चैत्र नवरात्रि 2025 कब है? कौन सा दिन देवी पूजन के लिए सबसे शुभ रहेगा? जानें तिथियां, कलश स्थापना का मुहूर्त और पूजा के महत्वपूर्ण नियम यहाँ
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में मां दुर्गा की उपासना का पावन पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह समय आत्मशुद्धि, उपवास, पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष महत्व रखता है।
माता शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि के पर्व को बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। देवी पूजन का ये पावन पर्व साल में चार बार आता है, जिसमें पहली नवरात्रि चैत्र मास के शुक्लपक्ष में, दूसरी नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में, तीसरी अश्विन मास में और अंतिम नवरात्रि माघ के महीने में पड़ती है।
इस बार चैत्र नवरात्रि पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग और रेवती नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इन सभी मुहूर्त पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
घटस्थापना करने का सबसे शुभ समय सुबह का होता है, जब प्रतिपदा प्रबल होती है। लेकिन यदि किसी कारणवश इस समय घटस्थापना न की जा सके, तो हिंदू मध्यान्ह से पूर्व अभिजित मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है। ज्योतिष में वैधृति योग में घटस्थापना न करने की सलाह दी जाती है, हालांकि ये निषिद्ध नहीं है।
तो यह थी चैत्र नवरात्रि घट स्थापना के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी।
नमस्कार दोस्तों! श्रीमंदिर परिवार की ओर से आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
हम जानते हैं कि आप इस नवरात्रि के उत्सव को मनाने के लिए बहुत उत्साहित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर नवरात्र या नवरात्रि क्या होती है और यह क्यों मनाई जाती है।
अगर नहीं! तो चलिए इस लेख के माध्यम से नवरात्रि पर्व के बारे में कुछ बातें विस्तार से जानते हैं…
सर्वप्रथम जानते हैं कि नवरात्रि क्या है और एक वर्ष में कुल कितनी नवरात्रि मनाई जाती है।
एक वर्ष में कुल चार नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, आश्विन नवरात्रि और माघ नवरात्रि। ये सभी नवरात्र प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलती हैं। इन चारों नवरात्रों को चार ऋतुओं के आगमन के रूप में भी देखा जाता है। जहां, चैत्र नवरात्र के साथ ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। वहीं, आषाढ़ नवरात्र के साथ वर्षा ऋतु, आश्विन नवरात्र के साथ शरद ऋतु, और माघ नवरात्र के साथ बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
नवरात्रि पर्व माँ आदिशक्ति भगवती को समर्पित है। हर नवरात्र के यह नौ दिन और रातें माता के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन नौ रात्रिओं का सम्बन्ध सिद्धि से होता है। इसीलिए माता की आराधना की यह नौ रातें आपके कई कार्यों को सरलता से सिद्ध कर सकती हैं।
आइये देखें इन चारों नवरात्रों से जुड़ी कुछ जानकारियां। सबसे पहले बात करते हैं चैत्र नवरात्र के बारे में -
माता के साधक वर्ष की चारों नवरात्रि को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं, और इनमें भी चैत्र नवरात्र मनाने का उत्साह भक्तों में साफ रूप से देखा जा सकता है। चैत्र नवरात्र आश्विन मास के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है और दसवें दिन, दशमी को दशहरा मनाया जाता है।
पुराणों में उल्लेखित कथा के अनुसार माँ दुर्गा ने इन्हीं नौ दिनों में महाराक्षस महिषासुर से युद्ध किया था, जो माता के रूप पर मोहित होकर उनसे विवाह करना चाहता था। उस समय माँ आदिशक्ति ने यह शर्त रखी कि महिषासुर और माता के बीच एक युद्ध होगा और अगर इस युद्ध में वह विजयी होता है तो वे उससे विवाह करेंगी। महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच यह युद्ध नौ दिनों तक चला और नवमी के दिन माता ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी।
इसीलिए यह नवरात्र बुरी शक्तियों की पराजय का भी पर्व भी माना है। माता के साधक भी इस समय अपनी सभी तामसिक प्रवृत्तियों को छोड़कर सिर्फ माता की भक्ति में लीन रहते हैं।
इन चारों में से हम आषाढ़ और माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जानते हैं और इसका कारण है कि गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त तंत्र विद्याओं की साधना करते हैं, इसीलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। अघोरी और तंत्र साधना करने वाले साधु इस समय माता आदिशक्ति की कठिन उपासना में भाग लेते हैं।
