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आश्विन अमावस्या

इस अमावस्या जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ।

आश्विन अमावस्या के बारे में

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पितृ पक्ष का समापन होता है और पितृजन वापस अपने लोक (पितृलोक) लौट जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने तथा दान-पुण्य आदि करने से पितृजन तृप्त होते हैं, और अपने वंशजों को सुखमय जीवन का आशीर्वाद देकर जाते हैं।

आश्विन अमावस्या कब है?

  • आश्विन अमावस्या व्रत 02 अक्टूबर 2024, बुधवार को किया जायेगा।
  • अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • अमावस्या तिथि का समापन 02 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा।

आश्विन अमावस्या के अन्य शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:08 AM से 04:53 AM तक
  • प्रातः सन्ध्या - 04:31 AM से 05:39 AM तक
  • अभिजित मुहूर्त - 11:32 AM से 12:23 PM तक
  • विजय मुहूर्त - 02:03 PM से 02:54 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त - 06:16 PM से 06:38 PM तक
  • सायाह्न सन्ध्या - 06:16 PM से 07:24 PM तक
  • अमृत काल - 09:41 PM से 11:27 PM तक
  • निशिता मुहूर्त - 11:35 PM से 12:20 AM, (03 सितम्बर)

आश्विन अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आश्विन अमावस्या पर ज्ञात व अज्ञात पितरों के निमित्त श्राद्धकर्म करने का विशेष महत्व है, इसलिए इसे सर्व पितृजनी अमावस्या और महालय विसर्जन भी कहा जाता है। वहीं श्राद्धकर्म के साथ-साथ आश्विन अमावस्या तंत्र साधना के लिये भी विशेष मानी जाती है।

आश्विन अमावस्या की समाप्ति पर अगले दिन यानि प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। इस दौरान माँ दुर्गा के उपासक और तंत्र साधना करने वाले साधक इस अमावस्या की रात्रि को विशेष तांत्रिक साधनायें करते हैं।

इस दिन जातक अमावस्या व्रत का भी अनुष्ठान करते हैं, और पितरों के साथ साथ भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की उपासना करते हैं।

आश्विन अमावस्या के धार्मिक अनुष्ठान

  • आश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का समापन होता है, इसलिए इस दिन पितरों के पूजन का विशेष महत्व है।
  • इस दिन नदी, जलाशय या किसी पवित्र कुंड में स्नान करके भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें, उसके पश्चात् पितरों के निमित्त तर्पण करें।
  • इस दिन संध्या के समय दीपक जलाएँ और द्वार पर पूड़ी व मिष्ठान रखें। ये अनुष्ठान इसलिये किया जाता है, ताकि पितृगण भूखे न जाएँ और दीपक की रोशनी में पितरों का मार्ग प्रकाशमय रहे।
  • यदि किसी कारणवश आपको अपने पितरों के श्राद्ध की तिथि याद न हो, तो आश्विन अमावस्या पर उनका श्राद्ध-तर्पण आदि किया जा सकता है।
  • इस दिन पितरों के नाम से किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवायें और उन्हें यथासंभव दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
  • इस दिन पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें, आपके द्वारा हुई किसी भी भूल के लिये उनसे क्षमा मांगे, और उनके उद्धार व आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

आश्विन अमावस्या पर वर्जित कार्य

  • आश्विन अमावस्या पर व्रत रखने वाले जातक किसी के प्रति छल-कपट व क्रोध न करें। अपने मन को सकारात्मक और शुद्ध रखें
  • इस अमावस्या के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके किसी कार्य से आपके पितरों को दुःख न पहुंचे।
  • अमावस्या के दिन कुत्ते, गाय, कौआ आदि को भूलकर भी किसी भी प्रकार से हानि नहीं पहुंचाएं, विशेषकर तब, जब वे भोजन कर रहे हों।
  • आश्विन अमावस्या पर अपने घर भिक्षा मांगने आने वालों को खाली हाथ न लौटाएं. उनको अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य दें।
  • इस दिन और हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें या कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे उनके मन को ठेस पहुंचे।

अश्विन अमावस्या के लाभ

  • इस अमावस्या पर व्रत व पूजा अर्चना करने से जातक को भगवान यम का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और परिवार के सदस्यों को भी बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
  • इस दिन पूर्वजों के निमित्त किया गया श्राद्धकर्म विशेष फलदाई माना जाता है। इससे पितरों की भटकती आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • जो जातक आश्विन अमावस्या पर व्रत रखकर पितरों को आदरपूर्वक विदा करते हैं, उनकी संतान को सुखी, समृद्ध और लंबे जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
  • अमावस्या तिथि के बाद शारदीय नवरात्रि का आरंभ होने के कारण जातकों को दैवीय आशीर्वाद और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है।
  • आश्विन अमावस्या पर पितरों के निमित धार्मिक अनुष्ठान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

तो यह थी आश्विन अमावस्या व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी। हमारी कामना है कि इस दिन पितरों के निमित्त किये श्राद्धकर्म सफल हों, और आप तथा आपके परिवार पर सदा उनका आशीर्वाद बना रहे। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·January 7, 2025

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