पौष पूर्णिमा स्नान 2025
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पौष पूर्णिमा स्नान 2025

पौष पूर्णिमा स्नान के महत्व को जानें और 2025 में इस दिन को बनाएं और भी खास, सही मुहूर्त और उपाय से!

पौष पूर्णिमा स्नान के बारे में

पौष पूर्णिमा स्नान हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना और संगम में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा स्नान आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का दिन है, जो व्यक्ति को जीवन में सकारात्मकता प्रदान करता है।

पौष पूर्णिमा स्नान 2025

पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों, स्नान, ध्यान और दान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस पवित्र दिन त्रिवेणी संगम या गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल शरीर शुद्ध होता है, बल्कि आत्मा भी पापों से मुक्त होती है। इसके साथ ही इसी तिथि से महाकुंभ का शुभारंभ भी हो रहा है।

पौष पूर्णिमा स्नान का शुभ मुहूर्त

2025 में पौष पूर्णिमा सोमवार, 13 जनवरी को पड़ रही है। यह दिन माघ मास की शुरुआत और महाकुंभ स्नान पर्व का पहला दिन होगा। इस दिन स्नान और दान करने का शुभ समय इस प्रकार है:

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 जनवरी 2025 को सुबह 5:03 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जनवरी 2025 को सुबह 3:56 बजे
  • चंद्रोदय समय: 13 जनवरी 2025 को शाम 4:49 बजे

यह अवधि स्नान, ध्यान और दान जैसे सभी धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

महाकुंभ में स्नान दान का महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है। 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके अपना जीवन धन्य करेंगे।

महाकुंभ में किए गए स्नान, दान और पूजा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही, इस दिन किया गया दान-पुण्य भी विशेष फलदायक होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गई स्नान दान से सिर्फ ईश्वर ही नहीं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

महाकुंभ पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं
  • अब अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर का ध्यान करें और पवित्र नदी को प्रणाम करें।
  • नदी में प्रवेश से पहले गंगा स्तुति या "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु।।" का जाप करें।
  • अब त्रिवेणी संगम में तीन बार डुबकी लगाएं।
  • इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
  • स्नान के बाद वस्त्र, भोजन, तिल, चावल, आटा आदि का दान करें।
  • इसके बाद संगम तट पर आरती करें, और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

महाकुंभ में दान का महत्व

महाकुंभ में दान को असंख्य पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किया गया दान न केवल इस जन्म में, बल्कि अगले जन्म में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान से जातक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और ग्रह दोष समाप्त होते हैं। ध्यान रहे कि दान हमेशा श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से करें।

महाकुंभ में दान की विधि

  • आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति के लिए चावल का दान करें।
  • दरिद्रता को समाप्त करने के लिए वस्त्र दान करें।
  • पितृ दोष से छुटकारा दिलाने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए तिल का दान करें।
  • अन्न के अभाव से बचने और समृद्धि लाने के लिए आटा का दान करें।

तो यह थी 'पौष पूर्णिमा स्नान' से जुड़ी विशेष जानकारी। महाकुंभ 2025 के विशेष दिनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

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Published by Sri Mandir·January 3, 2025

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