मंगल ग्रह से जुड़ा प्रवाल रत्न देता है साहस, ऊर्जा और स्वास्थ्य लाभ, गलत व्यक्ति या समय पर पहनने से बढ़ सकता है क्रोध या आक्रामकता। जानिए कब और कैसे पहनें मूंगा रत्न।
प्रवाल, जिसे मूंगा कहा जाता है, एक कीमती रत्न है। यह समुद्र में रहने वाले छोटे जीवों से बनता है। मूंगा ज्यादातर लाल, गुलाबी और नारंगी रंग में मिलता है। इसे ज्योतिष में मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...
मूंगा (प्रवाल) एक महत्वपूर्ण रत्न है, जिसे सही तरीके से धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह मंगल ग्रह से जुड़ा होता है और इसे धारण करने की विशेष विधि होती है।
मूंगा पहनने से पहले सही और असली रत्न चुनना बहुत जरूरी है। ये बातें ध्यान में रखें:
रंग – मूंगा ज्यादातर गहरा लाल, नारंगी या गुलाबी रंग का होता है। स्वरूप – इसमें कोई दरार, दाग-धब्बे, या खरोंच नहीं होनी चाहिए। शुद्धता – असली मूंगा दूध या हल्दी में डालने पर रंग नहीं छोड़ता है। वजन– ज्योतिषीय दृष्टि से मूंगा कम से कम 5 से 7 कैरेट का होना चाहिए।
मूंगा (प्रवाल) की कीमत उसकी गुणवत्ता, रंग, आकार और उत्पत्ति पर निर्भर करती है। अलग-अलग जगहों पर इसकी कीमत अलग हो सकती है।
मूंगा पहनने के 9 दिन से 30 दिन के अंदर असर दिखाना शुरू कर देता है। कुछ लोगों को 1 से 2 महीनों में पूरा फायदा महसूस होने लगता है।
मूंगा को मंगलवार के दिन पहनना सबसे अच्छा होता है।
सोना (Gold) – सबसे शुभ और प्रभावी धातु। तांबा (Copper) – मंगल से जुड़ी धातु, बहुत अच्छा असर देता है।
कुंडली में मंगल अशुभ हो, तो मूंगा पहनना फायदेमंद होगा। जिन्हें गुस्सा कम आता हो: मूंगा पहनने से आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ती है। नेता, पुलिस, सेना, डॉक्टर और बिजनेसमैन: ये लोग इसे पहनकर सफलता पा सकते हैं। जिन्हें कमजोरी, खून की बीमारी या हड्डियों की समस्या हो: मूंगा सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है।
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