माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र | Maa Brahmcharini Mantra

माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र

जानें माँ ब्रह्मचारिणी के पूजन विधि और मंत्र के लाभ।


माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र | Maa Brahmcharini Mantra

मां दुर्गा के नौ अवतारों में दूसरे अवतार को मां ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा के इस अवतार की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ है, ‘तप का आचरण करने वाली।’ मां के इस स्वरूप की पूजा से अनंत फल की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। कठिन संघर्षों में भी साधक का मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र | Maa Brahmcharini Beej Mantra

मां ब्रह्मचारिणी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र का अर्थ होता है देवी ब्रह्मचारिणी की शक्ति और ऊर्जा का आह्वान करना। भक्त यदि इस मंत्र का जाप करते हैं तो भक्त को मानसिक शांति और साधना में सफलता मिलती है, साथ ही जीवन के कठिन दौर में दृढ़ता और संतुलन मिलता है।

मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है मैं मां अम्बिका (देवी पार्वती) को शक्ति और समृद्धि के प्रतीक रूप में नमन करता हूं। यह मंत्र देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र | Maa Brahmcharini Pujan mantra

मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।

अर्थ: एक शक्तिशाली मंत्र है जो मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, इस मंत्र का उच्चारण मां ब्रह्मचारिणी से आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में संयम, तपस्या, और ज्ञान का विकास करने के लिए किया जाता है।

जाप विधि | Jaap Vidhi

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’ मंत्र का जाप करने से मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंत्र को 108 बार जाप करना चाहिए, मंत्र जाप करते समय यज्ञ में घी की आहुति देने से विशेष फल मिलता है।

दधानां करपद्माभ्याम् अक्षमाला कमंडलु। देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

अर्थ: जो देवी अपने दोनों हाथों में जपमाला और कमंडलु धारण करती हैं, वह देवी ब्रह्मचारिणी मुझ पर कृपा करें। आप सर्वश्रेष्ठ और अद्वितीय हैं। यह मंत्र देवी ब्रह्मचारिणी की स्तुति है, जो संयम और तपस्या का प्रतीक हैं।

मां दुर्गा के दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अलौकिक है। मां के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों को अनन्त फल देने वाला है।

मां के इस स्वरूप की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है और वो कभी भी जीवन में कठिन संघर्षों से नहीं हारता है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा के लिए अलग-अलग बीज मंत्र होते हैं। मान्यता है कि अगर साधक नवरात्रि के 9 दिनों तक शुद्ध मन से मां दुर्गा को समर्पित इन मंत्रों का जाप करता है तो उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.