अमला योग क्या होता है? इसके फायदे और प्रभाव
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अमला योग क्या होता है? इसके फायदे और प्रभाव

अमला योग से व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। यह योग व्यक्ति की किस्मत और वित्तीय स्थिति में सुधार लाता है।

अमला योग के बारे में

अमला योग को कुंडली में अत्यंत शुभ योगों में से एक माना जाता है। यह योग तब बनता है जब दशम भाव में शुभ ग्रह स्थित हो। यह योग व्यक्ति को यश, सम्मान, और स्थायी समृद्धि प्रदान करता है। अमला योग से जन्मे व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठित होते हैं, और उनकी जीवनशैली भौतिक सुख-सुविधाओं से भरपूर रहती है। यह योग व्यवसाय और करियर में अपार सफलता का प्रतीक है।

अमला योग

जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और गोचर के कारण कई ऐसे योग बनते हैं जो जीवन के अलग-अलग समय में कई फल देते हैं, जिनका कभी बुरा तो कभी अच्छा फल मिलता है। उन्हीं में से एक है अमला योग, यह एक अत्यंत विशेष ज्योतिष योग है जो तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा और बुध साथ आते हैं और उनका संयोग होता है। यह योग मनुष्य की मानसिक स्थिति और उसकी बुद्धि पर सीधा प्रभाव डालता है। एक मनुष्य की कुंडली में इस योग का बनना काफी शुभ माना जाता है क्योंकि इस योग की वजह से व्यक्ति को बुद्धिमत्ता,समझदारी और मानसिक स्वास्थ्य मिलता है। वह व्यक्ति अपने जीवन में बड़े-बड़े फैसले आसानी से ले पाता है।

जब एक व्यक्ति की जन्म कुंडली में अमला योग में चंद्रमा और बुध की स्थिति की प्रमुखता होती है, तब इसके प्रभाव के कारण व्यक्ति को तर्कशक्ति, संचार क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। कुंडली में बनने वाले इस योग को खासकर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो किसी भी प्रकार की मानसिक या बौद्धिक कार्य से जुड़े होते हैं। ऐसे लोग जो शिक्षक, लेखक, वकील, या वैज्ञानिक हैं उनकी कुंडली में यह योग जरूर बनता है।

इस योग की सबसे बड़ी बात ये होती है कि ये व्यक्ति के मन को शांत और संतुलित रखता है, ऐसे लोगों को गुस्सा कम आता है और इनमें धैर्य भी होता है। जिनकी कुंडली में यह योग बनता है उनकी सोच काफी स्पष्ट होती है। यदि यह योग शुभ स्थिति में होता है, तो जीवन में कई अवसरों का मिलना और सफलता की संभावना भी बढ़ जाती है।

अमला योग बनने की शर्तें:

चंद्रमा की स्थिति:

चंद्रमा किसी भी शुभ ग्रह जैसे बुध, गुरु, शुक्र या बृहस्पति के प्रभाव में होना आवश्यक है।

चंद्रमा की दशम भाव में स्थिति:

यदि चंद्रमा किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव यानि कर्म स्थान में स्थित हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो अमला योग बनता है।

शुभ प्रभाव:

चंद्रमा का शुभ प्रभाव और कुंडली की शुभ स्थिति अमला योग को और अधिक प्रभावी बनाती है।

अमला योग का प्रभाव

अमला योग वैदिक ज्योतिष में एक शुभ योग है, जो व्यक्ति के जीवन पर अच्छा असर डालता है। यह खासतौर पर चंद्रमा की स्थिति और शुभ ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करता है।

इसके प्रभाव इस प्रकार हैं:

सकारात्मक स्वभाव:

इस योग से व्यक्ति का स्वभाव दयालु और खुशमिजाज बनता है। ऐसे लोग दूसरों के साथ करुणा और उदारता से पेश आते हैं। इनके साथ कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से घुलमिल सकता है।

आर्थिक स्थिरता और सफलता:

यह योग व्यक्ति को आर्थिक रूप से अत्यधिक मजबूत बनाता है। नौकरी, व्यापार और अन्य कामों में तरक्की होती है। काम करने का फल भी मिलता है और उसके लिए पद प्रतिष्ठा भी मिलती है।

मानसिक शांति:

चंद्रमा के कारण व्यक्ति को मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता मिलती है। यह योग कठिन समय में भी सही निर्णय लेने में मदद करता है। व्यक्ति बिना विचलित हुए समझदारी से फैसले ले पाता है।

सामाजिक सम्मान:

इस योग से समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है। लोग उसे ईमानदार और आदर्श व्यक्ति के रूप में देखते हैं। कितना भी बुरा समय आ जाए ऐसे लोगों का सम्मान कभी कम नहीं होता और लोग उनके साथ रहते हैं।

आध्यात्मिक प्रगति:

यह योग व्यक्ति को आध्यात्मिक जीवन की ओर आकर्षित करता है। जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है। ऐसे व्यक्ति जीवन की हर परिस्थिति में सकारात्मक रहना बड़ी आसानी से जानते हैं।

बौद्धिक विकास:

अमला योग से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है। उन्हें सही-गलत की परख भी रहती है। शिक्षा, लेखन, कला और शोध जैसे क्षेत्रों में सफलता मिलती है।

अमला योग का प्रभाव कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करता है। यह योग लंबे समय तक शुभ फल देता है।

कुंडली में अमला योग की पहचान कैसे करें?

चंद्रमा का दशम भाव में होना:

चंद्रमा को कुंडली के दशम भाव यानि कर्म स्थान में होना चाहिए। दशम भाव आपके करियर, प्रतिष्ठा और समाज में सम्मान को दर्शाता है।

शुभ ग्रहों का प्रभाव:

चंद्रमा पर शुभ ग्रहों जैसे गुरु, बुध, शुक्र या बृहस्पति का असर होना चाहिए। यह असर उनकी दृष्टि या साथ में होने से होता है।

पाप ग्रहों का प्रभाव न हो:

चंद्रमा पर शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे पाप ग्रहों का असर नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो अमला योग कमजोर हो सकता है।

दशम भाव का स्वामी शुभ हो:

दशम भाव का स्वामी ग्रह मजबूत और शुभ होना चाहिए। यदि वह अच्छे स्थान जैसे केंद्र या त्रिकोण में हो और शुभ ग्रहों से जुड़ा हो, तो योग का असर बढ़ता है।

चंद्रमा की मजबूत स्थिति:

चंद्रमा को बलवान और शुभ होना चाहिए। यदि चंद्रमा उच्च राशि जैसे वृषभ में या किसी मित्र ग्रह की राशि में हो, तो अमला योग का प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है।

जिस किसी भी व्यक्ति की पत्रिका में अमला योग होता है तो उसे निश्चित तौर पर अपने जीवन में सफलता मिलती है। उसे वो सबकुछ मिलता है जिसकी उसे इच्छा होती है। धन, पद, प्रतिष्ठा, यश सब कुछ उसे अपने जीवन मिलता है।

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Published by Sri Mandir·January 15, 2025

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