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चंबल नदी

रामायण से लेकर आज तक—चंबल नदी के प्रवाह में छिपी है एक श्रापित कथा, जो इसे गंगा-यमुना से अलग बनाती है। जानिए वो धार्मिक मान्यताएँ जो इस नदी को रहस्य से भर देती हैं।

चंबल नदी के बारे में

चंबल नदी को आम तौर पर बीहड़ों और बागियों के चलते याद किया जाता है लेकिन कम ही लोग इसके ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को जानते हैं। आइए इस लेख में हम जानते हैं इसके बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारी...

चंबल नदी की कहानी

चंबल नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जिसका उल्लेख पौराणिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ जिले में स्थित जनापाव पर्वत से उत्पन्न होती है। जनश्रुतियों के अनुसार, यह वही स्थान है जहाँ महर्षि परशुराम का जन्म हुआ था।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंबल नदी का संबंध महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस नदी का जल महाभारत युद्ध के दौरान हुए रक्तपात से प्रभावित हुआ था और इसी कारण इसे अशुद्ध माना गया, जिससे इसका जल किसी भी धार्मिक कार्य में उपयोग नहीं किया जाता। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि यह नदी ऋषियों की तपस्या से पवित्र हो चुकी है।

इतिहासकारों के अनुसार, प्राचीन काल में इस नदी को ‘चर्मण्वती’ के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि इस नदी का नामकरण इस कारण हुआ क्योंकि इसके तटों पर चमड़े की रंगाई होती थी। ‘चर्मण्वती’ नाम का उल्लेख महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। इस नदी को लेकर एक अन्य मान्यता यह भी है कि यह किसी श्राप के कारण अस्तित्व में आई थी। एक कथा के अनुसार, राजा रंकेतु की रानी के श्राप से यह नदी प्रकट हुई थी। एक अन्य मत के अनुसार, यह नदी राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी से भी जुड़ी हुई है।

चंबल नदी प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण जल स्रोत रही है। यह नदी कई ऐतिहासिक नगरों और राज्यों से होकर बहती थी, जिनमें अवंती, चेदि और मत्स्य राज्य शामिल थे। मध्यकाल में यह क्षेत्र राजपूतों, मराठों और मुगलों के संघर्ष का केंद्र भी रहा।

चंबल नदी मार्ग - संक्षिप्त विवरण

चंबल नदी का प्रवाह मार्ग भारत के तीन प्रमुख राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इसकी कुल लंबाई लगभग 960 किलोमीटर है।

  • उत्पत्ति: मध्य प्रदेश के मऊ जिले में जनापाव पर्वत से
  • मध्य प्रवाह: मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बहती हुई कोटा, धौलपुर और भिंड जिलों से गुजरती है।
  • अंतिम संगम: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी में विलीन हो जाती है।

इस नदी की मुख्य सहायक नदियाँ काली सिंध, पार्वती और बनास हैं, जो इसके प्रवाह क्षेत्र को और विस्तृत बनाती हैं। यह नदी राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा रेखा भी निर्धारित करती है।

चंबल नदी का धार्मिक महत्व

हालांकि चंबल नदी का जल पारंपरिक रूप से धार्मिक अनुष्ठानों में कम उपयोग किया जाता है, फिर भी इसका आध्यात्मिक महत्व कम नहीं है। कई ऋषियों और संतों ने इसके तटों पर तपस्या की है।

  • परशुराम की तपोभूमि: जनश्रुति के अनुसार, महर्षि परशुराम ने चंबल नदी के तटों पर कठोर तपस्या की थी।
  • महाभारत संबंध: कहा जाता है कि कौरव-पांडव युद्ध के दौरान इस नदी के तट पर कई घटनाएँ घटी थीं।
  • वन्यजीवन का संरक्षण: इसे ‘भारत की सबसे स्वच्छ नदियों’ में से एक माना जाता है। इसका कारण यह है कि यहाँ औद्योगिक कचरा और बड़े शहरों की गंदगी नहीं पहुँचती।
  • शक्ति पीठों से संबंध: चंबल नदी के किनारे कई शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इनमें चौसठ योगिनी मंदिर और केशवराय मंदिर प्रमुख हैं।

चंबल नदी से जुड़े रोचक तथ्य

  1. डाकुओं की शरणस्थली: चंबल नदी के बीहड़ इलाके ऐतिहासिक रूप से डाकुओं और बागियों के गढ़ माने जाते रहे हैं। यहाँ कुख्यात डाकुओं जैसे फूलन देवी, मानसिंह, पान सिंह तोमर आदि ने लंबे समय तक शासन किया।
  2. वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र: चंबल नदी के आसपास का क्षेत्र राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के रूप में सुरक्षित किया गया है। यहाँ दुर्लभ प्रजातियों जैसे घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुए पाए जाते हैं।
  3. सबसे स्वच्छ नदियों में से एक: यह नदी औद्योगिक प्रदूषण से दूर रहती है, जिससे इसका जल अन्य नदियों की तुलना में काफी शुद्ध माना जाता है।
  4. पुरातत्वीय महत्व: चंबल के किनारे कई प्राचीन मंदिर और किले स्थित हैं, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
  5. जलविद्युत परियोजनाएँ: इस नदी पर कई जलविद्युत और सिंचाई परियोजनाएँ चलाई जाती हैं, जिनमें गांधी सागर, राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर बांध प्रमुख हैं।
  6. बड़े पुल और जलमार्ग: चंबल नदी पर कई प्रमुख पुल बने हुए हैं जो राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ते हैं।
  7. लोक कथाएँ और साहित्य: कई कवियों और लेखकों ने चंबल के बीहड़ों और नदी के किनारों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया है।

चंबल के बीहड़ों का इतिहास

चंबल नदी के किनारे फैले बीहड़ भारत के सबसे रहस्यमय और खतरनाक इलाकों में गिने जाते हैं। इन बीहड़ों का निर्माण नदी के प्रवाह और भूमि अपरदन की प्रक्रिया के कारण हुआ है। इतिहास में यह क्षेत्र कई वीर योद्धाओं, बागियों और डाकुओं का गढ़ रहा है।

  • डाकुओं का राज: 20वीं शताब्दी के मध्य तक यह क्षेत्र बागियों और डाकुओं से भरा रहा। सरकार ने 1970 के दशक में कई अभियानों के माध्यम से इन डाकुओं का खात्मा किया।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: इन बीहड़ों का अद्वितीय भूगोल और वनस्पति इसे एक विशेष पर्यटक स्थल बनाते हैं। कई फिल्मों की शूटिंग भी यहाँ हुई है।
  • पर्यटन और ट्रैकिंग: वर्तमान में कई लोग चंबल के बीहड़ों में ट्रैकिंग और एडवेंचर टूरिज्म के लिए आते हैं।

चंबल नदी न केवल ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। इसका जैवविविधता में योगदान और इसकी पौराणिक कथाएँ इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बनाती हैं। यह नदी अपने बीहड़, स्वच्छ जल और रोचक इतिहास के कारण आज भी अनगिनत कहानियों का केंद्र बनी हुई है।

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Published by Sri Mandir·April 14, 2025

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