हरियाली अमावस्या व्रत कथा (Hariyali Amavasya Vrat Katha)
एक समय की बात है, एक राजा महल में अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक निवास किया करता था। उसका एक पुत्र था, जिसकी शादी हो चुकी थी।
राजा की पुत्रवधू ने एक दिन रसोई में मिठाई रखी हुई देखी तो वह सारी मिठाई खा गई। जब उससे पूछा गया कि सारी मिठाई कहां गई तो उसने कहा, सारी मिठाई तो चूहे खा गए।
यह बात चूहों ने सुन ली और वे इस गलत आरोप को सुनकर अत्यंत क्रोधित हुए। इसके बाद उन्होंने राजा की बहू को सबक सिखाने का निश्चय कर लिया। कुछ दिनों के पश्चात् महल में कुछ मेहमान आए, चूहों ने सोचा कि यह अच्छा मौका है, राजा की पुत्रवधू को सबक सिखाने का।
बदला लेने के लिए, चूहों ने बहू की साड़ी चुराई और उसे जाकर अतिथि के कमरे में रख दी। जब सुबह सेवकों और अन्य लोगों ने उस साड़ी को वहां पर देखा, तो लोग राजा की बहू के चरित्र के बारे में बात करने लगे। यह बात जंगल में आग की तरह पूरे गाँव में फैल गई। जब यह बात राजा के कानों तक पहुंची तो उसने अपनी पुत्रवधू के चरित्र पर शक करते हुए, उसे महल से निकाल दिया।
राजा की बहू महल से निकलकर एक झोपड़ी में रहने लगी और नियमित रूप से पीपल के एक वृक्ष के नीचे दीपक जलाने लगी। इसके साथ ही वह पूजा करके, गुड़धानी का भोग लगाकर, लोगों में प्रसाद वितरित करने लगी। इस प्रकार कुछ दिन बीत जाने के बाद, एक दिन राजा उस पीपल के पेड़ के पास से गुज़रे, जहां उनकी बहू हमेशा दीपक जलाया करती थी। इस दौरान उनका ध्यान उस पेड़ के आस-पास जगमगाती रोशनी पर गया। राजा इसे देखकर चकित रह गए।
महल में वापस आने के बाद उन्होंने अपने सैनिकों से उस रोशनी के रहस्य का पता लगाने के लिए कहा। सैनिक राजा की बात मानकर उस पेड़ के पास चले गए, वहां पर उन्होंने देखा कि दीपक आपस में बात कर रहे थे। सभी दीपक अपनी-अपनी कहानी बता रहे थे, तभी एक दीपक बोला, मैं राजा के महल से हूँ। महल से निकाले जाने के बाद, राजा की पुत्रवधू रोज़ मेरी पूजा करती है और मुझे प्रज्वलित करती है।
सभी अन्य दीपकों ने उससे पूoछा कि राजा की बहू को महल से क्यों निकाला गया, तो उसने बताया कि, एक दिन उसने मिठाई खाकर चूहों का झूठा नाम लगा दिया। इस पर चूहे नाराज़ हो गए और राजा की बहू से बदला लेने के लिए उसकी साड़ी अतिथि के कमरे में रख आए। यह सब देखकर राजा ने उन्हें महल से निकाल दिया।
यह सब सुनकर सैनिक भी हैरान रह गए और महल वापिस आकर उन्होंने राजा को पूरी कहानी सुनाई। यह सुनकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी पुत्रवधू को महल में वापस बुला लिया।
इस प्रकार पीपल के पेड़ की नियमित पूजा करने का फल राजा की बहू को मिला और वह अपना जीवन आराम से व्यतीत करने लगी।