चंद्र मंगल योग क्या होता है? इसके प्रभाव और लाभ
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चंद्र मंगल योग क्या होता है? इसके प्रभाव और लाभ

चंद्र मंगल योग व्यक्ति को साहस, मानसिक दृढ़ता और संघर्ष में सफलता प्राप्त करने का योग है। यह योग जीवन में शौर्य और आत्मविश्वास का संकेत है।

चंद्र मंगल योग के बारे में

चंद्र मंगल योग तब बनता है जब चंद्रमा और मंगल ग्रह एक ही भाव में स्थित हों या परस्पर दृष्टि संबंध बनाएं। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति धनवान, साहसी और ऊर्जावान होता है। चंद्र मंगल योग विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि और व्यवसाय में सफलता का संकेत देता है। यह योग व्यक्ति को आत्मनिर्भर, प्रेरणादायक, और दृढ़ निश्चयी बनाता है, जिससे वह जीवन में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त करता है।

चंद्र-मंगल योग

चंद्र-मंगल योग एक महत्वपूर्ण और शुभ योग माना जाता है। ये तब बनता है जब चंद्रमा और मंगल किसी कुंडली में एक साथ (समान भाव में) स्थित हों, या परस्पर दृष्टि संबंध बनाएं। इसे "लक्ष्मी योग" भी कहा जाता है, क्योंकि ये व्यक्ति को धन, समृद्धि और सफलता प्रदान कर सकता है।

चंद्र-मंगल योग वैदिक ज्योतिष में तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक विशेष संबंध में हों। इस योग को "धन और समृद्धि का योग" भी कहा जाता है, क्योंकि ये जातक को धन, सफलता और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

चंद्र-मंगल योग कब बनता है?

समान भाव में स्थित होने पर:

  • जब चंद्रमा और मंगल एक ही भाव (हाउस) में स्थित हों। इसे युति (conjunction) कहा जाता है।

परस्पर दृष्टि संबंध:

  • जब चंद्रमा और मंगल एक-दूसरे को दृष्टि (आमने-सामने, यानी 7वीं दृष्टि) से देखते हों।

त्रिकोण या केंद्र में स्थिति:

  • जब चंद्रमा और मंगल त्रिकोण (5वें या 9वें भाव) या केंद्र (1, 4, 7, 10वें भाव) में हों और शुभ दृष्टि या संबंध बना रहे हों।

अधिसत्ता वाली राशियों में:

  • जब चंद्रमा अपनी उच्च राशि (वृषभ) या स्वग्रही हो, और मंगल अपनी उच्च राशि (मकर) या स्वग्रही हो।

एक दूसरे की शुभ स्थिति में समर्थन करना:

  • यदि चंद्रमा और मंगल एक दूसरे की मित्र राशियों (मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह) में हों, तो यह योग मजबूत बनता है।

चंद्र-मंगल योग का प्रभाव कैसे होता है?

इस योग का प्रभाव जातक की कुंडली में चंद्रमा और मंगल की स्थिति, राशि, और भाव पर निर्भर करता है।

शुभ फल:

  • यदि दोनों ग्रह शुभ भावों (1, 4, 5, 9, 10, 11) में हों और शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो यह योग अत्यंत लाभकारी होता है।

अशुभ फल:

  • यदि चंद्रमा या मंगल नीच राशि (तुला और कर्क) में हों, या अशुभ ग्रहों (राहु, केतु, शनि) की दृष्टि हो, तो यह योग कमजोर हो सकता है।

चंद्र-मंगल योग का महत्व:

धन और समृद्धि:

  • ये योग जातक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाता है। व्यक्ति के पास धन संग्रह की क्षमता होती है और उसे जीवन में धन संबंधी कष्ट कम होते हैं।

साहस और आत्मविश्वास:

  • मंगल ऊर्जा और साहस का प्रतीक है, जबकि चंद्रमा मन का कारक है। जब ये दोनों साथ होते हैं, तो व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है और बड़े निर्णय लेने में सक्षम होता है।

आत्मनिर्भरता:

  • ये योग जातक को आत्मनिर्भर बनाता है। व्यक्ति मेहनत और दृढ़ता से जीवन में ऊंचाइयां हासिल करता है।

व्यवसायिक सफलता:

  • ये योग व्यवसाय, व्यापार, और नेतृत्व के क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। खासतौर पर यदि कुंडली में मंगल और चंद्रमा शुभ स्थिति में हों, तो जातक एक कुशल नेता या व्यवसायी बन सकता है।

सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक संतुलन:

  • चंद्रमा मानसिक शांति का प्रतीक है, और मंगल इसकी रक्षा करता है। यह योग जातक को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और विपरीत परिस्थितियों में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।

लक्ष्मी योग के रूप में मान्यता:

  • इसे लक्ष्मी योग कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और ऐश्वर्य लाता है।

रचनात्मकता और उत्साह:

  • चंद्रमा रचनात्मकता का कारक है, और मंगल से उसे ऊर्जा और जोश मिलता है। यह योग जातक को रचनात्मक और उत्साही बनाता है।

चंद्र-मंगल योग का प्रभाव कब बढ़ता है?

  • ये योग तभी पूर्ण फलदायी होता है जब चंद्रमा और मंगल कुंडली में शुभ भावों (जैसे, 1, 4, 5, 9, 10 या 11) में स्थित हों।
  • चंद्रमा की शुभता (पूर्णिमा के नजदीक) और मंगल का बलवान होना (मेष, वृश्चिक या मकर राशि में) इसके फल को बढ़ाता है।

चंद्र-मंगल योग के लिए विशेष ध्यान:

अगर कुंडली में मंगल अशुभ या नीच का हो, या चंद्रमा कमजोर हो, तो यह योग अपने पूर्ण फल नहीं दे पाता। इसके लिए उचित उपाय करना चाहिए।

उपाय:

चंद्रमा की शांति के लिए:

  • सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • "ॐ सोमाय नमः" मंत्र का जाप करें।
  • सफेद चावल, दूध, और चांदी का दान करें।

मंगल की शांति के लिए:

  • मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें।
  • "ॐ अंगारकाय नमः" मंत्र का जाप करें।
  • लाल मसूर, गुड़, और तांबे का दान करें।

रूद्राभिषेक:

  • भगवान शिव का रुद्राभिषेक चंद्रमा और मंगल की ऊर्जा को संतुलित करता है।

रत्न:

  • चंद्रमा के लिए मोती और मंगल के लिए मूंगा धारण करें, लेकिन यह किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही करें।

निष्कर्ष:

चंद्र-मंगल योग जातक के जीवन में सफलता, धन, और प्रतिष्ठा लाने में मदद करता है। यह योग विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो व्यापार, राजनीति, या नेतृत्व से जुड़े क्षेत्र में काम करते हैं।

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Published by Sri Mandir·January 16, 2025

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