महाशिवरात्रि व्रत के नियम

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

कैसे करें व्रत का पारण?


महा शिवरात्रि व्रत के नियम क्या हैं?

ॐ नमः शिवाय!

कुछ ही दिनों में महा शिवरात्रि के आगमन के साथ महादेव के भक्तों की प्रतीक्षा का अंत होने वाला है।

कहा जाता है कि शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर शिव जी के पूजन एवं व्रत के दौरान कुछ सरल नियमों का पालन भक्तों को भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा का अधिकारी बनाता है एवं व्रत का संपूर्ण फल प्रदान करता है।

इस लेख में -

  1. शिवरात्रि व्रत के नियम

  2. व्रत के पारण के नियम

1. शिवरात्रि व्रत के नियम

महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर जल में काले तिल डालकर स्नान करें। यदि सम्भव हो तो इस दिन गंगा-स्नान करें। आप घर के जल में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।

  • महा शिवरात्रि के दिन उपवास के दौरान अन्न एवं सादे नमक का सेवन बिल्कुल न करें। साथ ही अल्पाहार लें। बार-बार फलाहार न करें।

  • प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा एवं धूम्रपान आदि तामसिक चीजों का पूर्ण रूप से परहेज करें।

  • व्रत के दौरान दिन में न सोएं। शास्त्रों के अनुसार दिन में सोने से आपको व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलेगा।

  • यदि आप इस दिन निर्जला व्रत रखने में सक्षम नहीं हैं तो आप चाय, दूध और फल आदि का सेवन कर सकते हैं।

  • यदि व्रत में सात्विक भोजन ग्रहण कर रहें हैं। तो इसके लिए साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करें।

  • इस दिन ब्रह्मचर्य के नियम का पूर्ण रूप से पालन करें। तन-मन की शुद्धता बनायें रखें।

  • व्रत के दौरान किसी से भी झगड़ा या वाद-विवाद न करें। निंदा न करें एवं झूठ न बोलें।

  • शिवपुराण में महाशिवरात्रि में रात के समय जागरण करने का अत्यंत महत्व बताया गया है। अतः व्रत के साथ रात्रि जागरण करें जिससे आपको व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा।

2. व्रत के पारण के नियम

  • महा शिवरात्रि व्रत का नियम है कि इस व्रत को चतुर्दशी तिथि में ही आरंभ कर इसका पारण चतुर्दशी तिथि में ही करना चाहिए। अतः सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अंत होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करें।

  • शिवरात्रि के अगले दिन स्नान करने के बाद फल, दूध अथवा सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

दोस्तों, शिवरात्रि पर दिन-रात घरों से लेकर मंदिरों तक, संपूर्ण वातावरण, “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंजता रहता है। यह पावन पर्व शिव जी के भक्तों के लिए केवल आस्था एवं समर्पण का अवसर ही नहीं है, बल्कि यह भक्तिरस के आनंद का ऐसा महोत्सव है जिसमें हर उम्र के लोग भाग लेते हैं।

अतः आप भी इस शिवरात्रि पर भोले की भक्ति में रम जाइये और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त करिए।

साथ ही इस पर्व से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी के लिए श्री मंदिर के अन्य लेख अवश्य देखिए।

धन्यवाद।

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