गजकेसरी योग से व्यक्ति को समृद्धि, उच्च पद और मानसिक संतुलन मिलता है। जानिए इसके महत्व और प्रभाव।
गजकेसरी योग एक अत्यंत शुभ ज्योतिष योग है जो कुंडली में बृहस्पति और चंद्रमा के विशेष स्थान पर होने से बनता है। जब बृहस्पति (गुरु) और चंद्रमा एक दूसरे से त्रिकोण या द्वादश भाव में स्थित होते हैं, तब यह योग उत्पन्न होता है। गजकेसरी योग से व्यक्ति को ज्ञान, सम्मान, प्रतिष्ठा, और समृद्धि मिलती है। यह योग व्यक्ति को मानसिक शांति और उच्च सामाजिक स्थिति भी प्रदान करता है।
गजकेसरी योग वैदिक ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है। किसी भी व्यक्ति के कुंडली में जब चंद्रमा और बृहस्पति अनुकूल स्थिति में होते हैं तो गजकेसरी योग बनता है। ये योग व्यक्ति के जीवन में सफलता और सुख समृद्धि लेकर आता है। कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति के कुंडली में ये योग होता है उसे धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है। गजकेसरी योग में गज शब्द का तात्पर्य ‘हाथी’ से हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है और केसरी का अर्थ ‘सिंह’ से है, जो साहस का प्रतीक है। ये योग व्यक्ति के जीवन में गज जैसी स्थिरता लाता है और सिंह के समान साहस लेकर आता है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति अनुकूल होती है तो गजकेसरी योग बनता है। कुंडली में मौजूद बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, उसे धन-दौलत की कमी नहीं होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। बृहस्पति की तरह ही कुंडली में मौजूद चंद्रमा जब अपनी अच्छी स्थिति में होता है तो व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और सभी कार्यों में सफलता हासिल होती है।
कुंडली में गजकेसरी योग तब बनता है, जब चंद्रमा और बृहस्पति दोनों अनूकूल स्थिति में एक दूसरे के साथ शुभ संयोग बनाते हैं और बाकी ग्रह भी सकारात्मक रूप से उनका साथ देते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा और बृहस्पति का उच्च राशि में होना इस योग को अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली बनाता है। ऐसे में चंद्रमा का कर्क राशि में और बृहस्पति का धनु या मीन राशि में होना बहुत शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्ति का आशीष मिलता है, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग तब बनता है जब चंद्रमा और बृहस्पति कुंडली के केंद्र यानि अपने पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में स्थिति हो या फिर त्रिकोण भाव यानि पंचम और नवम भाव में स्थित हो। कहा जाता है कि अगर चंद्रमा प्रथम भाव में और बृहस्पति पंचम भाव में है, तो यह एक शक्तिशाली गजकेसरी योग बनाता है। ये योग व्यक्ति के जीवन में सफलता प्रदान करता है।
ठीक इसी तरह से चंद्रमा और बृहस्पति का उच्च राशि में होना भी गजकेसरी योग को अत्यधिक प्रभावशाली बनाता है। जैसे अगर चंद्रमा कर्क राशि में और बृहस्पति धनु या मीन राशि में हो तो ये योग और भी ज्यादा प्रभावशाली हो जाता है। इन सभी चीजों के अलावा अगर ये दोनों ही ग्रह अपने स्वयं की राशि में हो तो इस योग का फल और भी ज्यादा शुभ हो जाता है।
यदि चंद्रमा और बृहस्पति दोनों एक दूसरे को सप्तम दृष्टि से देखते है या फिर एक ही भाव में स्थित होते हैं तब भी गजकेसरी योग अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। इतना सब होने के बाद भी ये योग तभी पूर्ण फल देता है जब चंद्रमा और बृहस्पति राहु, केतु, शनि, या मंगल जैसे पाप ग्रहों की दृष्टि से मुक्त हों।
