श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र | Shri Mallikarjuna Mangalasasanam Stotram
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र | Shri Mallikarjuna Mangalasasanam Stotram

यह स्तोत्र पापों का नाश, भय का अंत, रोगों से मुक्ति और जीवन में मंगल, शक्ति व शांति का संचार करता है। जानिए इसका सम्पूर्ण पाठ और महत्व।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र के बारे में

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् भगवान मल्लिकार्जुन (श्रीशैल ज्योतिर्लिंग) की स्तुति में रचित एक मंगलमय स्तोत्र है। इसके पाठ से भक्त को शिव–शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में शांति, सुरक्षा तथा समृद्धि आती है। श्रद्धा से इसका जप करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और मन में दिव्य शक्ति का संचार होता है।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र (Sri Mallikarjuna Mangalashasanam Stotra)

भगवान भोलेनाथ त्रिदेवों में से एक देव हैं। जिन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है। शिव जी संहार के देवता हैं। उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए कई मंत्र और स्तोत्र हैं जिसमें से एक स्रोत है श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र भगवान शिव जी को प्रसन्न करने वाला स्त्रोत है। शिव जी का एक नाम मल्लिकार्जुन भी है। किंवदंती के अनुसार लिंग (अर्थात शिव का एक प्रतिष्ठित रूप ) के रूप में शिव जी की पूजा चमेली से की जाती थी। चमेली को तेलुगु में मल्लिका कहा जाता है। जिस कारण शिव जी का नाम मल्लिकार्जुन पड़ गया।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का महत्व

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र में भगवान शिव जी की महिमा का गुणगान किया गया है। और उनसे सभी प्राणियों पर मंगल करने की विनती की गई है। श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का पाठ बहुत छोटा है परन्तु इस स्तोत्र का महत्व बहुत ही उपयोगी है। इसके नियमित पाठ से शिव जी की कृपा मिलती है। जीवन को सफल बनाने के लिए इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से भी शिव जी का एक प्रसिद्ध स्थान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिकेय के कैलाश पर्वत से जाने के बाद भगवान शिव क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। वहां वह 'मल्लिकार्जुन' ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। 'मल्लिका' माता पार्वती का नाम है, और 'अर्जुन' भगवान शिव को कहा जाता है। इस प्रकार 'मल्लिकार्जुन' के नाम से यह ज्योतिर्लिंग विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र पढ़ने के फायदे

  • सोमवार, शिवरात्रि और सावन माह में इस स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • जो भी भक्त हर सोमवार भगवान शंकर के इस स्त्रोत का पाठ करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • इस स्त्रोत का नित्य पाठ करने से शिव की जी कृपा प्राप्त होती है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ, सुख,समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
  • जो भी व्यक्ति श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का पाठ करता है उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है और व्यक्ति के अंदर से नकारात्मकता का नाश हो जाता है।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का हिंदी अर्थ

share
उमाकांताय कांताय कामितार्थ प्रदायिने श्रीगिरीशाय देवाय मल्लिनाथाय मंगलम् ॥1॥

अर्थात - जो उमा का पति हैं, प्रियजन का साक्षात्कार करने वाले हैं, और सभी कामनाओं को पूरा करने वाले हैं। वे श्री गिरीश के रूप में हैं और शुभ है। भगवान मल्लिकार्जुन को मेरा नमस्कार है।

share
सर्वमंगल रूपाय श्री नगेंद्र निवासिने गंगाधराय नाथाय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥ 2॥

अर्थात - हे श्री नागेंद्र के निवासी, सभी शुभता के रूप भगवान गंगाधर और भगवान श्री गिरीश को शुभकामनाएं।

share
सत्यानंद स्वरूपाय नित्यानंद विधायने स्तुत्याय श्रुतिगम्याय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥ 3॥

अर्थात - सच्चिदानंद स्वरूप को, शाश्वत आनंद के रचयिता को, सभी सौभाग्य भगवान श्री गिरि को अर्पित हैं, जो प्रशंसनीय और वेदों के लिए सुलभ हैं।

share
मुक्तिप्रदाय मुख्याय भक्तानुग्रहकारिणे सुंदरेशाय सौम्याय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥4॥

अर्थात - मुक्ति के मुख्य दाता और भक्तों के हितैषी, हे सुन्दर, सौम्य भाग्य की देवी के स्वामी, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूँ।

share
श्रीशैले शिखरेश्वरं गणपतिं श्री हटकेशं पुनस्सारंगेश्वर बिंदुतीर्थममलं घंटार्क सिद्धेश्वरम् । गंगां श्री भ्रमरांबिकां गिरिसुतामारामवीरेश्वरं शंखंचक्र वराहतीर्थमनिशं श्रीशैलनाथं भजे ॥5॥

अर्थात - श्रीशैल पर शिखरेश्वर, गणेश, श्री हटकेश फिर सारंगों के भगवान, बिंदु तीर्थ, घंटारा, सिद्धों के भगवान। गंगा श्री भ्रमारंबिका गिरिसुतामा रामवीरेश्वर मैं सदैव शंख, चक्र, शूकर, पवित्र स्थान, भाग्य की देवी की पूजा करता हूं।

share
हस्तेकुरंगं गिरिमध्यरंगं शृंगारितांगं गिरिजानुषंगम् मूर्देंदुगंगं मदनांग भंगं श्रीशैललिंगं शिरसा नमामि ॥6

अर्थात - उसके हाथ में हाथी, पहाड़ के बीच, अलंकृत शरीर, पहाड़ी, चंद्रमा-देवी मदन-भंगा, भाग्य की देवी, पर्वत-लिंगम को में प्रणाम करता हूँ।

divider
Published by Sri Mandir·November 14, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
Card Image

बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र | Bilva Ashtottara Shatanama Stotram

Bilva Ashtottara Shatanama Stotram भगवान शिव को समर्पित बिल्वपत्र की महिमा और उनके 108 पवित्र नामों का वर्णन करने वाला दिव्य स्तोत्र है। जानें बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और आध्यात्मिक महत्व।

right_arrow
Card Image

अच्युतस्याष्टकम् स्तोत्र | Achyuta Ashtakam Stotram

Achyutashtakam Stotram भगवान विष्णु के अच्युत रूप की स्तुति करने वाला सुंदर और भक्तिमय स्तोत्र है। जानें अच्युतस्याष्टकम् स्तोत्र का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व।

right_arrow
Card Image

लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र | Lingashtakam Stotram

Lingashtakam Stotram भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग रूप की स्तुति करने वाला शक्तिशाली स्तोत्र है। जानें लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व।

right_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook