मौनी अमावस्या शाही स्नान मुहूर्त 2025
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मौनी अमावस्या शाही स्नान मुहूर्त 2025

क्या आप जानते हैं 2025 मौनी अमावस्या शाही स्नान का सही मुहूर्त क्या है? जानिए इस पवित्र दिन का महत्व और कुंभ मेला में स्नान से मिलने वाले पुण्य के बारे में!

मौनी अमावस्या शाही स्नान के बारे में

मौनी अमावस्या, कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण और पुण्यदायी दिन माना जाता है। इसे "मौन साधना" और "आत्मिक शुद्धि" का पर्व कहा जाता है। इस दिन पवित्र संगम में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या शाही स्नान

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ‘मौनी अमावस्या’ कहा जाता है। कुंभ मेले में दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या के दिन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने लंबी तपस्या के बाद अपना मौन व्रत तोड़ा था और संगम स्नान किया था। इसके अलावा, पुराणों में ये भी वर्णन मिलता है कि माघ अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने, गंगा के अमृतमय जल में स्नान करने व पितरों का तर्पण करने से जातक को पुण्य प्राप्त होता है और पितरों को शांति मिलती है।

मौनी अमावस्या शाही स्नान मुहूर्त 2025

  • मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।
  • अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • अमावस्या तिथि का समापन 29 जनवरी 2025 को शाम 06 बजकर 05 नवम्बर पर होगा।

महाकुंभ में स्नान-दान का महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है। 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके अपना जीवन धन्य करेंगे।

महाकुंभ में किए गए स्नान, दान और पूजा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही, इस दिन किया गया दान-पुण्य भी विशेष फलदायक होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गई स्नान दान से सिर्फ ईश्वर ही नहीं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

महाकुंभ पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं
  • अब अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर का ध्यान करें और पवित्र नदी को प्रणाम करें।
  • नदी में प्रवेश से पहले गंगा स्तुति या "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु।।" का जाप करें।
  • इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
  • अब त्रिवेणी संगम में तीन बार डुबकी लगाएं।
  • स्नान के बाद वस्त्र, भोजन, तिल, चावल, आटा आदि का दान करें।
  • इसके बाद संगम तट पर आरती करें, और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

महाकुंभ में दान का महत्व

महाकुंभ में दान को असंख्य पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किया गया दान न केवल इस जन्म में, बल्कि अगले जन्म में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान से जातक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और ग्रह दोष समाप्त होते हैं। ध्यान रहे कि दान हमेशा श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से करें।

महाकुंभ में दान की विधि

  • आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति के लिए चावल का दान करें।
  • दरिद्रता को समाप्त करने के लिए वस्त्र दान करें।
  • पितृ दोष से छुटकारा दिलाने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए तिल का दान करें।
  • अन्न के अभाव से बचने और समृद्धि लाने के लिए आटा का दान करें।

तो यह थी मौनी अमावस्या शाही स्नान से जुड़ी विशेष जानकारी। महाकुंभ 2025 के विशेष दिनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

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Published by Sri Mandir·January 3, 2025

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