रूचक योग क्या होता है? इसके फायदे और प्रभाव
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रूचक योग क्या होता है? इसके फायदे और प्रभाव

रूचक योग व्यक्ति को जीवन में साहस, नेतृत्व क्षमता और उच्च सामाजिक स्थिति प्राप्त करने का योग है। यह व्यक्ति को शौर्य और वीरता में सफलता दिलाता है।

रूचक योग के बारे में

रूचक योग पंच महापुरुष योगों में से एक है, जो तब बनता है जब मंगल ग्रह कुंडली के केंद्र (1, 4, 7, 10) में या त्रिकोण (5, 9) में अपनी उच्च राशि (मकर) या स्वग्रही (मेष, वृश्चिक) में स्थित हो। यह योग साहस, नेतृत्व, शक्ति और सफलता का प्रतीक है। रूचक योग वाले व्यक्ति साहसी, प्रभावशाली, और जीवन में उच्च पद प्राप्त करने वाले होते हैं।

रुचक योग

रूचक योग व्यक्ति की कुंडली में बनने वाला एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है, जो कुंडली में मंगल ग्रह के विशेष स्थिति में होने से बनता है। यह योग व्यक्ति को साहस, उग्रता, नेतृत्व क्षमता और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है। यह योग किसी व्यक्ति को युद्ध, खेल, और किसी भी प्रकार के प्रतिस्पर्धी कार्यों में सफलता दिला सकता है।

रुचक योग के महत्व

एक व्यक्ति की कुंडली में रूचक योग का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह जातक को साहस, आत्मविश्वास और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है। इस योग का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व, करियर और जीवन की दिशा पर गहरा असर डालता है। यह व्यक्ति पर कुछ इस प्रकार प्रभाव डालता है-

साहस और निडरता:

रुचक योग से एक व्यक्ति में साहस और निडरता का विकास होता है, जिससे वह कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। वह अपनी समस्याओं का सामना बिना डर के करता है। उसे कभी किसी और की जरूरत नहीं पड़ती है।

नेतृत्व क्षमता:

इस योग के प्रभाव से व्यक्ति नेतृत्व करने में सक्षम होता है। वह दूसरों को मार्गदर्शन देने और अपने कार्यों में सफल होने के लिए प्रेरित करता है। बड़े-बड़े नेताओं की कुंडली में अक्सर इस योग को बनते हुए देखा गया है।

शारीरिक और मानसिक ताकत:

रुचक योग शारीरिक बल और मानसिक दृढ़ता को बढ़ाता है। व्यक्ति में ऊर्जा और कार्य करने की इच्छा अधिक होती है, जिससे वह अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा आगे बढ़ने के विषय में सोचता है।

प्रतिस्पर्धा में सफलता:

यह योग व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा में सफलता दिलाने में मदद करता है। चाहे वह खेल में हो या व्यापार में, वह हमेशा आगे रहने के लिए तत्पर रहता है। ऐसे लोगों को हार देखने की आदत नहीं होती है।

जोखिम उठाने की क्षमता:

रुचक योग वाले व्यक्ति में जोखिम उठाने की क्षमता होती है। वह किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले डरता नहीं और उसे सफलता पाने के लिए पूरी मेहनत करता है। व्यापार करने वाले लोगों की कुंडली में ऐसे योग बनते हैं।

कुंडली में कब और कैसे बनता है रूचक योग

एक जातक की कुंडली में रूचक योग तब बनता है जब मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित होता है, यानी जब वह मेष या वृश्चिक राशि में होता है।

मंगल का उच्च राशि में होना:

जब मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित होता है, तो यह रुचक योग का निर्माण करता है। मंगल की उच्च राशि मेष और वृश्चिक होती है, और इन राशियों में मंगल का प्रभाव बहुत मजबूत होता है।

कुंडली के केंद्र भावों में मंगल का स्थान:

अगर मंगल ग्रह कुंडली के केंद्र भावों (1, 4, 7, 10) में स्थित हो और वह अपनी उच्च राशि में हो, तो यह योग और अधिक मजबूत होता है। केंद्र भावों में मंगल का प्रभाव व्यक्ति को सफलता, साहस और नेतृत्व की दिशा में प्रोत्साहित करता है।

मंगल का शुभ दृष्टि से होना:

कुंडली में मंगल की स्थिति के साथ साथ, यदि वह शुभ ग्रहों से दृष्टि प्राप्त करता है, जैसे कि गुरु या शुक्र, तो रुचक योग और भी अधिक सशक्त होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और उसे जीवन में नया उत्साह मिलता है।

रूचक योग के प्रभाव

शारीरिक शक्ति:

व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत और सक्रिय बनाता है।

साहस और आत्मविश्वास:

इस योग से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास का विकास होता है।

नेतृत्व क्षमता:

व्यक्ति नेतृत्व करने में सक्षम होता है और दूसरों को मार्गदर्शन देने में सफल होता है।

सफलता की प्राप्ति:

व्यक्ति कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है और उसे नए अवसर मिलते हैं।

समाज में सम्मान:

व्यक्ति समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है।

मजबूत करने के उपाय

  • रूचक योग मंगल ग्रह से जुड़ा होता है। इस योग को मजबूत करने के लिए मंगल की पूजा करें और हनुमान जी की उपासना करें।

  • मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है। खुद पर विश्वास रखें और हमेशा सकारात्मक सोच रखें।

  • स्वस्थ और संतुलित आहार लें, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन हो। इससे आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

  • शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम करें और योग तथा ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

  • प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दें। अपने जीवन में अनुशासन और नियमितता बनाए रखें।

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Published by Sri Mandir·January 16, 2025

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