महाशिवरात्रि की पूजा विधि जानकर सही तरीके से पूजा करें। भगवान शिव की आराधना से पाएं पुण्य और आशीर्वाद, जो आपके जीवन को संजीवनी दे।
महाशिवरात्रि यानी भगवान शिव का दिन। कहा जाता है, कि इस दिन भगवान शिव की, पूरे विधि-विधान से की गई पूजा, विशेष फल देती है। लेकिन, आखिर क्या है, यह विशेष पूजा? इसे करने का सही तरीका क्या है? आइए, महाशिवरात्रि के अवसर पर, श्री मंदिर की इस ख़ास प्रस्तुति में जानते हैं, पावन महाशिवरात्रि पूजा की विधि। महाशिवरात्रि की चारों प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त श्री मंदिर पर आपके लिए उपलब्ध है।
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को बेहद ख़ास और शुभ माना गया है। रात के आख़िरी पहर के बाद और सूर्योदय से ठीक पहले का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है, यानी सुबह से 4 बजे से लेकर सुबह के साढ़े 5 बजे तक का जो समय होता है, वो ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है। और इसी मुहूर्त में भगवान की पूजा का महत्व होता है।
महाशिवरात्रि के इस पावन दिन की शुरुआत, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान करने से करें। स्नान के बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्वच्छ वस्त्र डालकर, किसी शिवालय में शिवलिंग के सामने बैठकर, भगवान शिव का ध्यान करें।
भगवान शिव की पूजा में त्रिपुंड लगाने का बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि, त्रिपुंड लगाने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इसीलिए पूजा शुरू करने से पहले शिवलिंग पर चंदन का त्रिपुंड लगाएं। इसके लिए तीन अंगुलियों पर चंदन लगाएं और फिर शिवलिंग पर बाईं ओर से दाईं ओर त्रिपुंड लगाएं। आप अपने माथे पर भी त्रिपुंड लगा सकते है।
फिर माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। कहते हैं इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन माता पार्वती की पूजा भी अति फलदायी होती है।
सबसे पहले पूरे शिव परिवार को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनको नमन करें।
फिर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें, और निरंतर ॐ नमः शिवाय का जाप करें। आप चाहे तो अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इसके बाद, भोले शंकर का शुद्ध जल से अभिषेक कर उन्हें वस्त्र, जनेऊ अर्पित करें।
अब भोलेशंकर को षोडशोपचार अर्थात पुष्प, अक्षत् यानी साबुत चावल , बेल पत्र, आक-धतूरा के फूल, भांग, इत्र, साबुत हल्दी, इलायची, लौंग, फल, सुपारी एक एक करके शिवलिंग पर चढ़ाएं, फिर भगवान शिव को खीर या मिठाई और फलों का भोग लगाएं। और मन में उनका ध्यान और ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहे।
अब भगवान शंकर के सामने धूप, अगरबत्ती, कपूर या घी का दीया जलाकर उनकी आरती करें और उनसे अपने भूल-चूक की माफ़ी मांगते हुए, अपने उज्वल भविष्य की कामना करें। आप शिव चालीसा का भी पाठ कर सकते है। हो सके तो रात भर जाग कर चार पहर की पूजा में भी सम्मिलित हो जाएँ।
अगर घर के पास शिव मंदिर नहीं है तो आप घर में पार्थिव शिवलिंग यानी मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा कर सकते हैं। ध्यान रखें की पार्थिव शिवलिंग में शुद्ध मिट्टी का प्रयोग करें।
पार्थिव शिवलिंग, मिट्टी, गाय के गोबर, गुड़, मक्खन, राख और गंगा जल को मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर, इसमें गंगाजल मिला लें। हम कामना करते है, महाशिवरात्रि पर आपकी पूजा सिद्ध हो और आप भोले शंकर की विशेष कृपा के हकदार बनें।
महाशिवरात्रि पर पूरे विधि- विधान से की गई यह पूजा, पूरी उम्र के पापों का निवारण है। आप भी पूर्ण भक्ति और आस्था के साथ महादेव की अर्चना कर, भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें, इस महाशिवरात्रि पर हम आपके लिए लेकर आएं है, इस पर्व से जुड़ी कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण बातें, तो आप बने रहिये श्री मंदिर पर। भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामना पूरी करें।
।।ॐ नमः शिवाय।।
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