क्या आप जानते हैं कि नाग पंचमी पर राधा जी को नागदेवता की बहन माना जाता है? जानें इस अनोखी कथा के पीछे छिपा रहस्य और इसका धार्मिक महत्व।
नाग पंचमी के त्यौहार से जुड़ी कई कहानियां और कथाएं प्रचलित हैं उनमे से ही एक कथा ऐसी है जो नागदेवता और राधा से जुड़ी हैं, आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं इस रोचक कथा के बारे में...
आप सभी का स्वागत है, आज हम आपके लिए नाग पंचमी से जुड़ी हुई एक अन्य पौराणिक कथा लेकर आए हैं। तो चलिए इस कथा को विस्तार से जानते हैं।
एक समय की बात है किसी गांव में एक कुम्हार अपनी बेटी राधा और अपनी पत्नी के साथ निवास करता था। उसकी बेटी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी और उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया करती थी। एक दिन उस कुम्हार ने अपनी बेटी से बरतन बनाने के लिए मिट्टी लाने को कहा। पिता के कहने पर राधा मिट्टी लाने के लिए जंगल में चली गई, वहां मिट्टी खोदते वक्त उसके सामने एक नाग आ गया।
राधा नाग को देखकर घबरा गई और उसकी घबराहट को देखते हुए नाग देवता ने एक मनुष्य का रूप धारण कर लिया। नाग देवता राधा से बोले कि पिछले जन्म में तुम मेरी बहन थीं, तुम्हें देखते ही मुझे सब याद आ गया। अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हारी रक्षा करुंगा। राधा यह सब सुनकर काफी खुश हो गई और अपने भाई से कुछ देर तक बात करने के बाद घर वापिस चली गई।
घर पहुंच कर राधा ने यह पूरा वृतांत अपने माता-पिता को सुनाया, इस बात को सुनकर उसके माता पिता चिंतित हो गए और उन्होंने राधा को जंगल में जाने से मना कर दिया। राधा ने अपने माता पिता की बात को मानने से इंकार कर दिया और वह बोली कि, मेरा कोई भाई नहीं है और मैंने नाग देवता को भाई मान लिया है, इसलिए मैं उनसे जंगल में मिलने अवश्य जाया करूंगी।
अपनी बात पर अडिग रहकर राधा अगले दिन जंगल में अपने भाई के लिए दूध लेकर गई। कुछ देर बाद नाग देवता वहां आए और उन्होंने दूध ग्रहण किया और उन्होंने फिर से मनुष्य का रूप धारण कर लिया। इसके बाद उन्होंने राधा को एक पोटली दी और बोला कि तुम यह पोटली घर जाकर खोलना।राधा वह पोटली लेकर घर चली गई और जब घर जाकर उसने वह पोटली खोल कर देखी तो उसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे।
अगले दिन राधा के माता-पिता भी उस स्थान पर पहुंच गए जहां नाग देवता राधा से मिलने आते थे। वहां उन्होंने राधा के पिछले जन्म के भाई से बात की और फिर वह लोग भी नाग देवता से मिलने आने लगे।
धीरे-धीरे यह बात पूरे गाँव में फैल गई और वहां के लोगों ने नाग के गाँव में रहने पर आपत्ती जताई। उन्होंने कहा कि अगर नाग गांव में रहेगा तो पूरे गाँव के लोगों पर खतरा बना रहेगा। गाँव के लोगों ने इकट्ठे होकर राधा के पिता के पास पहुंचने का फैसला किया। वह लोग राधा के घर पर पहुंच कर बोले कि इस नाग को गाँव से दूर भगा दो क्योंकि यह अन्य लोगों के लिए खतरा बन सकता है।
राधा और उसके परिवार ने उन लोगों को समझाने का काफी प्रयास किया कि वह नाग किसी को हानि नहीं पहुंचाएगा, लेकिन गाँव के लोग नाग को भगाने की अपनी बात पर अड़े रहे। इसके बाद राधा और उसके माता पिता ने नाग से विनती की कि वह गाँव छोड़कर चला जाए।
इस पर नाग ने कहा कि आप लोग परेशान न हों, मैं यहां से चला जाऊंगा। यह सुनकर राधा बोली, कि भैया अब हम दोनों कैसे मिल पाएंगे?
नाग देवता ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा कि, मेरे यहां रहने से तो नहीं लेकिन मेरे यहां से जाने से गाँव पर ज़रूर विपदाएं आएंगी। अगर ऐसा हो तो नाग पंचमी पर इसी स्थान पर दूध रख देना और मन में मुझे याद करना, मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा। इतना कह कर वह नाग वहां से चला गया।
कुछ दिनों के पश्चात् सावन के महीने से हर जगह बारिश होने लगी और हरियाली छा गई। लेकिन गाँव में बारिश की एक बूंद भी नहीं पड़ी और पूरा गांव सूखे की चपेट में आ गया। गांव वालों की फसले बरबाद होने लगीं और सभी लोग इससे परेशान हो गए। यह सब देखकर राधा ने गाँव पर विपदा आने का कारण सबको बताया, तब गाँव वालों को अपनी गलती का एहसास हुआ। राधा की बात मानते हुए गाँव वालों ने मिलकर नाग पंचमी पर उस स्थान पर दूध का पात्र रख दिया जहां नाग देवता राधा से मिलने आया करते थे। सभी मिलकर वहां नाग देवता का इंतज़ार करने लगे, नाग के स्वागत के लिए पूरे गाँव को भी सजाया गया।
राधा ने अपने मन में नाग को याद किया और अपने वादे के अनुसार नाग देवता वहाँ पर प्रकट हो गए। सभी लोगों ने नाग देवता को प्रणाम किया और अपनी गलती के लिए क्षमायाचना भी की। राधा ने अपने भाई को दूध पिलाया और गाँव में वापिस आने का आग्रह किया। इस पर नाग देवता बोले, कि मैं अब यहां नहीं रह सकता, लेकिन मैं हर नाग पंचमी को अपनी बहन से ज़रूर मिलने आया करूंगा। नाग देवता ने आगे यह भी आश्वासन दिया कि मेरे जाने पर गाँव की सारी समस्याएं भी समाप्त हो जाएंगी। यह बोलकर नाग देवता वहां से वापिस चले गए, उनके कहे अनुसार गांव में बारिश हुई और सूखा खत्म हो गया। गाँव में सुख-समृद्धि लौट आई और लोग आराम से अपना जीवन व्यतीत करने लगे।
इस प्रकार जो भी नाग पंचमी पर नाग देवता को स्मरण करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करता है, उस पर नाग देवता की कृपा सदा बनी रहती है। हम आशा करते हैं कि यह कथा पढ़ने और सुनने वाले सभी लोगों पर भी नाग देवता की कृपा बनी रहे।
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