विपरीत राजयोग क्या होता है? इसके प्रभाव और लाभ
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

विपरीत राजयोग क्या होता है? इसके प्रभाव और लाभ

विपरीत राजयोग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है। यह योग जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव और सम्मान का संकेत है।

विपरीत राजयोग के बारे में

विपरीत राजयोग तब बनता है जब कुंडली में छठे, आठवें, या बारहवें भाव का स्वामी इन भावों में स्थित हो और शुभ ग्रहों से संबंध बनाए। यह योग जीवन में चुनौतियों के बाद सफलता और उन्नति प्रदान करता है। विपरीत राजयोग से व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने पक्ष में बदलने की क्षमता रखता है। यह योग संघर्षों के बीच भी विशेष सम्मान, धन, और सफलता का कारक बनता है।

विपरीत राजयोग

विपरीत राजयोग का एक विशेष योग है, जो अशुभ भावों (6वें, 8वें, और 12वें भाव) के स्वामियों के शुभ प्रभाव से बनता है। सामान्यतः ये भाव अशुभ माने जाते हैं, लेकिन जब इन भावों के स्वामी ग्रह अन्य अशुभ भावों में स्थित हों या विशेष परिस्थितियों में अन्य ग्रहों के साथ संबंध बनाएं, तो ये ग्रह विपरीत प्रभाव देते हुए जातक के जीवन में सफलता, प्रतिष्ठा और सौभाग्य लेकर आते हैं। इस योग को अशुभ से शुभ की ओर परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।

विपरीत राजयोग का निर्माण

विपरीत राजयोग तब बनता है जब:

अशुभ भावों (6, 8, और 12) के स्वामी ग्रह:

  • यदि ये ग्रह अन्य अशुभ भावों में स्थित हों।
  • या ये ग्रह आपस में परस्पर संबंध (योग, दृष्टि, या परिवर्तन) बनाते हों।
  • या केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (5, 9) भावों में शुभ ग्रहों के साथ संबंध बनाते हों।

शुभ ग्रहों का सहयोग:

  • यदि अशुभ भावों के स्वामी ग्रहों को शुभ ग्रहों का समर्थन मिलता है, तो वे शुभ फल देने लगते हैं।

बलवान ग्रह:

  • अशुभ भावों के स्वामी ग्रह यदि उच्च स्थिति (उच्च राशि) में हों या स्वराशि में स्थित हों, तो विपरीत राजयोग बनता है।

विपरीत राजयोग के प्रकार

हरि योग:

  • जब 6वें भाव का स्वामी 8वें या 12वें भाव में हो।

सरला योग:

  • जब 8वें भाव का स्वामी 6वें या 12वें भाव में हो।

विमला योग:

  • जब 12वें भाव का स्वामी 6वें या 8वें भाव में हो।

विपरीत राजयोग के प्रभाव

आर्थिक समृद्धि:

  • इस योग के प्रभाव से जातक को जीवन में धन, संपत्ति, और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।

सफलता और प्रतिष्ठा:

  • जातक कठिन परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करता है और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

साहस और आत्मविश्वास:

  • विपरीत परिस्थितियों में भी जातक आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है।

शत्रु नाश:

  • यह योग जातक को शत्रुओं पर विजय दिलाता है और मुकदमों या विवादों में सफलता प्रदान करता है।

स्वास्थ्य में सुधार:

  • जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

अचानक लाभ:

  • इस योग के कारण जातक को अचानक धन, जमीन-जायदाद, या अन्य लाभ हो सकते हैं।

विपरीत राजयोग के उदाहरण

  • यदि किसी कुंडली में 6वें भाव का स्वामी 8वें भाव में हो और बृहस्पति की दृष्टि हो, तो हरि योग बनता है।
  • 12वें भाव का स्वामी 6वें भाव में स्थित हो और स्वराशि में हो, तो विमला योग बनता है।
  • यदि 8वें भाव का स्वामी 12वें भाव में हो और शुभ ग्रहों के साथ हो, तो सरला योग बनता है।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ये योग कमजोर हो या सही परिणाम न दे रहा हो, तो इसके लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय ग्रहों को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करते हैं।

विपरीत राजयोग के लिए उपाय:

गुरु और शनि की शांति:

  • बृहस्पति के लिए पीले वस्त्र, चने की दाल, या सोने का दान करें।
  • शनि के लिए काले तिल, सरसों का तेल, या लोहे का दान करें।
  • शनिवार को हनुमान जी का पूजन और शनि चालीसा का पाठ करें।

मंत्र जाप:

  • संबंधित ग्रहों के बीज मंत्र का जाप करें। जैसे:
  • बृहस्पति के लिए: "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।"
  • शनि के लिए: "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।"

नवग्रह पूजन:

  • कुंडली में जिन ग्रहों का प्रभाव विपरीत है, उनकी पूजा करें और नवग्रह यंत्र स्थापित करें।
  • नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें।

दान और सेवा:

  • गरीबों को भोजन, वस्त्र, और जरूरतमंदों की सेवा करें।
  • गौ माता की सेवा और गाय को हरा चारा खिलाना लाभकारी होता है।

रुद्राभिषेक:

  • शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। यह सभी दोषों को दूर करता है।
  • रत्न धारण:
  • हनुमान पूजा:
  • सूर्य को अर्घ्य देना:
  • वास्तु उपाय:

ये उपाय आपकी कुंडली के अनुसार संतुलन लाने और विपरीत राजयोग को मजबूत करने में सहायक होंगे। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले एक योग्य ज्योतिषी से परामर्श जरूर लें।

विशेष बात

विपरीत राजयोग का असर तभी पूर्ण रूप से मिलेगा, जब अन्य शुभ योग (जैसे गजकेसरी योग, पंचमहापुरुष योग) भी कुंडली में मौजूद हों। अशुभ ग्रह मजबूत होने पर यह योग अधिक प्रभावशाली बनता है।

कुंडली में इस योग का सही आकलन और प्रभाव समझने के लिए एक योग्य ज्योतिषी से परामर्श करना आवश्यक है।

divider
Published by Sri Mandir·January 16, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.