गजकेसरी योग में चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति जिस भाव में होती है, उसी के आधार पर यह योग जीवन के अलग अलग क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
इसे ज्योतिष भाषा में लग्न भाव भी कहते है। जब चंद्रमा और बृहस्पति इस भाव में होते है तो यह व्यक्ति के व्यक्तित्व, उसके आत्मविश्वास और शारीरिक बनावट को दर्शाते है। इस योग के प्रभाव वाला व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है। वो अपनी मेहनत और लग्न से समाज में उच्च सम्मान प्राप्त करता है। ऐसे लोग समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाते है ।
द्वितीय भाव को धन भाव भी कहा जाता है। यह भाव धन, परिवार और वाणी को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब चंद्रमा और बृहस्पति धन भाव में होते है तो आर्थिक समृद्धि आती है और धन धान्य में वृद्धि होती है। इस भाव में गजकेसरी योग रखने वाले लोग अपने परिवार के सहयोग से जीवन में बहुत सफलता हासिल करते है। इनकी वाणी इतनी प्रभावी होती है कि ये सभी को अपनी बातों से अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
इसे अक्सर पराक्रम भाव भी कहा जाता है, जिस किसी की भी कुंडली में गजकेसरी योग पराक्रम भाव में होता है वो व्यक्ति बहुत मेहनती होते है। ऐसी मान्यता है कि इन्हें पत्रकार, लेखक, या कलाकार के रूप में सफलता मिलती है।
इसे सुख भाव भी कहा जाता है क्योंकि इसका संबंध घर, संपत्ति, और सुख-सुविधाओं से होता है। कहा जाता है कि इस भाव के योग वाले लोग प्रॉपर्टी और वाहन आसानी से खरीद सकते है।
ये भाव विद्या को समर्पित है। इस भाव के योग वाले लोग शोधकर्ता, प्रोफेसर, या कलाकार के रूप में बहुत सफलता हासिल करते हैं।
ये शत्रु भाव को दर्शाता है। इस भाव के योग वाले लोग कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने साहस से जीत हासिल कर लेते हैं।
इस भाव के योग वाले लोग अपने जीवनसाथी और व्यापारिक साथियों के साथ मिलकर जीवन में बहुत सफलता हासिल कर सकते हैं।
अष्टम भाव को आयु भाव भी कहते हैं। ऐसे योग वाले व्यक्ति को अचानक से धन लाभ होने की संभावना होती है। इन लोगों में गहरी बातों को समझने की क्षमता भी होती है।
इसे आसान भाषा में धर्म भाव भी कहा जाता है। इस भाव में योग रखने वाला व्यक्ति समाज में धार्मिक और नैतिक आदर्श स्थापित करता है।
इसका सीधा सा संबंध कर्म भाव से है। इससे करियर में तरक्की मिलती है। सिर्फ इतना ही नहीं व्यक्ति बड़ी कंपनियों का सीईओ या समाजसेवी तक बन सकता है।
इस भाव को लाभ भाव भी कहते है क्योंकि जिस भी कुंडली में इस भाव में ये योग होता है उसे व्यापार में अनंत सफलता मिल सकती है।
इसे व्यय भाव भी कहते है। कहा जाता है की इस भाव वाले लोगों का विदेश यात्रा का संयोग बनता है।
गजकेसरी योग का सीधा सा संबंध चंद्रमा से है तो चंद्रमा को ठीक करने के लिए करें ये खास काम
मंत्र: “ॐ सोम सोमाय नमः”
पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन करें।
चांदी का आभूषण या कड़ा धारण करें।
रात को चावल, दूध, और चीनी का दान करें।
गजकेसरी योग का सीधा सा संबंध बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा से है तो इन दोनों की उपासना करें।
Did you like this article?
दशा क्या है? जानें हमारे जीवन में इसका महत्व, दशा के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव, और कैसे यह हमारे जीवन की दिशा बदल सकती है।
महादशा क्या है, इसका महत्व और हमारी जिंदगी पर इसके प्रभाव। जानें कि महादशा कैसे निर्धारित की जाती है और ज्योतिष में इसकी भूमिका।
सूर्य की महादशा: जानिए यह कैसे शुरू होती है, इसके लक्षण और हमारी जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभाव। ज्योतिष में सूर्य की महादशा का महत्व समझें।