कणाद ऋषि

कणाद ऋषि

यहां पढ़ें इनकी उपलब्धियों के बारे में


कणाद ऋषि कौन थे? (Who was Kanad Rishi?)

भारत में कई महान ऋषि मुनि हुए, जिन्होंने कई आविष्कार किए और भौतिक के सिद्धांत दिए। इन्हीं में से एक थे महर्षि कणाद। इन्हें परमाणु सिद्धांत का जनक माना जाता है। इनकी गिनती संसार के सबसे प्राचीन वैज्ञानिक चिंतकों में होती है। वायु पुराण में महर्षि कणाद का जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया जाता है। इनके जन्म का नाम कश्यप था। कहते हैं कि महर्षि कणाद जब किसी काम से बाहर जाते थे तो घर लौटते समय रास्ते में पड़ी चीजें या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवन यापन करते थे, इसीलिए उनका नाम ‘कणाद’ प्रसिद्ध हुआ। परमाणु तत्व के सिद्धांत की खोज करने की वजह से भी इन्हें कणाद कहा गया। महान महर्षि कणाद जी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति प्राप्त की थी।

कणाद ऋषि का जीवन परिचय (Biography of Kanad Rishi)

भारत के गुजरात राज्य के द्वारका के पास जन्में कणाद महान संत उल्का के पुत्र व प्रसिद्ध आचार्य सोमशर्मा के शिष्य थे। कहा जाता है कि कणाद जी ने सृष्टि की मूल संरचना का पता लगाया। उन्होंने ही बताया कि संसार में मौजूद हर चीज परमाणुओं से बनी है। छोटी उम्र से ही कणाद जी को नई चीजों के बारे में जानने की दिलचस्पी थी। उन्होंने कई पवित्र स्थानों की यात्रा भी की, जिसमें प्रयागराज, द्वारका, पुरी, काशी व बद्रीनाथ शामिल है।

कहा जाता है कि महर्षि कणाद मां गंगा के सच्चे भक्त थे और उन्हें अपनी मां के समान मानते थे। मां गंगा की कृपा से ही उन्हें महान दिव्य शक्तियां प्राप्त हुईं। कणाद जी को बचपन से ही आकाश में सितारों की गिनती करना बहुत पसंद था, जो कि बहुत ही मुश्किल काम है। कहते हैं कि ऐसा वह अंतरिक्ष व विज्ञान पर अपनी रुचि के कारण करते थे। यही नहीं, कणाद जी लोगों की सेवा व मदद में भी रुचि रखते थे। वह गंगा किनारों पर रह रहे गरीब लोगों के भोजन की व्यवस्था के लिए अमीर लोगों से चावल इकट्ठा करते थे। समय के साथ कणाद जी का नई चीजों पर शोध व आविष्कार करने में मन लगने लगा। उन्हें विज्ञान सीखने व परमाणु ऊर्जा के बारे में जानने की उत्सुकता थी। उन्होंने अपने अनुयायियों को विज्ञान से संबंधित विषयों को पढ़ाने के लिए वैशेषिका विद्यालय दर्शन की स्थापना भी की थी। इसी के साथ उन्होंने 'वैशेषिक दर्शन' नाम से एक पुस्तक भी लिखी।

विज्ञान और नए आविष्कारों में दिलचस्पी रखने वाले कणाद जी एक महान संत व विद्वान भी थे। उन्होंने दिव्य शास्त्रों में महारथ हासिल की थी। वह सभी प्रकार की कलाओं के विशेषज्ञ थे। हजारों वर्ष पहले हुए महर्षि कणाद जी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए शोध को आज की दुनिया में कभी नहीं भुलाया जा सकता।

कणाद ऋषि के महत्वपूर्ण योगदान (Important contributions of Kanad Rishi)

हजारों वर्ष पहले हुए महर्षि कणाद जी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए शोध को आज की दुनिया में कभी नहीं भुलाया जा सकता। बड़े-बड़े वैज्ञानिक व विद्वान भी विज्ञान के क्षेत्र व नए आविष्कारों को लेकर आज भी कणाद जी की सराहना करते हैं। आइए जानते हैं महर्षि कणाद जी के कुछ महत्वपूर्ण योगदान।

परमाणु सिद्धांत के जनक हैं कणाद (Kanad is the father of atomic theory)

महर्षि कणाद ने परमाणु के सिद्धांत के संबंध में विस्तार से समझाया है। भौतिक जगत की उत्पत्ति छोटे से छोटे कण परमाणुओं के संघनन से होती है। परमाणु सूक्ष्म की वो वस्तुएं हैं, जिन्हें अविनाशी माना जाता है। कणाद जी के इस सिद्धांत को बाद में आधुनिक युग के अणु वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने भी मानी।

कणाद ने बताए गति के नियम (Kanad explained the laws of motion)

न्यूटन से पहले ही महर्षि कणाद ने गति के 3 नियम बताए थे। उन्होंने बताया था कि वेग या मोशन पांचों द्रव्यों पर निमित्त व विशेष कर्म के कारण उत्पन्न होता है तथा नियमित दिशा में क्रिया होने के कारण संयोग विशेष से नष्ट होता है या उत्पन्न होता है। वहीं, न्यूटन ने 5 जुलाई 1687 को अपने कार्य 'फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका' में गति के इन तीन नियमों के बारे में बताया था।

गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत बताने वाले महर्षि कणाद (Maharshi Kanad explained the theory of gravity)

पश्चिम जगत का मानना है कि साल 1687 से पहले कभी सेब जमीन पर गिरा ही नहीं था। सेब के गिरने के साथ दुनिया को समझ में आया कि धरती में गुरुत्वाकर्षण शक्ति है। हालांकि, इस शक्ति को विस्तार से सबसे पहले भास्कराचार्य ने समझाया था। जितने भी संस्कृत सूत्र हैं वह न्यूटन के 913 वर्ष पहले यानी ईसा से 600 वर्ष पहले लिखे गए थे। न्यूटन के गति के नियमों की खोज से पहले महर्षि कणाद ने यह सूत्र 'वैशेषिक सूत्र' में लिखा था, जो शक्ति और गति के बीच संबंध के बारे में बताता है।

वैशेषिक दर्शन के रचनाकार हैं कणाद (Kanad is the creator of Vaisheshika philosophy)

वैशेषिक दर्शन वास्तव में एक स्वतंत्र भौतिक विज्ञान वादी दर्शन है, जोकि आत्मा को भी पदार्थ मानता है। वैशेषिक दर्शन की मानें तो व्यावहारिक तत्वों का विचार करने में संलग्न रहने पर भी स्थूल दृष्टि से सर्वथा व्यवहारतः समान रहने पर भी हर वस्तु दूसरे से अलग है।

कणाद ऋषि से जुड़े रहस्य (Mysteries related to Kanad Rishi)

  • कणाद ऋषि रास्ते में मिलने वाली छोटी छोटी चीजों को बटोरकर उसे खाते थे, इसलिए उनका नाम कणाद पड़ा।
  • कहते हैं कि यह दिन भर समाधि में रहते थे और रात में कणों का संग्रह करते थे।
  • बताया जाता है कि कणाद ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रभु ने उल्लू पक्षी के रूप में इन्हें शास्त्र का उपदेश दिया था।
  • यह भी मान्यता है कि कण यानी परमाणु तत्व का सूक्ष्म विचार इन्होंने किया, इसलिए इन्हें कणाद कहते हैं।

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