवी का पूजा और पाठ साधक को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

  • देवी स्कंदमाता की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

  • यह कवच जीवन की समस्याओं और चिंताओं का समाधान करने में मदद करता है।

  • स्कंदमाता का आशीर्वाद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

  • देवी स्कंदमाता का आशीर्वाद साधक को आध्यात्मिक आशीर्वाद और शक्ति प्रदान करता है।

  • यह कवच साधक को हर प्रकार के भयंकर और नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करता है।

  • स्कंदमाता का आशीर्वाद व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और धन की वृद्धि करता है।

  • यह कवच दुर्भाग्य और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाता है।

  • साधक के जीवन में आने वाले कष्टों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

  • स्कंदमाता देवी कवच का पाठ मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है।

यह कवच साधक को शत्रुओं और दुष्टों से सुरक्षा प्रदान करता है। स्कंदमाता देवी कवच का नियमित पाठ जीवन में सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति लाता है, साथ ही यह संतान प्राप्ति और उत्तम परिवार की कामना पूरी करने में भी सहायक होता है।

स्कंदमाता देवी कवच पाठ विधि

स्कंदमाता देवी कवच का पाठ करते समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, स्नान करके स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनें। इसके बाद एक स्वच्छ स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। ध्यान रखें कि वातावरण शांत हो और कोई विघ्न न हो। अब देवी स्कंदमाता की पूजा करें। देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, फल अर्पित करें। साथ ही, ताम्र या मिट्टी के बर्तन में पानी रखकर उसे देवी के चरणों में अर्पित करें। अब ध्यानपूर्वक स्कंदमाता देवी कवच का पाठ करना शुरू करें। यह कवच शुद्ध हृदय और मानसिक एकाग्रता के साथ उच्चारित करना चाहिए। हर मंत्र का सही उच्चारण करें और देवी की शक्ति में विश्वास रखें। पाठ के बाद देवी से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करें। पाठ समाप्त होने पर पूजा सामग्री को एकत्रित करें और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मन में धन्यवाद का भाव रखें।

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Published by Sri Mandir·April 17, 2025

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