नाग पंचमी - रानी ने दिया सांप को जन्म

नाग पंचमी - रानी ने दिया सांप को जन्म

जानिए कैसे रानी ने दिया एक सांप को जन्म


रानी ने दिया सांप को जन्म



नाग पंचमी कथा विशेष (Naag Panchami Vishesh Katha)


नमस्कार दोस्तों! श्रीमंदिर वेबसाइट पर आप सभी का स्वागत है। आज हम आपके लिए नाग पंचमी से जुड़ी हुई एक और रोचक कथा लेकर आए हैं, जिसमें एक रानी द्वारा सर्प को जन्म दिया जाता है।

रानी ने दिया सांप को जन्म (Rani ne diya Saanp ko Janam)

एक समय की बात है, किसी नगर में राजा और रानी रहा करते थे। उनके महल में किसी प्रकार की सुविधा या सुख की कमी नहीं थी लेकिन उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस वजह से दोनों काफी उदास रहते थे। उन्होंने कई मंदिरों में संतान प्राप्ति के लिए पूजा और प्रार्थना भी की लेकिन उन्हें संतान का सुख नहीं मिला।

उनके नगर में भगवान शिव का एक मंदिर था। संतान प्राप्ति की कामना से रानी प्रतिदिन वहां जाया करती थी। भगवान भोलेनाथ की कृपा से रानी आखिरकार गर्भवती हो गई और उसने एक सुंदर राजकुमार को जन्म दिया। परंतु पैदा होते ही, वह बालक एक सांप में बदल गया। रानी की गर्भ से एक सर्प पैदा होने की बात तेज़ी से पूरे गांव में फैल गई और लोगों को यह सुनकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ।

राजा को उनके मंत्रियों और सलाहकारों ने यह सलाह भी दी कि वह इस सांप को घर में न रखें, वह या तो उसे मार दें या फिर जंगल में छोड़ आएं।

लेकिन रानी अपनी ममता के आगे विवश हो गई और पुत्र के मोह के चलते राजा-रानी ने बड़े प्यार से उस नाग शिशु का पालन-पोषण किया। रानी उस सांप का बहुत ध्यान रखा करती थी और इस प्रकार धीरे-धीरे वह सांप बड़ा हो गया।

अब रानी को उसके विवाह की चिंता होने लगी, जब रानी ने राजा को अपनी चिंता का विषय बताया तो राजा ने अपने रिश्तेदारों से विवाह की बात कही। यह सुनकर सभी रिश्तेदारों ने मदद से इंकार कर दिया।

नाग पंचमी विशेष- रानी और सांप की कथा (Naag Panchami Katha- Rani aur Saanp ki katha)

अपनी बहू की तलाश में राजा दूसरे नगर में अपने मित्र के पास पहुंच गए। राजा को देखकर उनका मित्र अत्यंत प्रसन्न हुआ और उनके मित्र ने राजा से वहां आने का कारण पूछा। राजा ने उन्हें बताया कि वह अपने पुत्र के विवाह के लिए कन्या की तलाश कर रहे हैं।

इस पर राजा के मित्र ने उनसे कहा कि, मित्र अब तुम चिंता छोड़ दो, मैं अपनी कन्या के विवाह के लिए योग्य वर की तलाश कर रहा था, तुम्हारी बात सुनकर मैं सोच रहा हूं कि अपनी कन्या का विवाह तुम्हारे पुत्र से करवा दूँ।

राजा बोला तुम जल्दबाज़ी में यह निर्णय मत लो, पहले तुम मेरे पुत्र से मिल लो। इस पर उनका मित्र बोला कि इसमें देखना क्या है, तुम पर मुझे पूरा भरोसा है। मेरी कन्या को तुम अपने साथ ही ले जाओ और अपने नगर में उसका विवाह अपने पुत्र के साथ कर देना। राजा के मित्र ने अपनी कन्या को बुलाया और उसे राजा को सौंप दिया। कन्या अपने पिता का आदेश मानकर राजा के साथ उनके महल चली गई।

रानी की कोख से हुआ नाग का जन्म (Rani ki Kokh se hua Naag ka Janam)

महल पहुंचकर राजा ने कन्या से कहा कि, पुत्री दरअसल हमारा पुत्र तो एक सर्प है, तुम उससे विवाह कैसे करोगी? यह सुनकर कन्या बोली कि उसे इस बात से कोई आपत्ती नहीं है। अपने पिता के आदेशनुसार मैं आपके पुत्र से अवश्य ही विवाह करूंगी।

इसके बाद राजा और रानी अपने पुत्र सर्प का विवाह अपने मित्र की कन्या के साथ धूम-धाम से करवा देते हैं। वह कन्या अपने पति सर्प की बहुत सेवा करती है और उसकी सभी ज़रूरतों का ध्यान रखती है।

एक दिन वह अपने कमरे में आती है और वहां पर एक युवक को देखकर घबराहट से चिल्लाने लगती है। उसकी आवाज़ सुनकर राजा और रानी भी उसके कमरे में आ जाते हैं। तब वह युवक कन्या से कहता है कि, तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारा पति सर्प हूँ।

नाग पंचमी की रोचक कथा (Naag Panchami ki Rochak Katha)

देखो कमरे के कोने में मेरा सर्प का शरीर पड़ा हुआ है। दरअसल, पिछले जन्म में मैं एक गंर्धव था और तुम एक किन्नरी थीं। हम दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते हैं। एक दिन हम लोग मिलकर वन में गीत गा रहे थे और वहीं पर एक ऋषि तपस्या कर रहे थे। हमारी आवाज़ से ऋषि की तपस्या भंग हो गई थी और क्रोधित होकर उन्होंने मुझे अगले जन्म में सर्प के रूप में पैदा होने का शाप दे दिया। लेकिन अब मैं उनके शाप से मुक्त हो गया हूँ। यह सुनकर राजा-रानी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। वह अपने पुत्र को गले से लगा लेते हैं और अपनी पुत्रवधू को आशीर्वाद देते हैं।

तो यह थी नाग पंचमी के अवसर पर आपके लिए एक अन्य रोचक कथा, नाग पंचमी से जुड़ी अन्य कहानियों के लिए श्रीमंदिर वेबसाइट पर उपलब्ध कथाओं को अवश्य पढ़ें।


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