शौनक ऋषि

शौनक ऋषि

सबसे पहले कुलपति बनने वाले ऋषि


शौनक ऋषि (Shaunak Rishi)

ऋषि अर्थात् "दृष्टा" भारतीय परंपरा में श्रुति ग्रंथों को दर्शन करने (यानि यथावत समझ पाने) वाले जनों को कहा जाता है। वे व्यक्ति विशिष्ट जिन्होंने अपनी विलक्षण एकाग्रता के बल पर गहन ध्यान में विलक्षण शब्दों के दर्शन किए उनके गूढ़ अर्थों को जाना व मानव अथवा प्राणी मात्र के कल्याण के लिये ध्यान में देखे गए शब्दों को लिखकर प्रकट किया। इसीलिये कहा गया –

ऋषयो मन्त्र द्रष्टारः न तु कर्तारः।

अर्थात् ऋषि तो मंत्र के देखनेवाले हैं नकि बनानेवाले। अर्थात् बनानेवाला तो केवल एक परमात्मा ही है। इसीलिये किसी भी मंत्र के जप से पूर्व उसका विनियोग अवश्य बोला जाता है। उदाहरणार्थ अस्य श्री 'ऊँ'कार स्वरूप परमात्मा गायत्री छंदः परमात्मा ऋषिः अन्तर्यामी देवता अन्तर्यामी प्रीत्यर्थे आत्मज्ञान प्राप्त्यार्थे जपे विनियोगः। ऋषि शब्द की व्युत्पत्ति 'ऋष' है जिसका अर्थ 'देखना' या 'दर्शन शक्ति' होता है। ऋषि के प्रकाशित कृतियों को आर्ष कहते हैं जो इसी मूल से बना है, इसके अतिरिक्त दृष्टि जैसे शब्द भी इसी मूल से हैं। सप्तर्षि आकाश में हैं और हमारे कपाल में भी।

ऋषि उन ज्ञानियों को संज्ञा दी जाती है, जिन्होंने वैदिक रचनाओं का निर्माण किया था। उन्हें कठोर तपस्या के बाद यह उपाधि प्राप्त होती है। ऋषि वह कहलाते हैं जो क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, इर्ष्या इत्यादि से कोसों दूर रहते हैं। सनातन धर्म में साधु संत ऋषि एवं मुनियों का नाम बड़े ही आदर से लिया जाता है। इन्हीं ऋषियों में से एक हैं शौनक ऋषि।

शौनक ऋषि कौन थे ? (Who was Shaunak Rishi?)

शौनक ऋषि एक वैदिक आचार्य और ऋषि थे जो भृगुवंशी शुनक ऋषि के पुत्र थे। शौनक ऋषि का पूरा नाम इंद्रोतदैवाय शौनक था। शौनक ऋषि ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। शौनक गुरुकुल का स्थान निमिषारण्य था, जिसे शौनक महाशाला के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इनसे पहले किसी भी अन्य ऋृषि को ऐसा सम्मान प्राप्त नहीं हुआ था। समस्त पुराणों में शौनक उवाच को जरूर जगह दी जाती है। शौनक ऋषि ने ध्यान, पूजा-पाठ और भक्ति के तरीकों के बारे में बताया है।

शौनक ऋषि का परिचय (Introduction of Shaunak Rishi)

शौनक ऋषि के माता और परिवार के बारे में सही-सही जानकारी नहीं है। ऋष्यानुक्रमणी ग्रंथानुसार, असल में शौन ऋषि अंगिरस्गोत्रीय शनुहोत्र ऋषि के पुत्र थे परंतु बाद में भृगु-गोत्रीय शनुक ने इन्हें अपना पुत्र मान लिया था। जिस कारण इन्हें शौनक पैतृक नाम प्राप्त हुआ था। शौनक ऋषि महाज्ञानी और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। ऐसा कहा जाता है कि शौनक ने अपने आश्रम में 12 साल तक चलने वाला यज्ञ किया, जिसमें बड़ी संख्या में विद्वान लोग शामिल हुए, जिन्होंने धर्म और दर्शन के बारे में लगातार चर्चा की। उन्होंने शौनक गृहसूत्र, शौनक गृह्यपरिशिष्ट और वास्तुशास्त्र ग्रंथ लिखा, जिससे समाज को विज्ञान के साथ धर्म का भी ज्ञान मिलता है।

शौनक ऋषि के महत्वपूर्ण योगदान (Important contributions of Shaunak Rishi)

शौनक ऋषि ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। पुराणों में व्रतों और तीर्थों की महिमा के बारे में जो भी पढ़ने को मिलता है वो शौनक ऋषि की ही देन है। उन्होंने ऋग्वेद चंदानुक्रमणी, ऋग्वेद चंदानुक्रमणी, ऋग्वेद ऋष्यानुक्रमणी, ऋग्वेद अनुवाकानुक्रमणी, ऋग्वेद सूक्तानुक्रमणी, ऋग्वेद कथानुक्रमणी, ऋग्वेद पादविधान, बृहदेवता, शौनक स्मृति, चरणव्यूह, ऋग्विधान की रचना की।

शौनक ऋषि से जुड़े रहस्य (Mysteries related to Shaunak Rishi)

शौनक ऋषि ने बड़ी संख्या में लोगों के बीच पुराणों और इतिहास को फैलाने में ऋषि रोमहर्ष और उग्रश्रवा सुथ की मदद की। उग्रश्रवा तक्षशिला में लेखा परीक्षक थे। उन्होंने नैमिषारण्य वन की यात्रा की। वहां उनकी मुलाकात शौनक ऋषि और शौनक महाशाला में अध्ययन करने वाले ब्राह्मणों के एक बड़े समूह से हुई। शौनक महाशाला को विद्वान भारतीय उपमहाद्वीप में विश्वविद्यालय का प्राचीन रूप मानते हैं। इसे नैमिषारण्य विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। आश्रम में ब्राह्मण विद्वानों ने ऋषि उग्रश्रवस से जनमेजय के सर्प यज्ञ के बारे में पूछा। तब उग्रश्रवस ने कुछ अतिरिक्त सामग्री के साथ उन्हें वैशम्पायन द्वारा सुनाई गई महाभारत की कहानी सुनाई। यह वह स्थान है जहां श्रीमद्भागवत का उपदेश हुआ था। विश्वविद्यालय के जीवन का उल्लेख महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। शौनक महाशाला में ऋषि पिप्पलाद और ऋषि शौनक के बीच दार्शनिक बातचीत को ब्रह्म उपनिषद या ब्रह्मोपनिषद के रूप में दर्ज किया गया था।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.