विपरीत राजयोग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है। यह योग जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव और सम्मान का संकेत है।
विपरीत राजयोग तब बनता है जब कुंडली में छठे, आठवें, या बारहवें भाव का स्वामी इन भावों में स्थित हो और शुभ ग्रहों से संबंध बनाए। यह योग जीवन में चुनौतियों के बाद सफलता और उन्नति प्रदान करता है। विपरीत राजयोग से व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने पक्ष में बदलने की क्षमता रखता है। यह योग संघर्षों के बीच भी विशेष सम्मान, धन, और सफलता का कारक बनता है।
विपरीत राजयोग का एक विशेष योग है, जो अशुभ भावों (6वें, 8वें, और 12वें भाव) के स्वामियों के शुभ प्रभाव से बनता है। सामान्यतः ये भाव अशुभ माने जाते हैं, लेकिन जब इन भावों के स्वामी ग्रह अन्य अशुभ भावों में स्थित हों या विशेष परिस्थितियों में अन्य ग्रहों के साथ संबंध बनाएं, तो ये ग्रह विपरीत प्रभाव देते हुए जातक के जीवन में सफलता, प्रतिष्ठा और सौभाग्य लेकर आते हैं। इस योग को अशुभ से शुभ की ओर परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
विपरीत राजयोग तब बनता है जब:
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ये योग कमजोर हो या सही परिणाम न दे रहा हो, तो इसके लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय ग्रहों को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करते हैं।
ये उपाय आपकी कुंडली के अनुसार संतुलन लाने और विपरीत राजयोग को मजबूत करने में सहायक होंगे। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले एक योग्य ज्योतिषी से परामर्श जरूर लें।
विपरीत राजयोग का असर तभी पूर्ण रूप से मिलेगा, जब अन्य शुभ योग (जैसे गजकेसरी योग, पंचमहापुरुष योग) भी कुंडली में मौजूद हों। अशुभ ग्रह मजबूत होने पर यह योग अधिक प्रभावशाली बनता है।
कुंडली में इस योग का सही आकलन और प्रभाव समझने के लिए एक योग्य ज्योतिषी से परामर्श करना आवश्यक है।
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