त्र्यंबकेश्वर से लेकर सागर तक—कृष्णा नदी का प्रवाह न सिर्फ खेतों को सींचता है, बल्कि पुराणों की कहानियों को भी जीवित रखता है। आइए जानें इसकी धार्मिक गाथाएँ और ऐतिहासिक महत्त्व।
कृष्णा नदी भारत की एक प्रमुख और लंबी नदी है, जिसे पवित्र नदियों में गिना जाता है। इसका उद्गम महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में स्थित वृहदेश्वर (महादेव) मंदिर के पास से होता है। धार्मिक रूप से भी इसका विशेष महत्व है और इसे जीवनदायिनी माना गया है। इसके तटों पर कई प्रमुख तीर्थ स्थल स्थित हैं, जैसे – विजयवाड़ा, संगली, और अमरावती। आइये जानते हैं इसके बारे में...
भारत की प्रमुख नदियों में से एक कृष्णा नदी, दक्षिण भारत के हृदय में बहती हुई प्राकृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह नदी अपनी विशालता, कृषि में योगदान और सांस्कृतिक महत्व के कारण अद्वितीय स्थान रखती है। इस लेख में हम कृष्णा नदी की उत्पत्ति, इतिहास, धार्मिक मान्यताओं और रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे।
कृष्णा नदी की उत्पत्ति महाराष्ट्र के सतारा जिले में महाबलेश्वर के पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से होती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,337 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नदी का उद्गम स्थल 'महादेव मंदिर' के समीप एक कुंड में माना जाता है, जिसे 'कृष्णाबाई मंदिर' कहा जाता है। इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाता है और श्रद्धालु यहाँ पूजा-अर्चना करने आते हैं।
हिंदू ग्रंथों में कृष्णा नदी की उत्पत्ति को देवी कृष्णावेणी से जोड़ा गया है। मान्यता है कि यह नदी स्वयं भगवान विष्णु की शक्ति से प्रवाहित हुई थी। एक अन्य कथा के अनुसार, कृष्णा नदी का संबंध सती अनुसूया से भी है, जिनकी तपस्या के फलस्वरूप इस नदी का अवतरण हुआ।
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, यह नदी भगवान परशुराम की भूमि से प्रवाहित होकर अनेक ऋषियों के तपोवन को सींचती हुई आगे बढ़ती है। कृष्णा नदी को मोक्षदायिनी भी कहा गया है, क्योंकि इसके जल में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।
कृष्णा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस नदी के तट पर कई प्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक स्थल स्थित हैं, जिनका आध्यात्मिक महत्व है।
कृष्णा नदी केवल जल प्रवाह का स्रोत नहीं, बल्कि सभ्यता, संस्कृति और आस्था की आधारशिला भी है। इसका धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक योगदान और आर्थिक प्रभाव इसे दक्षिण भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक बनाते हैं। इसके जल से लाखों किसानों की जीविका चलती है, और यह नदी पूरे क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ बनी हुई है।
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