चैत्र नवरात्र चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष की पहली नवरात्रि होती है। इसे शाकम्भरी नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। इसमें माँ महाकाली की विशेष पूजा का विधान है। इन नौ दिनों के दौरान व्रत और पूजन पूर्ण विधि-विधान के साथ किया जाता है। हालांकि इस नवरात्र में सार्वजानिक रूप से माता की प्रतिमा स्थापित करने का चलन नहीं है।
नवरात्रि का यह पर्व हम सभी को भक्ति, शक्ति और संयम जैसे भावों से सराबोर करने वाला होता है। नवरात्र पर्व के दौरान माता अपने भक्तों की प्रार्थना से अवश्य प्रसन्न होती हैं, इसीलिए इस पर्व में हमें स्वयं को पूरी तरह से माता की आराधना में समर्पित करना है। इसमें श्रीमंदिर आपके साथ है।
त्वं परा प्रकृतिः साक्षात् परमब्रह्मः परमात्मनः। त्वन्नो जातं जगतसर्वं त्वं जगज्जननी शिवे।
अर्थात हे भगवती! तुम इस समस्त संसार में परा प्रकृति की तरह विद्यमान हो। तुम साक्षात परमात्मा ब्रह्म हो। तुम इस जग की जननी हो। तुम्हीं से इस संसार की उत्पत्ति हुई है।
नमस्कार दोस्तों! श्रीमंदिर पर आपका स्वागत है।
माँ भगवती समस्त सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी है। मान्यता है कि नवरात्रि के समय माँ पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच उपस्थित होती है। ऐसा योग साल में आने वाली चार नवरात्रियों के पर्व पर संभव होता है। इस पर्व के दौरान स्वयं त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी माता की आराधना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इसीलिए नवरात्रि में पूजन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि चैत्र नवरात्र में माता की पूजा करने से आपको क्या लाभ होगा।
हममें से बहुत से लोग इस असमंजस में रहते हैं कि अगर हम किसी कारण से व्रत रखने में असमर्थ है, तो क्या सिर्फ माता की पूजा करने से ही हमें माता का आशीर्वाद मिल पाएगा।
इसका उत्तर है जी हाँ! माता अपने भक्तों द्वारा पूर्ण श्रद्धा से की गई हर कोशिश से प्रसन्न होती है, और विधिवत पूजा करने मात्र से ही आपको व्रत का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। इसीलिए आपको यह पूजा अवश्य करनी चाहिए।
इसके साथ ही श्रीमंदिर पर आपके लिए नवरात्रि की पूजा विधि सबसे सरलतम रूप में उपलब्ध है। तो चैत्र नवरात्रि में पूजा का लाभ अवश्य उठायें। जय माता की!
सामग्री - जो आपके नवरात्रि पूजन को सम्पूर्ण बनाएंगी
आपकी पूजा में आरती की थाल में रखने के लिए जो चीजें आवश्यक हैं, वे कुछ इस प्रकार हैं -
अष्टदल का बहुत सरल अर्थ है - आठ का दल या आठ का समूह और एक साथ जुड़े हुए आठ पत्तों या पंखुड़ियों को अष्टदल कमल कहा जाता है।
अगर आप अपने घर में प्रथम दिन की पूजा के साथ घटस्थापना भी कर रहे हैं तो आपको निम्नलिखित समाग्री इकट्ठी करनी होगी। आपको बता दें कि, घटस्थापना में मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करनी होती है, और साथ ही एक पात्र में जौ बोने होते हैं।
यदि प्रथम दिन आप अपने घर में घटस्थापना कर रहे हैं तो आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता होगी
चैत्र नवरात्र में माता को श्रृंगार अर्पण करना बहुत शुभ फलदायी होता है, क्योंकि श्रृंगार माता को बहुत प्रिय है। चलिए जानें सम्पूर्ण श्रृंगार की सामग्री
कन्या पूजन पूर्णतः अपनी क्षमतानुसार किया जाता है। आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को सच्चे मन से भोज करवाएं और जो भी भेंट स्वरूप देना चाहें, सभी कन्याओं को समान रूप से प्रदान करें।
यदि आप अष्टमी और नवमी तिथि पर घर में हवन या होम कर रहे हैं तो निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें
ध्यान दें- यदि आप घर पर हवन सामग्री नहीं बना पा रहें हैं तो आजकल रेडीमेड हवन सामग्री आसानी से बाजारों में उपलब्ध है, आप बाजार से रेडीमेड हवन सामग्री खरीद सकते हैं।
इसके साथ ही आप अपने घर में मंदिर सजाने के लिए सजीले पारदर्शी वस्त्र, झालरें, रंग-बिरंगे बल्बों की लड़ियां, फूलों की लड़ियां, और बहुत सी सुन्दर कलात्मक चीजों का भी उपयोग कर सकते हैं। इस सामग्री के साथ आप अपने घर पर बिना किसी त्रुटि के अपनी चैत्र नवरात्र की पूजा सम्पूर्ण कर सकते हैं।
हम आपकी चैत्र नवरात्र की पूजा को सफल बनाने के लिए हर क्षण आपके लिए उपस्थित हैं। ऐसी ही और जानकरियों के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर के साथ
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