श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र

पढ़ें श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र


श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र

भगवान शिव, जिन्हें देवों के देव कहा गया है। उनकी आराधना के लिए कई स्तोत्रों की रचना की गई है। इन्हीं स्तोत्रों में से एक शिव पंचाक्षर स्तोत्र है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र को सबसे पहले अस्तित्व में आने वाला स्तोत्र कहा गया है। यहां अर्थ सहित शिव पंचाक्षर स्तोत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

लेख में-

  1. शिव पंचाक्षर स्तोत्र की विधि
  2. शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ का लाभ
  3. शिव पंचाक्षर स्तोत्र - मूल पाठ

1. शिव पंचाक्षर स्तोत्र की विधि:

  • प्रात: काल सबसे पहले स्नान आदि करके शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें।
  • इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और अंत में शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पठन की शुरुआत करना चाहिए।

2. शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ का लाभ:

  1. भगवान शिव के इस पंचाक्षर स्तोत्र के जाप से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  2. इससे मनुष्य की सभी मनोकामना पूरी होती है।
  3. इसकी जाप से सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है।

3. शिव पंचाक्षर स्तोत्र - मूल पाठ

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।

अर्थ:
हे महेश्वर!जिनके गले का हार नागराज हैं और जिनकी तीन आंखें हैं। जिनका शरीर पवित्र भस्म से अलंकृत है । वे जो शाश्वत हैं, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं। उस शिव को नमस्कार है, जिन्हें “न” अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय,
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।,
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय,
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।।

अर्थ:
वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है। वे जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं। महान भगवान, वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं, उस शिव को प्रणाम। जिन्हें शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया गया है।

शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय।।

अर्थ: वे जो शुभ हैं और जो नए उगते सूरज की तरह हैं। जिनसे गौरी का चेहरा खिल उठता है। वे जो दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं। वे जिनका कंठ नीला है और जिनके प्रतीक के रूप में बैल है, उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “शि” द्वारा दर्शाया गया है।

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र,
देवार्चिता शेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय,
तस्मै वकाराय नमः शिवाय।।

अर्थ:
वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतों- वशिष्ट, अगस्त्य, गौतम और देवताओं द्वारा भी पूजित हैं और जो ब्रह्मांड का मुकुट हैं। वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि तीन आंखें हैं। उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “वा” द्वारा दर्शाया गया है।

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै यकाराय नमः शिवाय।।

अर्थ:
वे जो यज्ञ का अवतार हैं और जिनकी जटाएं हैं। जिनके हाथ में त्रिशूल है और जो शाश्वत हैं। वे जो दिव्य हैं, जो चमकीला हैं और चारों दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं। उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “य” द्वारा दर्शाया गया है।

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

अर्थ:
जो शिव के समीप इस पंचाक्षर का पाठ करते हैं, वे शिव के निवास को प्राप्त करेंगे और आनंद लेंगे।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं, जो परम शिवभक्त थे। शिव पंचाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय पर आधारित है।
न – पृथ्वी तत्त्व का
म – जल तत्त्व का
शि – अग्नि तत्त्व का
वा – वायु तत्त्व का और
य – आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

मंत्रों और स्तोत्रों में वह ऊर्जा होती है, जिसका विधि पूर्वक उच्चारण करने से जातक को मनचाहा फल मिलता है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र को सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र कहा गया है।

इसके जाप से जातक के ऊपर शिव की कृपा बरसती है। शिव जी की पूजा करते वक्त साधक को शिव पंचाक्षर स्तोत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

।। शुभं भवतु ।।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

Download Sri Mandir app now !!

Connect to your beloved God, anytime, anywhere!

Play StoreApp Store
srimandir devotees
digital Indiastartup Indiaazadi

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.