महाकालेश्वर मंदिर के रहस्यों को जानिए, जहां भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथाएं और चमत्कार आपको आश्चर्यचकित करेंगे।
महाकालेश्वर मंदिर जहां पर अदृश्य शक्ति छिपी है और ये मंदिर आपको हर कदम पर आशीर्वाद देती है? इस मंदिर में कई सारे अनसुलझे रहस्य हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक गुत्थी बने हुए हैं। आइए जानते हैं भगवान शिव के मंदिर महाकालेश्वर के रहस्यों को।
देवों के देव महादेव और कालों के काल महाकाल के मंदिर देशभर में स्थित हैं, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं। इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकाल का महाकालेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने रहस्यों और अद्भुत मान्यताओं के लिए भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर कुछ रोचक तथ्यों औऱ रहस्यों के बारे में
एक मात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंगः उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं, जो इस स्थान की विशेषता को और भी अनोखा बनाता है। यह विशेषता केवल इस मंदिर में ही देखने को मिलती है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर का शिवलिंग एकमात्र दक्षिणमुखी है, जो इसे अन्य स्थानों से अलग बनाता है। यह विशेषता इस मंदिर को अद्भुत बनाती है, क्योंकि अधिकांश स्थानों पर शिवलिंग उत्तर या पूर्व दिशा में स्थित हैं।
अद्भुत महाकाल की भस्म आरतीः महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती एक बहुत ही विशेष और दुर्लभ धार्मिक अनुष्ठान है। हर सुबह महाकाल की भस्म आरती की जाती है, जिसके लिए विशेष रूप से शमशान की राख का उपयोग किया जाता था, हालांकि अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडों की राख का उपयोग किया जाता है। इस आरती में भाग लेने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह आरती केवल उज्जैन में देखी जा सकती है, और इसे देखने का अनुभव भक्तों के लिए अद्भुत होता है। आरती के समय महिलाओं को घूंघट में रहना पड़ता है, क्योंकि उन्हें यह देखना वर्जित होता है।
महाकाल का स्वयंभू शिवलिंगः महाकालेश्वर का शिवलिंग स्वयंभू है, यानी यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव के भक्त राजा चंद्रसेन और श्रीखर के प्रार्थना करने पर भगवान शिव शहर में निवास करने और राज्य के प्रमुख देवता बनने के लिए सहमत हो गए थे। महाकालेश्वर शिवलिंग का यह स्वयंभू रूप इसकी दिव्यता और महत्व को और बढ़ाता है।
यहां रुकने पर चली जाती है सत्ताः ऐसा माना जाता है कि, महाकालेश्वर मंदिर में कोई राजा या मुख्यमंत्री रात नहीं बिता सकते। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के राजा स्वयं महाकाल हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा विक्रमादित्य के समय से कोई भी शासक यहां रात्रि नहीं बिताता। अगर कोई शासक यहां रुकता है, तो उसकी सत्ता चली जाती है। इस कथन से महाकाल के इस मंदिर की रहस्यमय शक्ति का संकेत मिलता है।
कौन है जूना महाकालः महाकालेश्वर मंदिर में एक और शिवलिंग है, जिसे 'जूना महाकाल' कहा जाता है। यह शिवलिंग असली शिवलिंग था, जिसे कुछ आक्रमणकारियों से बचाने के लिए पुजारियों ने अस्थायी रूप से हटा दिया था। जब असली शिवलिंग को फिर से स्थापित किया गया, तो हटाए गए शिवलिंग को मंदिर के प्रांगण में स्थापित कर दिया गया। यह 'जूना महाकाल' के नाम से प्रसिद्ध है और आज भी भक्तों द्वारा पूजा जाता है।
महाकाल की शाही सवारीः महाकाल की शाही सवारी एक और महत्वपूर्ण आकर्षण है। यह सवारी महाकाल के विशेष पूजा दिन पर निकाली जाती है, जो भक्तों के लिए एक भव्य और दिव्य अनुभव होता है। इस सवारी में महाकाल के साथ उनकी सभी सहायक देवताओं की मूर्तियों को भी एक विशेष रथ पर सजाया जाता है, और इसे शहर भर में घुमाया जाता है।
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