भीम और नागलोक का संबंध
भीम पांडवों में सबसे छोटे भाई थे। उन्हें बचपन से ही शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था। इसीलिए भगवानों ने उन्हें अपनी शक्ति प्रदान की ताकि वे अपने बड़े भाइयों की रक्षा कर सकें। महाभारत के युद्ध में पांडवों को कौरवों से लड़ना था। इस युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए भीम को अत्यधिक शक्तिशाली होना आवश्यक था। महाभारत काल के सबसे बलवान योद्धा भीम की कहानी कई रहस्यों और रोमांच से भरी हुई है। इनमें से एक रोचक कहानी है जब नाग, भीम को 100 हाथियों की ताकत देते हैं...चलिए आज आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं...
महाभारत से एक रोचक कहानी
एक प्रचलित कथा के अनुसार, पांडव वनवास में थे। एक दिन, भीम, भूख और प्यास से व्याकुल होकर, घने जंगल में भटक गए। उन्हें एक विशाल गुफा दिखाई दी। भीम थकान से अंदर लेट गए और सो गए। इस गुफा में नागों का निवास स्थान था। नागराज वासुकी को गुफा में सोता हुआ भीम देखकर क्रोध आया। उन्होंने अन्य नागों को जगाया और भीम को मारने का षड्यंत्र रचा।
भीम का साहस
भीम नींद से जागे और नागों को चारों ओर से घिरा हुआ पाया। उन्होंने बिना किसी डर के नागों से युद्ध करने का फैसला किया। भीम ने अपनी अद्भुत शक्ति और कौशल से नागों से युद्ध किया। भीम की वीरता और साहस देखकर नागराज वासुकी प्रभावित हुए। उन्होंने युद्ध रोक दिया और भीम से क्षमा मांगी। भीम ने भी क्षमा कर दिया और नागों से मित्रता कर ली।
वरदान
वासुकी ने भीम को असीम शक्ति प्रदान करने का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि अब भीम में 100 हाथियों के बराबर बल होगा। भीम ने नागों का धन्यवाद स्वीकार किया और हर्षित मन से वनवास की ओर लौट गए।
इस घटना के बाद, भीम महाभारत के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में से एक बन गए। उन्होंने अपनी असीम शक्ति का उपयोग धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए किया।
दुर्योधन ने भीम को मारने के लिए रचा था षड्यंत्र
दुर्योधन को भीम से बहुत ईर्ष्या होती थी। वह भीम की शक्ति और लोकप्रियता को बर्दाश्त नहीं कर पाता था। दुर्योधन चाहता था कि वह ही हस्तिनापुर का राजा बने। वह पांडवों को अपने रास्ते से हटाना चाहता था। दुर्योधन को लगता था कि पांडवों ने उसके साथ अन्याय किया है। इसलिए वह उनसे बदला लेना चाहता था। महाभारत युद्ध में, दुर्योधन ने भीम को मारने के लिए कई युद्धनीतियां अपनाईं। उसने अपने मित्रों और सेनापतियों को भीम के खिलाफ लड़ने के लिए उकसाया। दुर्योधन ने भीम को युद्ध में फंसाने के लिए कई तरह के छल कपट का सहारा लिया। दुर्योधन ने भीम को मारने के लिए जहरीला भोजन भी बनवाया था, लेकिन भीम की शक्ति के कारण वह जहर उन पर असर नहीं कर पाया। दुर्योधन के सभी षड्यंत्र विफल हो गए। भीम ने अपनी शक्ति और बुद्धि से दुर्योधन को कई बार परास्त किया। अंततः महाभारत युद्ध में भीम ने ही दुर्योधन को मारकर पांडवों का बदला लिया।
नागों ने भीम की जान कैसे बचाई थी?
जब पांडवों को अज्ञातवास में रहना पड़ा था, तब भीम एक बार एक जंगल में भटक गए। उन्हें एक विशाल गड्ढा दिखाई दिया, जिसे देखकर उनकी जिज्ञासा जागी। जब भीम उस गड्ढे में उतरे तो उन्हें पता चला कि यह पाताल लोक का द्वार है। वहां उन्होंने नागलोक के राजा वासुकि और अन्य नागों से मुलाकात की। नागों ने भीम को अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और मंत्र दिए। उन्होंने भीम को हजारों हाथियों की शक्ति भी प्रदान की। इसीलिए भीम को महाबलवान कहा जाता है।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
- अहंकार और ईर्ष्या का अंत हमेशा बुरा होता है।
- धर्म और न्याय की हमेशा जीत होती है।
- असत्य पर हमेशा सत्य की जीत होती है।