काहल योग क्या होता है? जानें इसके प्रभाव और महत्व
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काहल योग क्या होता है? जानें इसके प्रभाव और महत्व

काहल योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करने की क्षमता देता है। यह योग जीवन में विशेष चुनौतियाँ और अवसर लाता है।

काहल योग के बारे में

काहल योग वैदिक ज्योतिष में एक शक्तिशाली योग माना जाता है, जो व्यक्ति को साहस, दृढ़ता और नेतृत्व गुणों से संपन्न बनाता है। यह योग तब बनता है जब लग्न या चंद्रमा से केंद्र स्थानों में शुभ ग्रह स्थित हों। काहल योग से जातक अपने करियर में प्रगति करता है, संघर्षों का सामना कर विजयी होता है, और समाज में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

काहल योग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में काहल योग के सकारात्मक प्रभावों को राजयोग माना जाता है। इस योग का सीधा संबंध चतुर्थ भाव और लग्न भाव के स्वामियों से होता है। यह इन दोनों भावों के स्वामियों की स्थिति और आपसी संबंधों पर आधारित होता है।

चतुर्थेश और लग्नेश भाव के ये संबंध तीन प्रकार के होते है

पहला वो जिसमें चतुर्थेश और लग्नेश एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों। उदाहरण के लिए यदि चतुर्थ भाव का स्वामी शुक्र हो और लग्नेश भाव का स्वामी चंद्रमा हो, और ये दोनों एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों, तो काहल योग बनता है।

दूसरे संबंध में योग तब बनता है जब दोनों ग्रह एक ही भाव में स्थित हों। जैसे यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थेश मंगल और लग्नेश सूर्य एक ही भाव में स्थित हों, तो काहल योग बनता है।

आखिर में ये योग तब बनता है जब दोनों ग्रह अपनी-अपनी राशियों की अदला-बदली कर रहे हों। उदाहरण के लिए यदि चतुर्थ भाव का स्वामी गुरु और लग्नेश भाव का स्वामी शनि अपनी-अपनी राशियों की अदला-बदली कर लें।

जब चतुर्थेश और लग्नेश अपनी उच्च राशि, स्वगृही राशि, या मित्र ग्रह की राशि में स्थित होते हैं तो ये योग और भी ज्यादा फलदायी माना जाता है। इसके अलावा यदि चतुर्थेश और लग्नेश पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु, शनि, या मंगल से प्रभावित नहीं हैं, तो ये योग और भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है।

काहल योग का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काहल योग अत्यंत शुभ राजयोग है। ये जिस भी व्यक्ति की कुंडली में विद्यमान होता है उसे संघर्ष करने की क्षमता और सफलता प्रदान करता है। इस योग का महत्व इसलिए भी बहुत अधिक है, क्योंकि ये व्यक्ति को विषम परिस्थितियों में भी दृढ़ता से खड़े रहने और विजयी होने की शक्ति प्रदान करता है।

काहल योग बहुत दुर्लभ योग है। जो जल्दी से हर किसी की कुंडली में नहीं पाया जाता है। इस योग का सीधा सा संबंध पराक्रम से जुड़ा है। ये योग जिस भी व्यक्ति की कुंडली में होता है उसमें से ज्यादातर लोग सेना या पुलिस फोर्स जॉइन करते हैं। ये योग लोगों की नेतृत्व करने की क्षमता को बढ़ाता है। उनके अंदर जोश और आत्मविश्वास बढ़ाता है। इस योग के प्रभाव का जीता जागता उदाहरण बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिग बी के कुंडली में भी काहल योग है। आज वो जहां भी है, वो उनकी कड़ी मेहनत और इस योग का संयुक्त परिणाम है।

काहल योग का प्रभाव

काहल योग का परिणाम सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं।

काहल योग के नकारात्मक प्रभाव

सफलता मिलने में दिक्कतें

जब चतुर्थेश या लग्नेश अशुभ ग्रहों जैसे शनि, राहु और केतु से पीड़ित हो तो यह योग कमजोर हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करने के बाद भी सफलता मिलने में दिक्कतें आती है।

आर्थिक अस्थिरता

काहल योग के कमजोर होने की वजह से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक अस्थिरता आ सकती है, इससे उन्हें धन की हानि, कर्ज और संपति विवादों का सामना करना पड़ सकता है।

मानसिक तनाव का कारण

काहल योग का अशुभ प्रभाव व्यक्ति के मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। उसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में व्यक्ति खुद को कमजोर और अस्थिर महसूस कर सकता है।

काहल योग के सकारात्मक प्रभाव

आर्थिक समृद्धि

काहल योग के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को धन, संपत्ति, और भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। व्यापार और निवेश में सफलता हासिल होती है। सिर्फ इतना ही नहीं जिस भी व्यक्ति का काहल योग शुभ होता है उसे अपने करियर में बहुत आसानी से सफलता प्राप्ति होती है।

सामाजिक प्रतिष्ठा

काहल योग वाले लोग बहुत पराक्रमी और नेतृत्व क्षमता रखने वाले लोग होते हैं, कुंडली में इस योग के होने से समाज में रुतबा बढ़ता है और नौकरी में उच्च पद और अधिकार प्राप्त होता है।

जीवन में सफलता मिलेगी

कुंडली में काहल योग वाले लोग बहुत भाग्यशाली होते है। ऐसे में ये लोग जो भी करते है उन्हें उसमें सफलता प्राप्त होती है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी ये लोग निर्णय लेने की क्षमता रखते है।

ऐसे करें अपने काहल योग को मजबूत

  • चतुर्थेश और लग्नेश के लिए उपयुक्त मंत्रों का जाप करें।
  • नियमित रूप से मंगल और शनि के शुभ प्रभाव के लिए पूजा करें।
  • जरूरतमंद लोगों को दान करें और ब्राहमण दान जैसे पुण्य के काम करें।
  • शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हर शनिवार के दिन शनि देव को तिल और तेल अर्पण करें।
  • मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए हर मंगलवार के लिए हनुमान चलीसा का पाठ करें और हनुमान जी को चढ़ावा चढ़ाएं।
  • ग्रहों की दशा अच्छी रखने के लिए रोजाना सूर्य देव को जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें।
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Published by Sri Mandir·January 15, 2025

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